देहरादूनः युवती की मौत मामले से राजकीय दून अस्पताल सुर्खियों में है. सुर्खियों की वजह इलाज के दौरान बुखार से पीड़ित निशा की मौत, परिजनों का हंगामा और इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ पर इलाज में लापरवाही का आरोप है. मामले ने तूल पकड़ा को अस्पताल प्रशासन ने आनन फानन में जांच कमेटी गठित की. जिसकी रिपोर्ट आज राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को सौंप दी गई है.
बता दें कि युवती निशा की मौत मामले में राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल देहरादून के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर धनंजय डोभाल की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने सभी पहलुओं की बारीकी से जांच की. साथ ही उस रात अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ से लिखित में घटनाक्रम की जानकारी ली. अस्पताल प्रशासन ने परिजनों की ओर से लगाए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए ड्यूटी में तैनात डॉक्टर और तीन नर्सिंग स्टाफ को इमरजेंसी ड्यूटी से हटा दिया था. अब जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट प्राचार्य को सौंप दी है.
दो अस्पतालों से रेफर की गई थी युवकी, जांच रिपोर्ट में कई खुलासेः दून अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर अनुराग अग्रवाल ने बताया कि जांच में यह सामने आया है कि अस्पताल में भर्ती कराई गई युवती दो जगह से रेफर की गई थी. उसे गंभीर अवस्था में भर्ती कराया गया था. युवती के 24 हजार प्लेटलेट्स काउंट बताए गए, लेकिन मरीज की कोई डेंगू जांच रिपोर्ट नहीं थी. उसका ब्लड प्रेशर भी काफी कम था. डॉक्टर अनुराग ने बताया कि निशा शॉक में थी. उसे पेट दर्द, बुखार और हल्के खून आने की शिकायत थी.
डॉक्टर अनुराग अग्रवाल के मुताबिक, मरीज निशा में डेंगू हेमरेजिक सिंड्रोम जैसे लक्षण थे. ऐसे में इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ ने उसे शॉक से उबारने के लिए इलाज शुरू किया, लेकिन कुछ देर बाद मरीज कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में आ गई. उसके बाद अस्पताल की स्टाफ की ओर से युवती को सीपीआर दिया गया, लेकिन इसी बीच लड़की की मौत हो गई. उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि लड़की के इलाज में मेडिकल स्टाफ की ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती गई.
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क्या था मामला? बीती मंगलवार को विकासनगर के अस्पताल से रेफर की गई समाल्टा गांव की निशा (उम्र 18 वर्ष) को दून अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन इलाज के दौरान युवती की मौत हो गई थी. इसके बाद अस्पताल की इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की परिजनों के साथ तीखी नोकझोंक हुई. मामला बिगड़ता देख अस्पताल प्रशासन को पुलिस बुलानी पड़ी.
परिजनों का कहना था कि निशा इमरजेंसी की पार्किंग से खुद चलकर अंदर आई थी. रात के समय निशा के बराबर में एक और महिला भर्ती हुई थी. जिसने जहर खाया हुआ था. परिजनों ने आरोप लगाए कि इस महिला को दिए जाने वाला इंजेक्शन निशा को लगा दिया गया. इसके बाद अचानक उसकी हालत बिगड़ने लगी और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई. इस दौरान इमरजेंसी में हंगामा होता रहा.
वहीं, मामले की गंभीरता को देखते हुए दून अस्पताल प्रशासन ने डिप्टी मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर धनंजय डोभाल की अध्यक्षता में चार सदस्यीय जांच कमिटी का गठन किया और 2 दिन में रिपोर्ट सौंपने को कहा. जिसके बाद आज जांच रिपोर्ट सौंप दी है. वहीं, पोस्टमार्टम के बाद युवती के शव को परिजनों को सौंप दिया गया है. हालांकि, अभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी बाकी है. जिससे ही निशा की मौत की असली वजह सामने आ पाएगी. आज कमेटी की रिपोर्ट सौंप दी है.