देहरादून: विकास कार्यों के लिए मुख्यमंत्रियों से लड़कर कामों को पूरा कराने के यूं तो कई उदाहरण हैं, लेकिन एक समय वह भी था जब इंदिरा हृदयेश ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी विकास कार्यों की फाइल पर साइन करने को मजबूर कर दिया था. यही नहीं हल्द्वानी में बनने वाले अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के निर्माण को लेकर इंदिरा हृदयेश हरीश रावत तक से भिड़ गई थी.
उत्तराखंड की आयरन लेडी इंदिरा हृदयेश भले ही हमारे बीच न हों, लेकिन उनके कामों से जुड़ी कई यादें हमारे बीच मौजूद हैं. इन्ही में हल्द्वानी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम से जुड़ा वो किस्सा भी है, जिसमें उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी चुनौती दे दी थी.
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दरअसल, इंदिरा हृदेश हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के निर्माण के जरिए कुमाऊं क्षेत्र में खेल को लेकर बेहतर माहौल तैयार करना चाहती थीं. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत स्टेडियम बनाए जाने के पक्ष में नहीं थे. वह स्टेडियम से जुड़ी फाइल पर साइन नहीं कर रहे थे. इसके बाद इंदिरा हृदयेश ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के सामने ही फाइल को हटाकर दो टूक कहा कि भले ही हरीश जी आप इस स्टेडियम को ना बनवाएं, लेकिन मैं कहीं से भी इस स्टेडियम को बनवा कर ही रहूंगी.
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इंदिरा हृदयेश का यह रूप देखकर हरीश रावत भी चकित रह गए थे. कहते हैं कि हरीश रावत इंदिरा के इस रवैया के सामने आखिरकार झुक गए. उन्हें स्टेडियम से जुड़ी उस फाइल पर साइन करने पड़े. दरअसल, इंदिरा हृदयेश संसदीय ज्ञान की बदौलत विधानसभा में तो प्रदेश और क्षेत्र की तमाम बातों को लेकर हल्ला बोलती ही थी, बल्कि वो क्षेत्र के लिए किसी से मौके पर अपनी बात रखने से नहीं चूकती थीं.
इंदिरा हृदयेश को जानें
- 1 अप्रैल 1941 को इंदिरा हृदयेश का जन्म हुआ.
- 1974 में पहली बार उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में चुनी गई.
- 1986, 1992, 1998 में भी उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए चुनी गई.
- 2000 में अंतरिम उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनी.
- उत्तराखंड में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो उनको संसदीय कार्य, लोक निर्माण विभाग समेत कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई.
- 2007 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हार गयी थी लेकिन 2012 में फिर चुनाव जीती.
- विजय बहुगुणा एवं हरीश रावत की सरकार में मंत्री भी बनी.
- इस दौरान उनको वित्त मंत्री भी बनाया गया था.
- 2017 में चुनाव जीती और नेता प्रतिपक्ष फिर बनी.