देहरादून/हल्द्वानी: आज अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है. इसकी की शुरुआत एक मई 1886 को अमेरिका में एक आंदोलन से हुई थी. इस आंदोलन के दौरान अमेरिका में मजदूर काम करने के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किए जाने को लेकर आंदोलन पर चले गए थे. 1 मई, 1886 के दिन मजदूर लोग रोजाना 15-15 घंटे काम कराए जाने और शोषण के खिलाफ पूरे अमेरिका में सड़कों पर उतर आए थे. तब से लेकर आज तक हर साल पूरे विश्व में मजदूर दिवस मनाया जाता है. आज प्रदेश में भी अलग-अलग सामाजिक संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया.
सड़कों पर आज भी मेहनत करते मजदूर
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच भले ही सरकार ने प्रदेश में एक हफ्ते का कोविड कर्फ्यू लगा दिया हो, लेकिन कोविड कर्फ्यू के दौरान भी राजधानी की सड़कों पर जगह-जगह दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूर चिलचिलाती गर्मी में काम पर लगे हुए हैं. ईटीवी भारत ने जब मजदूरों से उनकी समस्याओं के बारे में बात की, तो उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए हर दिन जान हथेली पर रखकर मजदूरी कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से उनके लिए किसी तरह की कोई मदद नहीं है.
गैर जिम्मेदार हो गई सरकार
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के मौके पर जब हमने मजदूरों की आवाज उठाने वाले सीटू संगठन के जिला महामंत्री लेखराज से बात की तो उन्होंने मजदूरों के प्रति सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैया को लेकर गहरी नाराजगी जताई. उनके मुताबिक सरकार सभी उन नियमों को निरस्त करती जा रही है, जिससे मजदूरों को उनका हक दिलाया जा सकता था. यदि यही स्थिति रही तो मजदूर वर्ग सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने को मजबूर होगा.
कांग्रेस ने किया मजदूरों का सम्मान
मजदूर दिवस के मौके पर शनिवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने घंटाघर पर मजदूरों का सम्मान किया. सम्मान समारोह के दौरान प्रीतम सिंह ने श्रमिकों को भोजन सामग्री और फल भी वितरित किए. इस मौके पर प्रीतम सिंह ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान श्रम कानूनों के तहत सभी को समान अधिकार दिया गया. इसके साथ ही विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाएं बनाकर उनके हितों व जरूरत की रक्षा की गई. उन्होंने कोरोना संक्रमण काल में श्रमिकों की दिक्कतों को उठाते हुए कहा कि दिहाड़ी मजदूरों की आजीविका और उसकी सुरक्षा का सरकार को इंतजाम करने के साथ ही उनको मजदूरी भत्ता दिया जाना चाहिए. वहीं दूसरे प्रदेशों में रहने वाले लोगों ने वापसी शुरू कर दी है. ऐसे में स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए क्वारंटाइन सेंटरों और उपचार केंद्रों के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए.
हल्द्वानी में मजदूरों की मंडी
हल्द्वानी में लगने वाला मजदूरों का बाजार इन दिनों सूना पड़ा है. यहां मजदूर आ तो रहे हैं लेकिन उन्हें मजदूरी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में मजदूरों के आगे आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. बता दें हल्द्वानी की अब्दुल्ला बिल्डिंग के पास रोजाना मजदूरों की मंडी लगती है. यहां 400 से 500 मजदूर काम की तलाश में आते हैं.
मजदूरों का कहना है कि कोविड काल में मजदूरों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. मजदूर कहते हैं कि मजदूरी अगर नहीं मिलती है तो मजदूर कोरोना से नहीं भूख से मर जाएंगे. आज विश्व मजदूर दिवस है, लेकिन मजदूरों को यह भी पता नहीं है कि आज मजदूर दिवस है, उन्हें चिंता है तो बस अपनी मजदूरी की.