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उत्तराखंड से सटे चीन बॉर्डर तक जाने वाली सड़कों का हाल, जानिए बीआरओ की जुबानी - Garhwal Region

भारत का पड़ोसी देश चाइना लगातार सीमा पर अपनी सुविधाओं का विकास कर रहा है. वहीं हमारे देश की तरफ से भी लगातार सीमा सुरक्षा और सीमाओं की ओर जाने वाले मार्गों को हाईटेक किया जा रहा है. खासतौर से उत्तराखंड से चाइना बॉर्डर की ओर जाने वाली सड़कों को क्या कुछ हाल है, आइए आपको बताते हैं.

Border Roads in Uttarakhand
चीन बॉर्डर तक सड़कों का हाल
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Published : Dec 26, 2022, 11:21 AM IST

Updated : Dec 26, 2022, 2:10 PM IST

उत्तराखंड में चीन बॉर्डर तक जाने वाली सड़कों का हाल.

देहरादून: भारत और चीन की सेनाओं के बीच हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हुई झड़प के बाद सीमा सुरक्षा को लेकर बहस शुरू हो गई है. भारत की चीन से लगती सीमाओं में उत्तराखंड राज्य में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उत्तराखंड राज्य का 350 किलोमीटर का बॉर्डर तिब्बत से लगता है. उत्तराखंड की सीमा से लगने वाले बॉर्डर पर चीन सड़क, रेल और एयर कनेक्टीविटी बढ़ा रहा है. वहीं, उत्तराखंड की तरफ से भी लगातार चीन सीमा तक सेनाओं की पहुंच को आसान बनाने के लिए सड़कों और पुलों का जाल बिछाया जा रहा है. इसमें बीआरओ (Border Roads Organisation) सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

गढ़वाल क्षेत्र से लगने वाली बॉर्डर की सड़कें: उत्तराखंड के गढ़वाल रीजन की अगर बात करें तो गढ़वाल से चीन सीमा पर जाने वाली सड़कों में NH-58 जोशीमठ से माना पास तक बीआरओ के पास है. ये नेशनल हाईवे तकरीबन 130 किलोमीटर का है. यह बदरीनाथ तक डबल लेन प्रस्तावित है. उसके बाद सिंगल लेन है. इसके अलावा गंगोत्री वाले मार्ग पर भैरव घाटी से मंडी के तक 70 किलोमीटर की सड़क भी बीआरओ के पास है. जोशीमठ से नीती पास जो कि मलारी होते हुए तिब्बत बॉर्डर तक 100 किलोमीटर की सड़क है, यह भी सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. बीआरओ इसका रखरखाव कर रहा है.

बीआरओ के अधिकारी ब्रिगेडियर राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि ज्यादातर सड़कों को डबल लेन किया जा चुका है. वहीं, बाकी सड़कों को भी डबल लेन किया जाना प्रस्तावित है. उन्होंने बताया कि लगातार सीमाओं पर जाने वाली सड़कों को विकसित किया जा रहा है और इन्हें सुगम बनाया जा रहा है. इसके अलावा स्थानीय लोक निर्माण विभाग के पास भी कई छोटी-बड़ी ऐसी सड़कें हैं, जो कि सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं. पौड़ी रीजन से लोक निर्माण विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर दयानंद बताते हैं कि बीआरओ और एनएच डिवीजन के अलावा उनके पास चमोली में 15 और उत्तरकाशी में 5 सड़के हैं. इन सभी सड़कों को लगातार खुला रखने के लिए विभाग तत्पर रहता है.
ये भी पढ़ें- नैनीताल हाईकोर्ट समेत उत्तराखंड की सभी अदालतों में मास्क जरूरी, ये है गाइडलाइन

कुमाऊं क्षेत्र से लगने वाली चाइना बॉर्डर की सड़कें: उत्तराखंड के गढ़वाल रीजन के बाद कुमाऊं क्षेत्र में पिथौरागढ़ धारचूला डिवीजन में सभी सीमावर्ती सड़कें आती हैं. विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर एबी कांडपाल ने बताया कि पिथौरागढ़ में चार से पांच सड़कें पिथौरागढ़ चाइना बॉर्डर की तरफ जाती हैं, जिसमें पिथौरागढ़ से मुनस्यारी तवाघाट और जौलजीबी से होकर सीमांत इलाकों में जाती हैं. इन सभी सड़कों का रखरखाव बीआरओ के पास है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर सड़कें सिंगल लेन हैं. हालांकि, इन्हें डबल लेन किए जाने का प्रस्ताव लंबित है. इसके अलावा कई अन्य छोटी-बड़ी सड़कें भी हैं, जो वैकल्पिक मार्ग या फिर अन्य तरीकों से सामरिक मार्गों से जुड़ी हुई हैं. लोक निर्माण विभाग इनको लगातार मेंटेन करने का काम कर रहा है. हालांकि, मॉनसून सीजन में सड़कों के बंद होने पर उनको तीव्र गति से खोला जाता है.

उत्तराखंड में चीन बॉर्डर तक जाने वाली सड़कों का हाल.

देहरादून: भारत और चीन की सेनाओं के बीच हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हुई झड़प के बाद सीमा सुरक्षा को लेकर बहस शुरू हो गई है. भारत की चीन से लगती सीमाओं में उत्तराखंड राज्य में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उत्तराखंड राज्य का 350 किलोमीटर का बॉर्डर तिब्बत से लगता है. उत्तराखंड की सीमा से लगने वाले बॉर्डर पर चीन सड़क, रेल और एयर कनेक्टीविटी बढ़ा रहा है. वहीं, उत्तराखंड की तरफ से भी लगातार चीन सीमा तक सेनाओं की पहुंच को आसान बनाने के लिए सड़कों और पुलों का जाल बिछाया जा रहा है. इसमें बीआरओ (Border Roads Organisation) सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

गढ़वाल क्षेत्र से लगने वाली बॉर्डर की सड़कें: उत्तराखंड के गढ़वाल रीजन की अगर बात करें तो गढ़वाल से चीन सीमा पर जाने वाली सड़कों में NH-58 जोशीमठ से माना पास तक बीआरओ के पास है. ये नेशनल हाईवे तकरीबन 130 किलोमीटर का है. यह बदरीनाथ तक डबल लेन प्रस्तावित है. उसके बाद सिंगल लेन है. इसके अलावा गंगोत्री वाले मार्ग पर भैरव घाटी से मंडी के तक 70 किलोमीटर की सड़क भी बीआरओ के पास है. जोशीमठ से नीती पास जो कि मलारी होते हुए तिब्बत बॉर्डर तक 100 किलोमीटर की सड़क है, यह भी सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. बीआरओ इसका रखरखाव कर रहा है.

बीआरओ के अधिकारी ब्रिगेडियर राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि ज्यादातर सड़कों को डबल लेन किया जा चुका है. वहीं, बाकी सड़कों को भी डबल लेन किया जाना प्रस्तावित है. उन्होंने बताया कि लगातार सीमाओं पर जाने वाली सड़कों को विकसित किया जा रहा है और इन्हें सुगम बनाया जा रहा है. इसके अलावा स्थानीय लोक निर्माण विभाग के पास भी कई छोटी-बड़ी ऐसी सड़कें हैं, जो कि सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं. पौड़ी रीजन से लोक निर्माण विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर दयानंद बताते हैं कि बीआरओ और एनएच डिवीजन के अलावा उनके पास चमोली में 15 और उत्तरकाशी में 5 सड़के हैं. इन सभी सड़कों को लगातार खुला रखने के लिए विभाग तत्पर रहता है.
ये भी पढ़ें- नैनीताल हाईकोर्ट समेत उत्तराखंड की सभी अदालतों में मास्क जरूरी, ये है गाइडलाइन

कुमाऊं क्षेत्र से लगने वाली चाइना बॉर्डर की सड़कें: उत्तराखंड के गढ़वाल रीजन के बाद कुमाऊं क्षेत्र में पिथौरागढ़ धारचूला डिवीजन में सभी सीमावर्ती सड़कें आती हैं. विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर एबी कांडपाल ने बताया कि पिथौरागढ़ में चार से पांच सड़कें पिथौरागढ़ चाइना बॉर्डर की तरफ जाती हैं, जिसमें पिथौरागढ़ से मुनस्यारी तवाघाट और जौलजीबी से होकर सीमांत इलाकों में जाती हैं. इन सभी सड़कों का रखरखाव बीआरओ के पास है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर सड़कें सिंगल लेन हैं. हालांकि, इन्हें डबल लेन किए जाने का प्रस्ताव लंबित है. इसके अलावा कई अन्य छोटी-बड़ी सड़कें भी हैं, जो वैकल्पिक मार्ग या फिर अन्य तरीकों से सामरिक मार्गों से जुड़ी हुई हैं. लोक निर्माण विभाग इनको लगातार मेंटेन करने का काम कर रहा है. हालांकि, मॉनसून सीजन में सड़कों के बंद होने पर उनको तीव्र गति से खोला जाता है.

Last Updated : Dec 26, 2022, 2:10 PM IST
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