मसूरी: उत्तराखंड राज्य आंदोलन में अग्रणी नेता और पहाड़ के गांधी के नाम से प्रसिद्ध स्व. इंद्रमणि बडोनी की गुरुवार (24 दिसंबर) को जयंती (Indramani Badoni birth anniversary) मसूरी के बडोनी चौक पर बनाई गई. मसूरी इंद्रमणि विचार मंच के पदाधिकारियों ने उत्तराखंड के गांधी बडोनी के जीवन परिचय और राज्य आंदोलन में उनकी भूमिका पर के बारे में विस्तार से बताया. इस मौके पर इन्द्रमणि मणि बडोनी विचार मंच के महासचिव प्रदीप भंडारी ने कहा कि अब सरकार पहाड़ के गांधी और उनके विचारों को भूलने लगी है. उनकी जयंती पर मात्र एक काला विज्ञापन देकर इतिश्री कर लेती है. जरूरत बडोनी के विज्ञापन की नहीं है, बल्कि उत्तराखंड राज्य निर्माण की मांग के पीछे बडोनी जी के जो सपने थे, उनको जमीन पर उतारने की है.
इस मौके पर भंडारी ने कहा कि मसूरी में भी इंद्रमणि बडोनी उपेक्षा की जा रही है. नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने पिछली बार वादा किया था कि इंद्रमणि बडोनी चौक का सौंदरीकरण के साथ इंद्रमणि बडोनी की आदमकद मूर्ति लगाई जाएगी, परंतु दुर्भाग्यवश इंद्रमणि बडोनी विचार मंच के चेतावनी के बाद इंद्रमणि चौक पर पुरानी मूर्ति लगा दी गई है जो दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि सभासदों के आश्वासन के बाद आज होने वाले धरना प्रदर्शन को स्थगित किया गया है और अगर जल्द इंद्रमणि बडोनी पर नगर पालिका द्वारा आदमकद की मूर्ति नहीं लगाई जाती तो उसको लेकर प्रदर्शन किया जाएगा.
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वहीं, इन्द्रमणि मणि बडोनी विचार मंच के अध्यक्ष पूरन जुयाल ने कहा कि पहाड़ के गांधी की प्रतिमा उत्तराखंड विधानसभा, सचिवालय, मुख्यमंत्री आवास और समस्त सरकारी कार्यालयों में स्थापित होनी चाहिए. वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड के इस सच्चे सपूत ने 72 वर्ष की उम्र में 1994 में राज्य निर्माण की निर्णायक लड़ाई लड़ी और आज उनके की देन है कि उत्तरखण्ड राज्य का निर्माण हो सका. अपने अंतिम समय इलाज कराते हुए भी बडोनी जी हमेशा उत्तराखंड की बात करते थे.
जुयाल ने कहा कि 18 अगस्त 1999 को उत्तराखंड का यह सपूत हमेशा के लिये सो गया था. उन्होंने बताया कि वन अधिनियम के विरोध में उन्होंने आन्दोलन का नेतृत्व किया और पेड़ों के कारण रुके पड़े विकास कार्यों को खुद पेड़ काट कर हरी झंडी दी थी. वहीं, 1988 में तवाघाट से देहरादून तक की उन्होंने 105 दिनों की पैदल जन संपर्क यात्रा भी थी थी.