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जयंती पर 'पहाड़ के गांधी' को किया गया याद, प्रशासन की बेरुखी पर नाराज हुए राज्य आंदोलनकारी

मसूरी में उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता और पर्वतीय गांधी इंद्रमणि बडोनी की जयंती के मौके पर उन्हें याद किया गया.

indramani badoni
इंद्रमणि बडोनी
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Published : Dec 24, 2019, 6:42 PM IST

मसूरीः उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता और पर्वतीय गांधी इंद्रमणि बडोनी की जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस दौरान स्थानीय लोगों ने बडोनी चौक पर एकत्रित होकर इंद्रमणि की मूर्ति पर माल्यार्पण किया और उनके योगदान को याद किया. साथ ही उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया. वहीं, राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी के कल्पना के मुताबिक उत्तराखंड नहीं बन पाया है.

राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि महात्मा गांधी जी की जयंती पर पूरे देशभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि बडोनी की जयंती पर कोई विशेष कार्यक्रम नहीं होता है. इतना ही नहीं अधिकारी और स्थानीय प्रशासन भी उनकी जयंती को भूल जाते हैं. इसी वजह से उनकी जयंती के अवसर पर भी उनके चौक और मूर्ति की साफ-सफाई तक नहीं की गई है.

जयंती पर 'पहाड़ के गांधी' को किया गया याद.

ये भी पढ़ेंः CM त्रिवेंद्र ने मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट अवॉर्ड मिलने पर मोदी सरकार को कहा- धन्यवाद

राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण को लेकर इंद्रमणि बडोनी का अहम योगदान रहा है. उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से उत्तराखंड निर्माण को लेकर लड़ाई लड़ी थी और आज उन्हीं के योगदान स्वरूप उत्तराखंड अलग राज्य बन पाया है. उन्होंने कहा कि इंद्रमणि बडोनी ने टिहरी रियासत में प्रवेश करने के लिए चवन्नी टैक्स वसूले जाने का भी विरोध किया था. साथ ही उन्होंने साल 1988 में तवाघाट से देहरादून तक की 105 दिनों की पैदल जनसंपर्क यात्रा भी की थी.

मसूरीः उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता और पर्वतीय गांधी इंद्रमणि बडोनी की जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस दौरान स्थानीय लोगों ने बडोनी चौक पर एकत्रित होकर इंद्रमणि की मूर्ति पर माल्यार्पण किया और उनके योगदान को याद किया. साथ ही उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया. वहीं, राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी के कल्पना के मुताबिक उत्तराखंड नहीं बन पाया है.

राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि महात्मा गांधी जी की जयंती पर पूरे देशभर में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, लेकिन उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि बडोनी की जयंती पर कोई विशेष कार्यक्रम नहीं होता है. इतना ही नहीं अधिकारी और स्थानीय प्रशासन भी उनकी जयंती को भूल जाते हैं. इसी वजह से उनकी जयंती के अवसर पर भी उनके चौक और मूर्ति की साफ-सफाई तक नहीं की गई है.

जयंती पर 'पहाड़ के गांधी' को किया गया याद.

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राजनीतिक और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण को लेकर इंद्रमणि बडोनी का अहम योगदान रहा है. उन्होंने शांतिपूर्ण तरीके से उत्तराखंड निर्माण को लेकर लड़ाई लड़ी थी और आज उन्हीं के योगदान स्वरूप उत्तराखंड अलग राज्य बन पाया है. उन्होंने कहा कि इंद्रमणि बडोनी ने टिहरी रियासत में प्रवेश करने के लिए चवन्नी टैक्स वसूले जाने का भी विरोध किया था. साथ ही उन्होंने साल 1988 में तवाघाट से देहरादून तक की 105 दिनों की पैदल जनसंपर्क यात्रा भी की थी.

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मसूरी में इंद्रमणि बडोनी विचार स्मृति मंच द्वारा संस्कृति दिवस के मौके पर पहाड़ के गांधी के नाम से विख्यात स्वर्गी इंद्रमणि बडोनी जी के का जन्म दिवस बड़ी धूमधाम के साथ मनाया इस मौके पर मसूरी के कई लोग मसूरी के बडोनी चौक पर एकत्रित हुए और बडोनी जी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उनको याद किया वहीं उनके मार्ग पर चलने का आह्वान किया बरौनी चौक पर व्याप्त गंदगी और स्थानीय प्रशासन का कोई भी नुमाइंदा ना होने को लेकर लोगों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की उन्होंने कहा कि एक और महात्मा गांधी जी के जन्म उत्सव को लेकर विशेष कार्यक्रम पूरे देश भर में आयोजित किए जाते हैं परंतु उत्तराखंड के गांधी कहे जाने वाले इंद्रमणि बडोनी जी की जयंती के अवसर को लगता है अधिकारी और स्थानीय प्रशासन भूल गए हैं इस वजह से उनकी जयंती के अवसर पर उनके चौक और मूर्ति हिसाब सफाई तक नहीं की गई


Body:इस मौके पर राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के लोगों ने कहा कि इंद्रमणि बडोनी जी उत्तराखंड के गांधी के नाम से पूरे देश में जाने जाते हैं क्योंकि उत्तराखंड निर्माण को लेकर इंद्रमणि बडोनी का अहम योगदान रहा है उनके द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से उत्तराखंड निर्माण को लेकर लड़ाई लड़ी गई और आज उन्हीं की लड़ाई का परिणाम है कि उत्तराखंड अलग राज्य बनकर बन पाया है उन्होंने कहा कि इंद्रमणि बडोनी टिहरी रियासत में प्रवेश करने के लिए चवन्नी टैक्स वसूले जाने का भी उनके द्वारा विरोध किया गया था वक्ताओं ने कहा कि जिस उत्तराखंड की कल्पना स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी ने की थी वह उत्तराखंड नहीं बन पाया आज भी उत्तराखंड पूर्व की भांति उपेक्षित है पहाड़ से पलायन के साथ गांव खाली हो रहे हैं शिक्षा का हाल बेहाल है युवा बेरोजगार घूम रहे हैं परंतु प्रदेश के सरकारों द्वारा इस दिशा में कोई भी सार्थक कार्य नहीं किया गया उन्होंने कहा कि इंद्रमणि बडोनी द्वारा 1988 में तवाघाट से देहरादून तक की 105 दिनों की पैदल जनसंपर्क यात्रा की थी


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