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उत्तराखंड में बनेगा देश का पहला इंटीग्रेटेड फायर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, सीएम ने दिए निर्देश - Forest Headquarters Dehradun

सीएम ने कहा कि 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं तैयार रखी जाए. वनों एवं वन्यजीवों की रक्षा करना सबका दायित्व है. साथ ही अधिकारियों को वन मुख्यालय पर तत्काल इंटीग्रेटेड फायर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापना करने के निर्देश दिए.

पहला इंटीग्रेटेड फायर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर
पहला इंटीग्रेटेड फायर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर
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Published : Feb 12, 2021, 7:51 PM IST

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वन मुख्यालय देहरादून में वनाग्नि प्रबंधन एवं सुरक्षा को लेकर बैठक की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को वन मुख्यालय पर तत्काल इंटीग्रेटेड फायर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापना करने के निर्देश दिए.

वनाग्नि प्रबंधन के लिए यह देश का पहला सेंटर होगा. इस सेंटर के माध्यम से सैटेलाइट से सीधे फायर संबंधित सूचनाओं को एकत्रित कर फील्ड लेवल तक पहुंचाने की व्यवस्था की जायेगी. इसमें फॉरेस्ट टोल फ्री नम्बर 1926 की व्यवस्था के साथ ही अन्य आधुनिक व्यवस्थाएं होंगी. सीएम ने कहा कि 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं तैयार रखी जाए. वनों एवं वन्यजीवों की रक्षा करना सबका दायित्व है. वहीं, सीएम ने कैंपा मद से प्राप्त बाइकों को हरी झंडी दिखाई एवं स्टेट फायर प्लान के प्रति का अनावरण भी किया.

ये भी पढ़ें: आपदा में लापता लोगों के परिजनों का हंगामा, शासन-प्रशासन पर लगाये गंभीर आरोप

राज्य में वनाग्नि को लेकर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ बातचीत की और कई अभूतपूर्व निर्णय भी लिए. खास बात यह थी कि वन विभाग से जुड़ी इस महत्वपूर्ण बैठक में वन मंत्री हरक सिंह ही नदारद रहें. हालांकि इस सबसे हटकर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वनाग्नि को बुझाने में जान गंवाने वाले फ्रंटलाइन फॉरेस्ट स्टॉफ के आश्रितों को दी जाने वाली धनराशि 2.5 लाख से बढ़कार 15 लाख रुपए की जाएगी. गढ़वाल वन प्रभाग, पौड़ी के वनकर्मी हरिमोहन सिंह एवं फॉरेस्टर दिनेश लाल को वनाग्नि बुझाते समय अपनी जान गंवानी पड़ी थी. बैठक शुरू होने से पहले दोनों कार्मिको के लिए दो मिनट का मौन रखा गया.

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि प्रबंधन के लिए एक अपर प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाए. राज्य में वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए इनके द्वारा मॉनिटरिंग की जायेगी. वनाग्नि प्रबंधन हेतु समय कंट्रोल बर्निंग (पहाड़ के टॉप से नीचे की ओर) तथा फॉरेस्ट फायर लाइन के रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाए. इसमें आ रही बाधाओं का जल्द निराकरण किया जाए.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जुड़े सभी जिलाधिकारियों एवं डीएफओ को निर्देश दिये कि वनाग्नि प्रबंधन के लिए सभी व्यवस्थाएं तैयार रखी जाए. आवश्यक उपकरणों की पूर्ण व्यवस्था के साथ ही एसडीआरएफ मद से भी उपकरण ले सकते हैं.

वनाग्नि को रोकने के लिए पिरूल एकत्रीकरण की व्यवस्था की जाए एवं समय-समय पर जिलाधिकारी स्तर पर बैठकें आयोजित की जाए. सीएम ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि वनाग्नि में जान गंवाने वालों को शीघ्र मानकों के अनुसार मुआवजा मिल जाए. उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि फायर सीजन के दौरान वन विभाग के नियंत्रणाधीन वाहनों को अधिग्रहण न किया जाए.

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वन मुख्यालय देहरादून में वनाग्नि प्रबंधन एवं सुरक्षा को लेकर बैठक की. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को वन मुख्यालय पर तत्काल इंटीग्रेटेड फायर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापना करने के निर्देश दिए.

वनाग्नि प्रबंधन के लिए यह देश का पहला सेंटर होगा. इस सेंटर के माध्यम से सैटेलाइट से सीधे फायर संबंधित सूचनाओं को एकत्रित कर फील्ड लेवल तक पहुंचाने की व्यवस्था की जायेगी. इसमें फॉरेस्ट टोल फ्री नम्बर 1926 की व्यवस्था के साथ ही अन्य आधुनिक व्यवस्थाएं होंगी. सीएम ने कहा कि 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं तैयार रखी जाए. वनों एवं वन्यजीवों की रक्षा करना सबका दायित्व है. वहीं, सीएम ने कैंपा मद से प्राप्त बाइकों को हरी झंडी दिखाई एवं स्टेट फायर प्लान के प्रति का अनावरण भी किया.

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राज्य में वनाग्नि को लेकर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ बातचीत की और कई अभूतपूर्व निर्णय भी लिए. खास बात यह थी कि वन विभाग से जुड़ी इस महत्वपूर्ण बैठक में वन मंत्री हरक सिंह ही नदारद रहें. हालांकि इस सबसे हटकर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि वनाग्नि को बुझाने में जान गंवाने वाले फ्रंटलाइन फॉरेस्ट स्टॉफ के आश्रितों को दी जाने वाली धनराशि 2.5 लाख से बढ़कार 15 लाख रुपए की जाएगी. गढ़वाल वन प्रभाग, पौड़ी के वनकर्मी हरिमोहन सिंह एवं फॉरेस्टर दिनेश लाल को वनाग्नि बुझाते समय अपनी जान गंवानी पड़ी थी. बैठक शुरू होने से पहले दोनों कार्मिको के लिए दो मिनट का मौन रखा गया.

बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि प्रबंधन के लिए एक अपर प्रमुख वन संरक्षक स्तर के अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाए. राज्य में वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए इनके द्वारा मॉनिटरिंग की जायेगी. वनाग्नि प्रबंधन हेतु समय कंट्रोल बर्निंग (पहाड़ के टॉप से नीचे की ओर) तथा फॉरेस्ट फायर लाइन के रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाए. इसमें आ रही बाधाओं का जल्द निराकरण किया जाए.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जुड़े सभी जिलाधिकारियों एवं डीएफओ को निर्देश दिये कि वनाग्नि प्रबंधन के लिए सभी व्यवस्थाएं तैयार रखी जाए. आवश्यक उपकरणों की पूर्ण व्यवस्था के साथ ही एसडीआरएफ मद से भी उपकरण ले सकते हैं.

वनाग्नि को रोकने के लिए पिरूल एकत्रीकरण की व्यवस्था की जाए एवं समय-समय पर जिलाधिकारी स्तर पर बैठकें आयोजित की जाए. सीएम ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि वनाग्नि में जान गंवाने वालों को शीघ्र मानकों के अनुसार मुआवजा मिल जाए. उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि फायर सीजन के दौरान वन विभाग के नियंत्रणाधीन वाहनों को अधिग्रहण न किया जाए.

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