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Corruption Free Uttarakhand: भ्रष्टाचार मुक्त खत्म करने के लिए CM धामी ने अधिकारियों को दिए निर्देश - उत्तराखंड लेटेस्ट न्यूज

धामी सरकार देवभूमि उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का पूरा प्रयास कर रही है. इसको लेकर सीएम धामी और मुख्य सचिव एसएस संधू ने अधिकारियों को कुछ जरूरी दिशा-निर्देश दिए, ताकि देवभूमि उत्तराखंड भ्रष्टाचार एवं अपराध मुक्त बनाया जा सके.

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Published : Jan 21, 2023, 9:52 PM IST

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में शासकीय कार्य प्रणाली के साथ ही विभिन्न स्तरों पर होने वाले भ्रष्टाचार एवं गलत कार्यों पर प्रभावी नियंत्रण के निर्देश दिये हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड भ्रष्टाचार एवं अपराध मुक्त हो यह हम सबका नैतिक दायित्व भी है. उन्होंने कहा कि आम जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान एवं योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में सरलीकरण, समाधान, निस्तारण एवं संतुष्टि के मूल मंत्र को हमें आत्मसात करना होगा. यह हमारे कार्य व्यवहार का हिस्सा बनेगा तो भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की राह भी प्रशस्त होगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिये टोल फ्री नम्बर 1064 को आम जनता के हित में और अधिक उपयोगी बनाया जाना चाहिये. उन्होंने भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने में जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्धजनों एवं आम नागरिकों को भी सहयोगी बनाये जाने पर बल दिया है. यही नहीं, मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार को रोकने और घूसखोरी जैसे कृत्यों की रोकथाम में राज्य सतर्कता इकाइयों द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल की शिकायतों की जांच आदि में भी सतर्कता इकाई द्वारा प्रभावी प्रयास किये गये हैं.
पढ़ें- Joshimath Crisis: 'देवस्थानम बोर्ड होता तो पैसों के लिए नहीं भटकना पड़ता, पुनर्वास में बजट की कमी पर बोले त्रिवेंद्र

उन्होंने कहा कि अधीनस्थ चयन सेवा आयोग एवं लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में हुई नकल की शिकायतों की त्वरित जांच कर 55 लोगों को जेल में भेजा जा चुका हैं. इसके अतिरिक्त सतर्कता इकाई देहरादून एवं हल्द्वानी द्वारा गत वर्ष 14 कार्मिकों को कदाचार के मामले में रंगे हाथों पकड़कर गिरफ्तार किया गया, जबकि आय से अधिक मामलों तथा निर्माण कार्यों में बरती गई अनियमिताओं की भी तत्परता से जांच कर दोषियों को सजा दिलाने का कार्य किया है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जीरो टॉलरेंस ऑन करप्शन की नीति का अनुसरण कर नकल माफियाओं के विरुद्ध कठोर कार्रवाई का निर्णय लिया है. राज्य कैबिनेट द्वारा प्रदेश में भर्तियों में भ्रष्टाचार रोकने के लिये सख्त नकल विरोधी कानून बनाये जाने का निर्णय लिया गया है. इस कानून को इतना सख्त बनाया जाएगा कि भविष्य में कोई इस बारे में सोच भी नहीं. सख्त नकल विरोधी कानून में दोषी का उम्र कैद की सजा का प्रावधान तो होगा ही उसके द्वारा अर्जित संपत्ति को जब्त किये जाने का भी व्यवस्था रहेगी.
पढ़ें- Uttarakhand Politics: सियासी गलियारों में हो रही बात, क्यों हरीश रावत और त्रिवेंद्र कर रहे इतनी मुलाकात?

साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं का हक मारने वाले किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा. सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य की सभी भर्ती परीक्षाएं पारदर्शी हों. अब भविष्य में कोई इन परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की हिम्मत न कर सके. नकल विरोधी कानून के प्रावधानों से यह व्यवस्था बन जायेगी.

उन्होंने कहा कि नकल माफियाओं के लगातार सक्रिय रूप से तैनात होने और परीक्षा पेपर को लीक आउट कराये जाने से परीक्षा देने वाले अन्य अभ्यर्थी, जो दिन-रात मेहनत करते हैं, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. इन्ही तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अब निर्णय लिया गया है कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, हरिद्वार तथा उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, देहरादून द्वारा भविष्य में आयोजित होने वाली परीक्षाओं से पूर्व अभिसूचना इकाई को सक्रियता से तैनात किया जाय, ताकि ऐसी पुनरावृत्ति न हो पाये.

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में शासकीय कार्य प्रणाली के साथ ही विभिन्न स्तरों पर होने वाले भ्रष्टाचार एवं गलत कार्यों पर प्रभावी नियंत्रण के निर्देश दिये हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड भ्रष्टाचार एवं अपराध मुक्त हो यह हम सबका नैतिक दायित्व भी है. उन्होंने कहा कि आम जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान एवं योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में सरलीकरण, समाधान, निस्तारण एवं संतुष्टि के मूल मंत्र को हमें आत्मसात करना होगा. यह हमारे कार्य व्यवहार का हिस्सा बनेगा तो भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की राह भी प्रशस्त होगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिये टोल फ्री नम्बर 1064 को आम जनता के हित में और अधिक उपयोगी बनाया जाना चाहिये. उन्होंने भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने में जनप्रतिनिधियों, प्रबुद्धजनों एवं आम नागरिकों को भी सहयोगी बनाये जाने पर बल दिया है. यही नहीं, मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार को रोकने और घूसखोरी जैसे कृत्यों की रोकथाम में राज्य सतर्कता इकाइयों द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल की शिकायतों की जांच आदि में भी सतर्कता इकाई द्वारा प्रभावी प्रयास किये गये हैं.
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उन्होंने कहा कि अधीनस्थ चयन सेवा आयोग एवं लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में हुई नकल की शिकायतों की त्वरित जांच कर 55 लोगों को जेल में भेजा जा चुका हैं. इसके अतिरिक्त सतर्कता इकाई देहरादून एवं हल्द्वानी द्वारा गत वर्ष 14 कार्मिकों को कदाचार के मामले में रंगे हाथों पकड़कर गिरफ्तार किया गया, जबकि आय से अधिक मामलों तथा निर्माण कार्यों में बरती गई अनियमिताओं की भी तत्परता से जांच कर दोषियों को सजा दिलाने का कार्य किया है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने जीरो टॉलरेंस ऑन करप्शन की नीति का अनुसरण कर नकल माफियाओं के विरुद्ध कठोर कार्रवाई का निर्णय लिया है. राज्य कैबिनेट द्वारा प्रदेश में भर्तियों में भ्रष्टाचार रोकने के लिये सख्त नकल विरोधी कानून बनाये जाने का निर्णय लिया गया है. इस कानून को इतना सख्त बनाया जाएगा कि भविष्य में कोई इस बारे में सोच भी नहीं. सख्त नकल विरोधी कानून में दोषी का उम्र कैद की सजा का प्रावधान तो होगा ही उसके द्वारा अर्जित संपत्ति को जब्त किये जाने का भी व्यवस्था रहेगी.
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साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं का हक मारने वाले किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा. सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य की सभी भर्ती परीक्षाएं पारदर्शी हों. अब भविष्य में कोई इन परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की हिम्मत न कर सके. नकल विरोधी कानून के प्रावधानों से यह व्यवस्था बन जायेगी.

उन्होंने कहा कि नकल माफियाओं के लगातार सक्रिय रूप से तैनात होने और परीक्षा पेपर को लीक आउट कराये जाने से परीक्षा देने वाले अन्य अभ्यर्थी, जो दिन-रात मेहनत करते हैं, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. इन्ही तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अब निर्णय लिया गया है कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, हरिद्वार तथा उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, देहरादून द्वारा भविष्य में आयोजित होने वाली परीक्षाओं से पूर्व अभिसूचना इकाई को सक्रियता से तैनात किया जाय, ताकि ऐसी पुनरावृत्ति न हो पाये.

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