देहरादून: भारतीय उद्यमी महिला संघ ने एक दिवसीय उत्तराखंड स्टेट कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. इसके तहत उत्तराखंड की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पादों को देश-विदेश में बाजार देने के उद्देश्य पर चर्चा की गई. इस मौके पर महिलाओं को उनके बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर जागरूक किया गया. साथ ही भौगोलिक संकेत और ट्रेड के बारे में बताया गया.
इस कॉन्फ्रेंस में महिलाओं को सूक्ष्म एवं लघु उद्योग विकास के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी. संघ की चेयरपर्सन शशि सिंह ने बताया कि संघ का उद्देश्य सार्क, एशिया प्रशांत क्षेत्र, मॉरीशस, मिस्र, लैटिन अमेरिका, मलेशिया, अफ्रीका और विकासशील देशों के प्रतिनिधियों को आर्थिक उत्थान के साथ ही महिला उत्थान संबंधी विषयों पर विचार करने के लिए साझे मंच पर लाना, जिससे उत्तराखंड के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके.
उत्तराखंड के उत्पादों की बात करें तो यहां महिलाओं द्वारा जहां रिंगाल, भीमल से घरों में इस्तेमाल होने वाले तरह-तरह के खूबसूरत उत्पाद तैयार किए जाते हैं. वहीं, दूसरी तरफ महिलाओं के कई पारंपरिक आभूषण भी यहां तैयार किए जा रहे हैं. जिन्हें देश के अन्य राज्यों में भी बेचा जा रहा है, लेकिन यह उत्पाद उत्तराखंड में बने हैं इसकी जानकारी खरीदारों तक नही पहुंच पाती.
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इसके अलावा उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में कई ऊनी कपड़े और कालीन (carpet) भी तैयार होती हैं, जो देश के अन्य राज्यों में काफी पसंद की जाती हैं. ब्रांडिंग न होने से यह उत्पाद अब तक भी अपनी अलग पहचान नहीं बना पाए हैं. हालांकि सरकार अपने स्तर से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत छोटे उद्योगों को प्रोत्साहित करने में जुटी हुई है.
इसके साथ ही विभिन्न ई-शॉपिंग साइट्स में भी आज उत्तराखंड के यह उत्पाद बेचे जा रहे हैं, लेकिन अभी भी यह उत्पाद उत्तराखंड के नाम से अपनी अलग पहचान बनाने में पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं. इस विशेष कॉन्फ्रेंस में आज उत्तराखंड के लगभग 80 एमएसएमई (Micro, Small and Medium Enterprises) जुड़े थे. वहीं, इन एमएसएमई के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने उत्पादों के स्टॉल भी लगाए गए थे.
उत्पादकों का कहना है कि उत्तराखंड के उत्पादों की अलग से ब्रांडिंग की व्यवस्था की जाए. जिससे बाहरी राज्यों में जब यह उत्पाद बेचे जाएं तो लोगों को यह पता चले कि उत्पाद उत्तराखंड में तैयार किए गए हैं.