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चिलचिलाती गर्मी में बढ़ रही स्किन डिजीज के मरीजों की संख्या, ऐसे करें बचाव

गर्मियों में चटक धूप ढेर सारी चिंताएं लेकर आती है, जिसमें सावधानी आपको स्किन डिजीज की समस्या से निजात दिला सकती है. गर्मियों के मौसम में ड्राइहीट और फंगल इन्फेक्शन की बीमारियां अचानक बढ़ जाती हैं.

गर्मी में बढ़ रहे चर्म रोग के मरीज.
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Published : Apr 25, 2019, 9:32 AM IST

देहरादून: राजधानी देहरादून में दिनों-दिन स्किन डिजीज के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. गर्मी के सीजन में मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है. सीजन में हॉस्पटल में चर्म रोग के मरीजों की ओपीडी का आंकड़ा 100 से 150 के बीच पहुंच जाता है. वहीं, आजकल अस्पतला में ओपीडी का आंकड़ा बढ़कर 330 तक पहुंच गया है. जिसमें 15 से 35 वर्ष के युवक और युवतियां अपनी स्किन की समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं.

हॉस्पिटल में बढ़ रही स्किन डिजीज के मरीजों की संख्या.

दिनों-दिन बढ़ रही मरीजों की संख्या
गर्मियों में चटक धूप ढेर सारी चिंताएं लेकर आती है, जिसमें सावधानी आपको स्किन डिजीज की समस्या से निजात दिला सकती है. गर्मियों के मौसम में ड्राइहीट और फंगल इन्फेक्शन की बीमारियां अचानक बढ़ जाती हैं.वहीं दून मेडिकल कॉलेज के स्किन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और एचओडी डॉक्टर सादिक उमर के मुताबिक पसीने की वजह से दाद, खुजली और सनबर्न के केसों मे आम दिनों की तुलना मे ज्यादा देखी जा रही है. सीजन मे चर्म रोग के मरीजों की ओपीडी का आंकड़ा 100 से 150 के बीच होता है, तो वहीं आजकल ओपीडी का आंकड़ा बढ़कर 330 हो गया है. जिसमें 15 से 35 वर्ष के युवक और युवतियां अपनी स्किन की समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं.

ऐसे करें बचाव
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सादिक उमर ने बताया कि जैसे- जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है लोगों मे ड्राई हीट की समस्या भी बढ़ती जा रही है, ड्राईहीट त्वचा से काफी सारा मॉस्चर खींच लेती है. वहीं एक्यूट सनबर्न के दौरान चेहरे की त्वचा कहीं-कहीं से रुखी हो जाती है, जिसमें खुजली और खिंचाव के लक्षण दिखाई देते हैं. लोग कोशिश करें कि धूप में अनावश्यक ना घूमे, यदि जरूरी हो तभी घर या ऑफिस से बाहर निकलें. फीमेल धूप के दौरान अपना चेहरा ढककर चलें या फिर छाते का उपयोग करें. इससे त्वचा का कुछ हद तक बचाव किया जा सकता है.

ये होते हैं बीमारी के लक्षण
डॉ. उमर ने बताया कि धूप में निकलने से पूर्व अगर अच्छी सनस्क्रीन अपनी त्वचा में लगाई जाए तो कुछ हद तक सनबर्न से बचाव किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि दून अस्पताल में फंगल इन्फेक्शन्स के केसों में भी बढ़ोतरी हुई है, अमूमन पसीने की वजह से जांघ कूल्हों में दाद के लक्षण दिखाई देते हैं. ये लक्षण महिलाओं और पुरुष दोनों में पाये जा रहे हैं, जिन व्यक्तियों का ज्यादा देर तक खड़े रहने या देर तक बैठने का काम है, या फिर वाहन चलाने के दौरान पसीना आ रहा है, तो ऐसे लोगों में दाद होने के लक्षण बढ़ जाते हैं.

लक्षण दिखाई देने पर ये न करें
उन्होंने कहा कि कई मरीज डॉक्टर को दिखाने के बजाय खुद ही मेडिकल स्टोर पर जाकर दवाइयां व स्किन की ट्यूब खरीद लेते हैं जिससे चर्म रोग के क्रॉनिक स्टेज पर पहुंचने की संभावनाएं बढ़ जाती है.

देहरादून: राजधानी देहरादून में दिनों-दिन स्किन डिजीज के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. गर्मी के सीजन में मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है. सीजन में हॉस्पटल में चर्म रोग के मरीजों की ओपीडी का आंकड़ा 100 से 150 के बीच पहुंच जाता है. वहीं, आजकल अस्पतला में ओपीडी का आंकड़ा बढ़कर 330 तक पहुंच गया है. जिसमें 15 से 35 वर्ष के युवक और युवतियां अपनी स्किन की समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं.

हॉस्पिटल में बढ़ रही स्किन डिजीज के मरीजों की संख्या.

दिनों-दिन बढ़ रही मरीजों की संख्या
गर्मियों में चटक धूप ढेर सारी चिंताएं लेकर आती है, जिसमें सावधानी आपको स्किन डिजीज की समस्या से निजात दिला सकती है. गर्मियों के मौसम में ड्राइहीट और फंगल इन्फेक्शन की बीमारियां अचानक बढ़ जाती हैं.वहीं दून मेडिकल कॉलेज के स्किन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और एचओडी डॉक्टर सादिक उमर के मुताबिक पसीने की वजह से दाद, खुजली और सनबर्न के केसों मे आम दिनों की तुलना मे ज्यादा देखी जा रही है. सीजन मे चर्म रोग के मरीजों की ओपीडी का आंकड़ा 100 से 150 के बीच होता है, तो वहीं आजकल ओपीडी का आंकड़ा बढ़कर 330 हो गया है. जिसमें 15 से 35 वर्ष के युवक और युवतियां अपनी स्किन की समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं.

ऐसे करें बचाव
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सादिक उमर ने बताया कि जैसे- जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है लोगों मे ड्राई हीट की समस्या भी बढ़ती जा रही है, ड्राईहीट त्वचा से काफी सारा मॉस्चर खींच लेती है. वहीं एक्यूट सनबर्न के दौरान चेहरे की त्वचा कहीं-कहीं से रुखी हो जाती है, जिसमें खुजली और खिंचाव के लक्षण दिखाई देते हैं. लोग कोशिश करें कि धूप में अनावश्यक ना घूमे, यदि जरूरी हो तभी घर या ऑफिस से बाहर निकलें. फीमेल धूप के दौरान अपना चेहरा ढककर चलें या फिर छाते का उपयोग करें. इससे त्वचा का कुछ हद तक बचाव किया जा सकता है.

ये होते हैं बीमारी के लक्षण
डॉ. उमर ने बताया कि धूप में निकलने से पूर्व अगर अच्छी सनस्क्रीन अपनी त्वचा में लगाई जाए तो कुछ हद तक सनबर्न से बचाव किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि दून अस्पताल में फंगल इन्फेक्शन्स के केसों में भी बढ़ोतरी हुई है, अमूमन पसीने की वजह से जांघ कूल्हों में दाद के लक्षण दिखाई देते हैं. ये लक्षण महिलाओं और पुरुष दोनों में पाये जा रहे हैं, जिन व्यक्तियों का ज्यादा देर तक खड़े रहने या देर तक बैठने का काम है, या फिर वाहन चलाने के दौरान पसीना आ रहा है, तो ऐसे लोगों में दाद होने के लक्षण बढ़ जाते हैं.

लक्षण दिखाई देने पर ये न करें
उन्होंने कहा कि कई मरीज डॉक्टर को दिखाने के बजाय खुद ही मेडिकल स्टोर पर जाकर दवाइयां व स्किन की ट्यूब खरीद लेते हैं जिससे चर्म रोग के क्रॉनिक स्टेज पर पहुंचने की संभावनाएं बढ़ जाती है.

Intro:नोट-ओपीडी का आंकड़ा व कितनी उम्र के मरीजों की तादाद स्किन की ओपीडी मे रजिस्टर्ड हो रही है इंट्रो के नीचे उल्लेख कर दिया गया है। गर्मियों में चटक धूप का मौसम ढेर सारी चिंताएं लेकर आता है अगर आपका काम ज्यादातर धूप में घूमने का है तो गर्मियों में आप स्किन डिजीज के शिकार हो सकते हैं ,क्योंकि सूरज की अल्ट्रावायलेट रेंज हमें कितना नुकसान पहुंचाती है, जिसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते हैं, धूप में मौजूद किरणें स्किन की ऊपरी परत को झुलसा देती है। गर्मियों के मौसम में ड्राइहीट और फंगल इन्फेक्शन की बीमारी से लोग कैसे बच सकते है और तेज धूप के मौसम में किन सावधानियों को अपनाकर स्किन की बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता हैं, दून मेडिकल कॉलेज के स्किन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और एचओडी डॉक्टर सादिक उमर ने तेज धूप मे झुलसती त्वचा और पसीने से होने वाली बीमारियों और सावधानियों से अवगत कराया है। उनके मुताबिक पसीने की वजह से दाद,खुजली व सनबर्न के केसों मे आम दिनों की तुलना मे वृध्दि देखी जा रही है। जहाँ हेल्थी सीज़न मे चर्म रोग के मरीजों की ओपीडी का आंकड़ा 100 से 150 के बीच होता है तो वहीं आजकल ओपीडी का आंकड़ा बढ़कर 330 हो गया है जिसमें 15 से 35 वर्ष के युवा व युवतियां अपनी स्किन की समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुँच रही हैं


Body: चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सादिक उमर ने बताया कि जैसे जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है लोगों मे ड्राई हीट की समस्या भी बढ़ती जा रही है, ड्राईहीट त्वचा से काफी सारा मॉस्चर खींच लेती है, वहीं एक्यूट सनबर्न के दौरान चेहरे की त्वचा कहीं-कहीं से रुखी हो जाती है जिस में खुजली और खिंचाव के लक्षण दिखाई देते हैं, लोग कोशिश करें कि धूप में अनावश्यक ना घूमे, यदि जरूरी हो तभी घर या ऑफिस से बाहर निकलें, फीमेल धूप के दौरान अपना चेहरा ढककर चलें या फिर छाते का उपयोग करें इससे त्वचा का कुछ हद तक बचाव किया जा सकता है। डॉ उमर ने बताया कि धूप में निकलने से पूर्व अगर अच्छी सनस्क्रीन अपनी त्वचा में लगाई जाए तो कुछ हद तक सनबर्न से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दून अस्पताल में फंगल इन्फेक्शन्स के केसों में भी बढ़ोतरी हुई है, अमुमन पसीने की वजह से जांघ कूल्हों में दाद के लक्षण दिखाई देते हैं । सामान्यत ये लक्षण महिलाओं और पुरुष दोनों में पाये जा रहे हैं , जिन व्यक्तियों का ज्यादा देर तक खड़े रहने या देर तक बैठने का काम है, या फिर वाहन चलाने के दौरान पसीना आ रहा है , तो ऐसे लोगों में दाद होने के लक्षण बढ़ जाते हैं कई मरीज डॉक्टर को दिखाने के बजाय खुद ही मेडिकल स्टोर पर जाकर दवाइयां व स्किन की ट्यूब खरीद लेते हैं जिससे चर्म रोग के क्रॉनिक स्टेज पर पहुंचने की संभावनाएं बढ़ जाती है। बाईट-डॉ सादिक़ उमर, एचओडी, स्कीन डिपार्टमेंट, दून मेडिकल कॉलेज। वही दून मेडिकल कॉलेज के स्किन डिपार्टमेंट में 20 फ़ीसदी कैसे सनबर्न के आ रहे हैं, जबकि फंगल इन्फेक्शन की शिकायत लेकर करीब 40 फीसदी मरीज स्किन की ओपीडी की ओर रुख कर रहे हैं। और बाकी अन्य चर्म रोगों की विभिन्न समस्याओं को लेकर अस्पताल के डॉक्टरों से परामर्श ले रहे हैं। वहीं विशेषज्ञों की मानें तो आगामी समय में फंगल इनफेक्शन के मरीजों की संख्या में इजाफा होने जा रहा हैं, जून से लेकर सितंबर के बीच दाद खुजली से ग्रसित मरीजों की संख्या में इजाफा होने का अनुमान है तो वहीं सनबर्न के केसेस में मई के आखिरी हफ्ते तक गिरावट देखने को मिल सकती हैं । बाईट-डॉ सादिक़ उमर, एचओडी, दून मेडिकल कॉलेज


Conclusion:सनबर्न व फंगल इन्फेक्शन से बचने के उपाय खुले-खुले वस्त्र धारण करें तंग कपड़े पहनने से बचें एन्वॉयरमेंट को नियंत्रित करने के लिये एसी, पंखे का प्रयोग करें दाद,खुजली से बचने के लिये अपनी तरफ से मेडिकल स्टोर्स पर जाकर दवाओं या डर्मा क्रीम्स नहीं खरीदें, बल्कि विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श ले। लिक्विड डाइट पर ज्यादा ध्यान दे क्योंकि पसीना आने से शरीर में पानी की मात्रा कम होने लगती है इसलिए हाइड्रेशन जरूरी है। दिन भर में तीन से चार लीटर पानी जरूर पियें फलफ्रुटों का पर्याप्त मात्रा मे सेवन करें। सिगरेट, शराब, इत्यादि से परहेज करें।
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