मसूरीः उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता और पर्वतीय गांधी इंद्रमणि बडोनी की जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस दौरान स्थानीय लोगों ने बडोनी चौक पर एकत्रित होकर इंद्रमणि की मूर्ति पर माल्यार्पण किया और उनके योगदान को याद किया. साथ ही उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया. वहीं, राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी के कल्पना के मुताबिक उत्तराखंड नहीं बन पाया है.
राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि महात्मा गांधी जी की जयंती पर पूरे देशभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि बडोनी की जयंती पर कोई विशेष कार्यक्रम नहीं होता है. इतना ही नहीं अधिकारी और स्थानीय प्रशासन भी उनकी जयंती को भूल जाते हैं. इसी वजह से उनकी जयंती के अवसर पर भी उनके चौक और मूर्ति की साफ-सफाई तक नहीं की गई है.
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राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण को लेकर इंद्रमणि बडोनी का अहम योगदान रहा है. उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से उत्तराखंड निर्माण को लेकर लड़ाई लड़ी थी और आज उन्हीं के योगदान स्वरूप उत्तराखंड अलग राज्य बन पाया है. उन्होंने कहा कि इंद्रमणि बडोनी ने टिहरी रियासत में प्रवेश करने के लिए चवन्नी टैक्स वसूले जाने का भी विरोध किया था. साथ ही उन्होंने साल 1988 में तवाघाट से देहरादून तक की 105 दिनों की पैदल जनसंपर्क यात्रा भी की थी.