देहरादून: राजधानी देहरादून में दिनों-दिन स्किन डिजीज के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. गर्मी के सीजन में मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाती है. सीजन में हॉस्पटल में चर्म रोग के मरीजों की ओपीडी का आंकड़ा 100 से 150 के बीच पहुंच जाता है. वहीं, आजकल अस्पतला में ओपीडी का आंकड़ा बढ़कर 330 तक पहुंच गया है. जिसमें 15 से 35 वर्ष के युवक और युवतियां अपनी स्किन की समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं.
दिनों-दिन बढ़ रही मरीजों की संख्या
गर्मियों में चटक धूप ढेर सारी चिंताएं लेकर आती है, जिसमें सावधानी आपको स्किन डिजीज की समस्या से निजात दिला सकती है. गर्मियों के मौसम में ड्राइहीट और फंगल इन्फेक्शन की बीमारियां अचानक बढ़ जाती हैं.वहीं दून मेडिकल कॉलेज के स्किन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर और एचओडी डॉक्टर सादिक उमर के मुताबिक पसीने की वजह से दाद, खुजली और सनबर्न के केसों मे आम दिनों की तुलना मे ज्यादा देखी जा रही है. सीजन मे चर्म रोग के मरीजों की ओपीडी का आंकड़ा 100 से 150 के बीच होता है, तो वहीं आजकल ओपीडी का आंकड़ा बढ़कर 330 हो गया है. जिसमें 15 से 35 वर्ष के युवक और युवतियां अपनी स्किन की समस्याओं को लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं.
ऐसे करें बचाव
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सादिक उमर ने बताया कि जैसे- जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है लोगों मे ड्राई हीट की समस्या भी बढ़ती जा रही है, ड्राईहीट त्वचा से काफी सारा मॉस्चर खींच लेती है. वहीं एक्यूट सनबर्न के दौरान चेहरे की त्वचा कहीं-कहीं से रुखी हो जाती है, जिसमें खुजली और खिंचाव के लक्षण दिखाई देते हैं. लोग कोशिश करें कि धूप में अनावश्यक ना घूमे, यदि जरूरी हो तभी घर या ऑफिस से बाहर निकलें. फीमेल धूप के दौरान अपना चेहरा ढककर चलें या फिर छाते का उपयोग करें. इससे त्वचा का कुछ हद तक बचाव किया जा सकता है.
ये होते हैं बीमारी के लक्षण
डॉ. उमर ने बताया कि धूप में निकलने से पूर्व अगर अच्छी सनस्क्रीन अपनी त्वचा में लगाई जाए तो कुछ हद तक सनबर्न से बचाव किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि दून अस्पताल में फंगल इन्फेक्शन्स के केसों में भी बढ़ोतरी हुई है, अमूमन पसीने की वजह से जांघ कूल्हों में दाद के लक्षण दिखाई देते हैं. ये लक्षण महिलाओं और पुरुष दोनों में पाये जा रहे हैं, जिन व्यक्तियों का ज्यादा देर तक खड़े रहने या देर तक बैठने का काम है, या फिर वाहन चलाने के दौरान पसीना आ रहा है, तो ऐसे लोगों में दाद होने के लक्षण बढ़ जाते हैं.
लक्षण दिखाई देने पर ये न करें
उन्होंने कहा कि कई मरीज डॉक्टर को दिखाने के बजाय खुद ही मेडिकल स्टोर पर जाकर दवाइयां व स्किन की ट्यूब खरीद लेते हैं जिससे चर्म रोग के क्रॉनिक स्टेज पर पहुंचने की संभावनाएं बढ़ जाती है.