भोपाल(मध्यप्रदेश): इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी को मनाया जाएगा, हिंदू पंचांग के अनुसार शिवरात्रि का दिन बेहद खास माना जाता है. शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन भक्त भोलेनाथ की पूजा और व्रत करते हैं. शिवपुराण के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहा जाता है. महाशिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है.
शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन ज्योतिषीय उपाय करने से आपकी सभी परेशानियां खत्म हो सकती हैं. महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल के दौरान महादेव और पार्वती की पूजा की जानी चाहिए, तभी इसका फल मिलता है. शिवरात्रि के मौके पर उज्जैन के महाकाल मंदिर और खंडवा के ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर भक्तों का तांता लगता है. ऐसे में मंदिर पहुंचते ही श्रद्धालुओं को ध्यान रखना होगा कि दर्शन के लिए व्यवस्था कैसी है.
महाकाल मंदिर में ऐसी रहेगी व्यवस्था
- महाशिवरात्रि पर गर्भगृह में प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा.
- वीआईपी को भी बाहर से ही दर्शन करने होंगे.
- महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान महाकाल के दर्शन के लिए चार प्रवेश द्वार रहेंगे.
- सामान्य दर्शनार्थी का प्रवेश माधव न्यास से स्थायी जिगजैग होते हुए फैसिलिटी सेंटर से होगा.
- वीआईपी, पासधारक और 251 रुपए की रसीद लेने वाले दर्शनार्थियों के लिए व्यवस्था शंख चौराहा होते हुए फैसिलिटी सेंटर से प्रवेश रहेगा.
- वीवीआईपी दर्शनार्थियों की प्रवेश व्यवस्था महाकाल प्रवचन हॉल से रहेगी.
- दिव्यांग के प्रवेश की व्यवस्था भस्म आरती गेट से रहेगी.
- श्रद्धालुओं को कतार में लगने से पहले जूते-चप्पल हरसिद्धि मार्ग पर बने काउंटरों पर रखना होगा.
- जूते-चप्पल रखते वक्त श्रद्धालुओं को टोकन और रैक नंबर दिया जाएगा.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में ऐसी रहेगी व्यवस्था
- शिवरात्रि के मौके पर 20 फरवरी से 23 फरवरी तक महाशिवरात्रि का मेला लगेगा.
- मेले का मुख्य दिन 21 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जाएगा.
- इस दिन ओंकोरश्वर ज्योतिर्लिंग सहित सभी मंदिरों के पट 24 घंटे खुले रहेंगे.
- साथ ही दिन भर विभिन्न संस्थानों, संगठनों द्वारा फलाहारी प्रसाद का वितरण किया जाएगा.
पूजा का शुभ मुहूर्त
- महाशिवरात्रि 21 तारीख को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी. अगले दिन यानि 22 फरवरी दिन शनिवार को शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगी.
- रात्रि प्रहर की पूजा शाम 6 बजकर 41 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक होगी.
- अगले दिन सुबह मंदिरों में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाएगी.
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महाशिवरात्रि पूजा विधि
- भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं.
- केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं.
- पूरी रात्रि का दीपक जलाएं.
- चंदन का तिलक लगाएं.
- शिवलिंग पर शहद, पानी और दूध के मिश्रण से भोले शंकर को स्नान कराना चाहिए.
- इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, फल और फूल भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए.
- धूप और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करनी चाहिए.
- इस दिन भोले शिव को बेर चढ़ाना भी बहुत शुभ होता है.
- शिव महापुराण में कहा गया है कि दूध, दही, शहद, घी, गुड़ और पानी से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं.
पूजा विधि से लाभ
- जल से रुद्राभिषेक करने से शुद्धि.
- गुड़ से रुद्राभिषेक करने से खुशियां.
- घी से रुद्राभिषेक करने से जीत.
- शहद से रुद्राभिषेक करने से मीठी वाणी.
- दही से रुद्राभिषेक करने से समृद्धि.
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शिव पूजा का महत्व
- भगवान शिव की पूजा करते समय बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए.
- ऐसा करने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर होने के साथ ही उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं.
- पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी पावन रात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था. मान्यता ये भी है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था.