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पर्यटन विभाग की योजना को लगे पंख, होम स्टे के लिए लाखों सैलानी कर रहे देवभूमि का रुख - उत्तराखंड में पर्यटकों की संख्या बढ़ी

उत्तराखंड में पर्यटन एक बड़े रोजगार के रूप उभर कर सामने आ सकता है. यही कारण है सरकार द्वारा उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई-नई योजनाएं चलाई जा रही है.

फाइल फोटो.
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Published : May 17, 2019, 7:05 AM IST

Updated : May 17, 2019, 11:15 AM IST

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड न सिर्फ अपने देव-देवालय और मठ मंदिरों के लिए बल्कि जैव विविधता को लेकर भी खूब चर्चित है. यहां की खूबसूरत वादियां देखने के लिए देश से ही नहीं विदेशों से भी पर्यटक भारी संख्या में उत्तराखंड आते हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड में हर साल पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा हो रहा है.

पर्यटन विभाग की योजना को लगे पंख.

पढ़ें- बदरीनाथ धाम में श्रद्धालु उठा रहे खुबसूरत वादियों का लुफ्त, देखे तस्वीरें

इसके अलावा अकेले राजधानी देहरादून यानी दून घाटी की बात करें तो ये भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. देहरादून जिला पर्यटन के लिहाज से तीन भागों (देहरादून, मसूरी, ऋषिकेश) में बंटा हुआ है. अगर सरकारी आंकड़ों की बात करें तो साल 2018 में देहरादून शहर में करीब 24 लाख 84 हजार 289 सैलानी आए थे. वहीं ऋषिकेश के आंकड़ों पर नजर डाले तो यहां करीब 6 लाख 62 हजार 118 पर्यटक आए थे. इसके अलावा पहाड़ों की रानी मसूरी की बात की जाए तो यहां 2018 में सबसे ज्यादा 25 लाख 17 हजार 354 सैलानी आये थे.

देहरादून, नाम जुबां पर आते ही लोगों के दिमाग में पहाड़ और खूबसूरत वादियां बरबस ही आ जाती हैं. पहाड़ों की गोद में बसा देहरादून अपने आप में ही कई खूबसूरत वादियों और कई ऐसे स्थलों को समेटे हुए है, जहां हर कोई घूमने आना चाहता है. यही वजह है कि देहरादून की खूबसूरत वादियों का लुफ्त उठाने हर साल लाखों की संख्या में सैलानी देहरादून पहुंचते हैं.

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देहरादून के मुख्य पर्यटक स्थल
देहरादून में कई ऐसे स्थल है, जहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी घूमने आते हैं. देहरादून में धार्मिक स्थलों के साथ-साथ कई पर्यटक क्षेत्र और केंद्रीय संस्थान भी हैं. टपकेश्वर मंदिर, बुद्धा टेंपल, संताल देवी मंदिर, झंडा साहिब, सहस्त्रधारा, गुच्चूपानी (राबर्स केव), चंद्रबनी मंदिर, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंडियन मिलट्री अकादमी, राजाजी नेशनल पार्क, मालसी डियर पार्क, लच्छीवाला और क्लॉक टावर आदि शामिल हैं.

हालांकि, अगर पिछले तीन सालों के आंकड़े पर गौर करें तो पर्यटकों की संख्या में अच्छे खासे उतार चढ़ाव देखे गए हैं-

  • साल 2019 में अप्रैल महीने तक राजधानी देहरादून में करीब 6 लाख 66 हजार 854 सैलानी घूमने आये, जिसमें से 6 लाख 54 हजार 29 भारतीय और 12 हजार 825 विदेशी थे.
  • साल 2018 में राजधानी देहरादून में करीब 24 लाख 84 हजार 289 पर्यटक थे, जिसमें 24 लाख 53 हजार 998 भारतीय और 30 हजार 291 विदेशी पर्यटक थे.
  • साल 2017 में राजधानी देहरादून में करीब 21 लाख 46 हजार 489 पर्यटक घूमने आए थे, जिसमें से 21 लाख 18 हजार 533 भारतीय और 30 हजार 291 विदेशी थे.
  • साल 2016 में राजधानी देहरादून में करीब 26 लाख 33 हजार 739 सैलानी आये थे, जिसमें से 26 लाख 9 हजार 993 भारतीय और 23 हजार 746 विदेशी थे.

तीर्थस्थलों में से एक है ऋषिकेश
देहरादून जिले में स्थित तीर्थनगरी ऋषिकेश को "गेट-वे टू द गढ़वाल हिमालय" और "योग राजधानी" भी कहा जाता है. ऋषिकेश गंगा तट पर बसा हुआ है. यह तीनों और से वेदान्त शिवालिक पर्वत से घिरा हुआ है. यहां कई देवी-देवताओं के मंदिर बने हैं. इस वजह से ऋषिकेश का धार्मिक महत्व है, जहां हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते है. इसके साथ ही ऋषिकेश में योग और ध्यान का प्रशिक्षण भी होता है. हालांकि, साल दर साल ऋषिकेश के सैलानियों में बढ़ोतरी देखी गयी है, लेकिन साल 2018 में यहां सैलानियों का रुझान थोड़ा कम दिखा है.

पढ़ें- 19 मई को खुलेंगे चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट, 6 माह तक कर सकेंगे दर्शन

ऋषिकेश में घटा आंकड़ा

  • साल 2018 में ऋषिकेश में करीब 6 लाख 62 हजार 118 सैलानी घूमने आये थे, जिसमें से 65 लाख 56 हजार 074 भारतीय और 6 हजार 044 विदेशी सैलानी शामिल है.
  • साल 2017 में ऋषिकेश में करीब 6 लाख 78 हजार 041 पर्यटक आये थे, जिसमें से 67 लाख 73 हजार 226 भारतीय और 4 हजार 815 विदेशी थे.
  • साल 2016 में ऋषिकेश में करीब 5 लाख 92 हजार 227 सैलानी आये थे, जिसमें से 5 लाख 89 हजार 653 भारतीय और 2 हजार 574 विदेशी थे.

पहाड़ों की रानी मसूरी
देहरादून के मुख्य पर्यटन स्थलों में शुमार मसूरी को "पहाड़ों की रानी" के नाम से भी जाना जाता है. हिमालय की गोद में बसी मसूरी की खूबसूरत वादियां और मौसम हमेशा लोगों को अपनी और आकर्षित कर लेता है. यही वजह है कि सालभर यहां सैलानियों को भीड़ देखने को मिलती है.

पढ़ें- पिथौरागढ़ की शीतल ने फतह की दुनिया की सबसे ऊंची चोटी, उम्र महज 24

मसूरी में प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही घूमने के कई स्थल भी मौजूद है, जिसमें मसूरी का मॉल रोड, कैम्पटी फॉल, गन हिल, मसूरी झील, जार्ज एवरेस्ट हाउस, कंपनी गार्डन, झड़ीपानी फॉल, भट्टा फॉल और धनोल्टी आदि हैं. हालांकि, 2017 के मुकाबले 2018 में यहां पर्यटकों को संख्या में काफी कमी देखी गई थी.

मसूरी में पर्यटकों की संख्या में कमी

  • साल 2018 में मसूरी में करीब 25 लाख 17 हजार 354 सैलानी घूमने आये थे, जिसमें से 25 लाख 15 हजार 804 भारतीय और 1550 विदेशी थे.
  • साल 2017 करीब 27 लाख 95 हजार 973 सैलानी मसूरी में आये थे, जिसमें से 27 लाख 94 हजार 108 भारतीय और 1865 विदेशी थे.
  • साल 2016 में मसूरी में करीब 27,95,124 सैलानी घूमने आए थे, जिसमें 27,90,511 भारतीय सैलानी और 4613 विदेशी सैलानी शामिल है.

होम स्टे योजना से मिलेगा बढ़ावा
उत्तराखंड में पर्यटन एक बड़े रोजगार के रूप उभर कर सामने आ सकता है. यही कारण है सरकार द्वारा उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई-नई योजनाएं चलाई जा रही है. इसके जहां एक युवाओं को रोजगार मिलेगा तो वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी और पलायन भी रुकगा. इसी के तहत पर्यटन विभाग होम स्टे योजना पर काम कर रहा है.

होम स्टे योजना के बारे में जानकारी देते हुए क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कृष्ण सिंह रावत ने बताया कि पर्यटन क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए शासन द्वारा जिला स्तर पर कई बहुआयामी योजनाओं को चलाया जा रहा है. पर्यटन स्थलों, मूलभूत सुविधाओं और होटल इंडस्ट्री के विकास के लिए पहले से ही कई योजनाएं चल रही है लेकिन अब इससे अलग होम स्टे योजना चलाई जा रही है, जिसमें बड़े मकान के मालिक अपने मकान के 1 से 6 कमरों का रजिस्ट्रेशन पर्यटन विभाग से करा सकते है. जिससे वो अपने घर में ही होम स्टे संचालन कर सकते है. इससे भूमि स्टे संचालकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा, पर्यटकों को सस्ता आवास मिलेगा, पर्यटकों को प्रदेश की संस्कृति, खानपान और समाज से जुड़ने का अवसर मिलेगा. यह एक महत्वकांक्षी योजना है.

देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड न सिर्फ अपने देव-देवालय और मठ मंदिरों के लिए बल्कि जैव विविधता को लेकर भी खूब चर्चित है. यहां की खूबसूरत वादियां देखने के लिए देश से ही नहीं विदेशों से भी पर्यटक भारी संख्या में उत्तराखंड आते हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड में हर साल पर्यटकों की संख्या में काफी इजाफा हो रहा है.

पर्यटन विभाग की योजना को लगे पंख.

पढ़ें- बदरीनाथ धाम में श्रद्धालु उठा रहे खुबसूरत वादियों का लुफ्त, देखे तस्वीरें

इसके अलावा अकेले राजधानी देहरादून यानी दून घाटी की बात करें तो ये भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. देहरादून जिला पर्यटन के लिहाज से तीन भागों (देहरादून, मसूरी, ऋषिकेश) में बंटा हुआ है. अगर सरकारी आंकड़ों की बात करें तो साल 2018 में देहरादून शहर में करीब 24 लाख 84 हजार 289 सैलानी आए थे. वहीं ऋषिकेश के आंकड़ों पर नजर डाले तो यहां करीब 6 लाख 62 हजार 118 पर्यटक आए थे. इसके अलावा पहाड़ों की रानी मसूरी की बात की जाए तो यहां 2018 में सबसे ज्यादा 25 लाख 17 हजार 354 सैलानी आये थे.

देहरादून, नाम जुबां पर आते ही लोगों के दिमाग में पहाड़ और खूबसूरत वादियां बरबस ही आ जाती हैं. पहाड़ों की गोद में बसा देहरादून अपने आप में ही कई खूबसूरत वादियों और कई ऐसे स्थलों को समेटे हुए है, जहां हर कोई घूमने आना चाहता है. यही वजह है कि देहरादून की खूबसूरत वादियों का लुफ्त उठाने हर साल लाखों की संख्या में सैलानी देहरादून पहुंचते हैं.

पढ़ें- बारिश और बर्फबारी के बीच हजारों श्रद्धालुओं ने किए बाबा केदार के दर्शन

देहरादून के मुख्य पर्यटक स्थल
देहरादून में कई ऐसे स्थल है, जहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी घूमने आते हैं. देहरादून में धार्मिक स्थलों के साथ-साथ कई पर्यटक क्षेत्र और केंद्रीय संस्थान भी हैं. टपकेश्वर मंदिर, बुद्धा टेंपल, संताल देवी मंदिर, झंडा साहिब, सहस्त्रधारा, गुच्चूपानी (राबर्स केव), चंद्रबनी मंदिर, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंडियन मिलट्री अकादमी, राजाजी नेशनल पार्क, मालसी डियर पार्क, लच्छीवाला और क्लॉक टावर आदि शामिल हैं.

हालांकि, अगर पिछले तीन सालों के आंकड़े पर गौर करें तो पर्यटकों की संख्या में अच्छे खासे उतार चढ़ाव देखे गए हैं-

  • साल 2019 में अप्रैल महीने तक राजधानी देहरादून में करीब 6 लाख 66 हजार 854 सैलानी घूमने आये, जिसमें से 6 लाख 54 हजार 29 भारतीय और 12 हजार 825 विदेशी थे.
  • साल 2018 में राजधानी देहरादून में करीब 24 लाख 84 हजार 289 पर्यटक थे, जिसमें 24 लाख 53 हजार 998 भारतीय और 30 हजार 291 विदेशी पर्यटक थे.
  • साल 2017 में राजधानी देहरादून में करीब 21 लाख 46 हजार 489 पर्यटक घूमने आए थे, जिसमें से 21 लाख 18 हजार 533 भारतीय और 30 हजार 291 विदेशी थे.
  • साल 2016 में राजधानी देहरादून में करीब 26 लाख 33 हजार 739 सैलानी आये थे, जिसमें से 26 लाख 9 हजार 993 भारतीय और 23 हजार 746 विदेशी थे.

तीर्थस्थलों में से एक है ऋषिकेश
देहरादून जिले में स्थित तीर्थनगरी ऋषिकेश को "गेट-वे टू द गढ़वाल हिमालय" और "योग राजधानी" भी कहा जाता है. ऋषिकेश गंगा तट पर बसा हुआ है. यह तीनों और से वेदान्त शिवालिक पर्वत से घिरा हुआ है. यहां कई देवी-देवताओं के मंदिर बने हैं. इस वजह से ऋषिकेश का धार्मिक महत्व है, जहां हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते है. इसके साथ ही ऋषिकेश में योग और ध्यान का प्रशिक्षण भी होता है. हालांकि, साल दर साल ऋषिकेश के सैलानियों में बढ़ोतरी देखी गयी है, लेकिन साल 2018 में यहां सैलानियों का रुझान थोड़ा कम दिखा है.

पढ़ें- 19 मई को खुलेंगे चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट, 6 माह तक कर सकेंगे दर्शन

ऋषिकेश में घटा आंकड़ा

  • साल 2018 में ऋषिकेश में करीब 6 लाख 62 हजार 118 सैलानी घूमने आये थे, जिसमें से 65 लाख 56 हजार 074 भारतीय और 6 हजार 044 विदेशी सैलानी शामिल है.
  • साल 2017 में ऋषिकेश में करीब 6 लाख 78 हजार 041 पर्यटक आये थे, जिसमें से 67 लाख 73 हजार 226 भारतीय और 4 हजार 815 विदेशी थे.
  • साल 2016 में ऋषिकेश में करीब 5 लाख 92 हजार 227 सैलानी आये थे, जिसमें से 5 लाख 89 हजार 653 भारतीय और 2 हजार 574 विदेशी थे.

पहाड़ों की रानी मसूरी
देहरादून के मुख्य पर्यटन स्थलों में शुमार मसूरी को "पहाड़ों की रानी" के नाम से भी जाना जाता है. हिमालय की गोद में बसी मसूरी की खूबसूरत वादियां और मौसम हमेशा लोगों को अपनी और आकर्षित कर लेता है. यही वजह है कि सालभर यहां सैलानियों को भीड़ देखने को मिलती है.

पढ़ें- पिथौरागढ़ की शीतल ने फतह की दुनिया की सबसे ऊंची चोटी, उम्र महज 24

मसूरी में प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही घूमने के कई स्थल भी मौजूद है, जिसमें मसूरी का मॉल रोड, कैम्पटी फॉल, गन हिल, मसूरी झील, जार्ज एवरेस्ट हाउस, कंपनी गार्डन, झड़ीपानी फॉल, भट्टा फॉल और धनोल्टी आदि हैं. हालांकि, 2017 के मुकाबले 2018 में यहां पर्यटकों को संख्या में काफी कमी देखी गई थी.

मसूरी में पर्यटकों की संख्या में कमी

  • साल 2018 में मसूरी में करीब 25 लाख 17 हजार 354 सैलानी घूमने आये थे, जिसमें से 25 लाख 15 हजार 804 भारतीय और 1550 विदेशी थे.
  • साल 2017 करीब 27 लाख 95 हजार 973 सैलानी मसूरी में आये थे, जिसमें से 27 लाख 94 हजार 108 भारतीय और 1865 विदेशी थे.
  • साल 2016 में मसूरी में करीब 27,95,124 सैलानी घूमने आए थे, जिसमें 27,90,511 भारतीय सैलानी और 4613 विदेशी सैलानी शामिल है.

होम स्टे योजना से मिलेगा बढ़ावा
उत्तराखंड में पर्यटन एक बड़े रोजगार के रूप उभर कर सामने आ सकता है. यही कारण है सरकार द्वारा उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई-नई योजनाएं चलाई जा रही है. इसके जहां एक युवाओं को रोजगार मिलेगा तो वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी सुधरेगी और पलायन भी रुकगा. इसी के तहत पर्यटन विभाग होम स्टे योजना पर काम कर रहा है.

होम स्टे योजना के बारे में जानकारी देते हुए क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कृष्ण सिंह रावत ने बताया कि पर्यटन क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए शासन द्वारा जिला स्तर पर कई बहुआयामी योजनाओं को चलाया जा रहा है. पर्यटन स्थलों, मूलभूत सुविधाओं और होटल इंडस्ट्री के विकास के लिए पहले से ही कई योजनाएं चल रही है लेकिन अब इससे अलग होम स्टे योजना चलाई जा रही है, जिसमें बड़े मकान के मालिक अपने मकान के 1 से 6 कमरों का रजिस्ट्रेशन पर्यटन विभाग से करा सकते है. जिससे वो अपने घर में ही होम स्टे संचालन कर सकते है. इससे भूमि स्टे संचालकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा, पर्यटकों को सस्ता आवास मिलेगा, पर्यटकों को प्रदेश की संस्कृति, खानपान और समाज से जुड़ने का अवसर मिलेगा. यह एक महत्वकांक्षी योजना है.

Intro:उत्तराखंड राज्य अपने पर्यटन स्थलों से ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी विख्यात है. प्रदेश की खूबसूरत वादियां, खूबसूरत वादियों के बीच बने कई पर्यटन स्थल, हिमालयी क्षेत्र और धार्मिक स्थल, देश-विदेश से आए सैलानियों को बहुत भाती है. और यही वजह है कि हर साल करोड़ों की संख्या में सैलानी उत्तराखंड घूमने और प्रदेश के शांत वादियों का लुफ्त उठाने आते हैं. हालांकि उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में बने पर्यटन स्थलों के साथ-साथ उत्तराखंड के जिला देहरादून में तमाम ऐसे पर्यटन स्थल है जहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी घूमने आते हैं.


Body:देहरादून, नाम जुबा पर आते ही लोगों के दिमाग में पहाड़ और खूबसूरत वादियां घूमने लगती हैं. पहाड़ों की गोद पर बसे देहरादून अपने आप में ही कई खूबसूरत वादियों और कई ऐसे स्थलों को समेटे हुए हैं जहां हर कोई घूमने आना चाहता है. और यही वजह है कि देहरादून की खूबसूरत वादियों का लुफ्त उठाने हर साल लाखों की संख्या में सैलानी देहरादून पहुंचते हैं. हालांकि देहरादून पर्यटन के लिहाज से मुख्य तीन भागों में बटा हुआ है, जिसमें पहला खुद देहरादून, दूसरा ऋषिकेश और तीसरा मसूरी है. अगर सरकारी आंकड़ों की बात करें तो साल 2018 में देहरादून मे करीब 24,84,289 सैलानी, ऋषिकेश में करीब 6,62,118 सैलानी, मसूरी में 25,17,354 सैलानी आये थे. 


...........देहरादून के मुख्य पर्यटक स्थल...........

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की बात करें तो देहरादून में कई ऐसे स्थल है जहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी घूमने आते हैं. देहरादून में धार्मिक स्थलों के साथ साथ कई पर्यटन क्षेत्र और केंद्रीय संस्थान भी हैं जिसमें टपकेश्वर मंदिर, बुद्ध टेंपल, संताल देवी मंदिर, झंडा साहिब, सहस्त्रधारा, गुच्चूपानी (राबर्स केव), चंद्रबनी मंदिर, फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, इंडियन मिलट्री अकाडेमी, राजाजी नेशनल पार्क, मालसी डियर पार्क, लच्छिवाला और क्लॉक टावर आदि शामिल है. हालांकि अगर पिछले तीन सालों के आंकड़े पर गौर करे तो अच्छी खासी उतार चढ़ाव देखे गए है। 

- साल 2019 में अप्रैल महीने तक राजधानी देहरादून में करीब 6,66,854 सैलानी घूमने आए, जिसमे 6,54,029 भारतीय नागरिक और 12,825 विदेशी सैलानी शामिल है.

- साल 2018 में राजधानी देहरादून में करीब 24,84,289 पर्यटक घूमने आए थे. जिसमें 24,53,998 भारतीय नागरिक और 30,291 विदेशी पर्यटक शामिल है.

- साल 2017 में राजधानी देहरादून में करीब 21,46,489 पर्यटक घूमने आए थे. जिसमें 21,18,533 भारतीय नागरिक और 30,291 विदेशी पर्यटक शामिल है.


- साल 2016 में राजधानी देहरादून में करीब 26,33,739 पर्यटक घूमने आए थे. जिसमें 26,09,993 भारतीय नागरिक और 23,746 विदेशी पर्यटक शामिल है.  


............ऋषिकेश तीर्थस्थलों में से एक..........

देहरादून के ऋषिकेश की बात करे तो ऋषिकेश, एक देवभूमि है और यह तीर्थ स्थलों के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है. ऋषिकेश को "गेटवे टू द गढ़वाल हिमालय" और "योग राजधानी" भी कहा जाता है। ऋषिकेश गंगा तट पर बसा हुआ है. यह तीनों तरफ़ से वेदान्त शिवालिक पर्वत से घिरा हुआ है. और यहाँ कई देवी-देवताओ के मंदिर बने है. इस वजह से ऋषिकेश का धार्मिक महत्व है. जहा हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए आते है. इसके साथ ही ऋषिकेश में योग और ध्यान का प्रशिक्षण भी होता है. हलाकि साल दर साल ऋषिकेश के सैलानियों में बढ़ोत्तरी देखि गयी है. लेकिन साल 2018 में सैलानियों का रुझान थोड़ा कम दिखा है.

- साल 2018 में ऋषिकेश में करीब 6,62,118 सैलानी घूमने आए थे. जिसमें 6,56,074 भारतीय सैलानी और 6,044 विदेशी सैलानी शामिल है.


- साल 2017 में ऋषिकेश में करीब 6,78,0,41 सैलानी घूमने आए थे. जिसमें 6,73,226 भारतीय सैलानी और 4,815 विदेशी सैलानी शामिल है. 


- साल 2016 में ऋषिकेश में करीब 5,92,227 सैलानी घूमने आए थे. जिसमें 5,89,653 भारतीय सैलानी और 2,574 विदेशी सैलानी शामिल है. 


.............पहाड़ो की रानी मसूरी...........

देहरादून के मुख्य पर्यटन स्थलों में सुमार मसूरी को "पहाड़ो की रानी" के नाम से जाना जाता है. हिमालय की गोद मे बसे मसूरी की खूबसूरत वादियां और मौसम, लोगो को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है. और यही वजह है कि साल के बारहों महीने सैलानियों के ताता लगा रहता है. मसूरी में प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही घूमने के कई स्थल भी मौजूद है. जिसमे मसूरी का माल रोड, कैम्पटीफॉल, गन हिल, मसूरी झील, जार्ज एवरेस्ट हाउस, कंपनी गार्डन, झड़ीपानी फॉल, भट्टा फॉल और धनोल्टी आदि है. हलाकि अगर साल 2018 की बात करे तो साल 2018 में साल 2017 के मुकाबले सैलानियों का रुझान घटना नज़र आया है.

- साल 2018 में मसूरी में करीब 25,17,354 सैलानी घूमने आए थे. जिसमें 25,15,804 भारतीय सैलानी और 1,550 विदेशी सैलानी शामिल है.


- साल 2017 में मसूरी में करीब 27,95,973 सैलानी घूमने आए थे. जिसमें 27,94,108 भारतीय सैलानी और 1,865 विदेशी सैलानी शामिल है. 


- साल 2016 में मसूरी में करीब 27,95,124 सैलानी घूमने आए थे. जिसमें 27,90,511 भारतीय सैलानी और 4613 विदेशी सैलानी शामिल है. 


...........होम स्टे योजना से मिलेगा बढ़ावा...........

पर्यटन को बढ़ावा देने को लेकर शासन होम स्टे योजना के तहत काम कर रही है। होम स्टे योजना के बारे में जानकारी देते हुए क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कृष्ण सिंह रावत ने बताया कि पर्यटन क्षेत्रो को बढ़ावा देने के लिए शासन -प्रशासन और जिला स्तर पर कई बहुआयामी योजनाओं को चलाया जा रहा है। हालांकि अभी तक पर्यटन स्थलों, मूल भूत सुविधाओ और होटल इंडस्ट्री के विकास के लिए कई योजनाएं चल रही है। लेकिन राज्य सरकार ने इससे अलग होम स्टे योजना चला है। जिसमे बड़े मकान के मालिक अपने मकान के 1 से 6 कमरों का रजिस्ट्रेशन पर्यटन विभाग से करा सकते है। जिससे वो अपने घर मे ही होम स्टे संचालन कर सकते है। और इससे भूमि स्टे संचालकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलेगा, पर्यटकों को सस्ता आवास मिलेगा, पर्यटकों को प्रदेश की संस्कृति, खानपान और समाज से जुड़ने का अवसर मिलेगा। और यह एक महत्वकांक्षी योजना है। 


बाइट - कृष्ण सिंह रावत  (क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी, देहरादून)



Conclusion:
Last Updated : May 17, 2019, 11:15 AM IST
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