विकासनगर: पिछले 14 सालों से समाज कल्याग विभाग की लापरवाही ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. लाखों रुपये की लागत से गांव में बनने वाला बारात घर प्रशासनिक उदासीनता का जीता-जागता उदाहरण बन गया है. वर्तमान हालत यह है कि ना तो बारात घर में खिड़की-दरवाजे हैं और ना ही फर्श पर पत्थर, जर्जर हो रही इस अधूरी इमारत की कोई भी अधिकारी सुध लेने को तैयार नहीं है.
जिले के कालसी ब्लॉक स्थित साहिया साकेत बस्ती में शादी विवाह के लिए ग्रामीणों की मांग पर वर्ष 2004-5 में 4 लाख 91 हजार की लागत से बारात घर के निर्माण के लिए धन स्वीकृत किया गया था. उसी साल बारात घर का निर्माण शुरू कर दिया गया था. लेकिन बारात घर का निर्माण कार्य 3,47,000 खर्च कर आधा-अधूरा छोड़ दिया गया.
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स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार कई बार विभागीय अधिकारियों, खंड विकास अधिकारी और जिलाधिकारी तक को इस बाबत शिकायत की गई. लेकिन किसी ने उनकी शिकायत पर एक्शन नहीं लिया. उन्होंने बताया कि जो निर्माण कार्य किया गया है, उसमें ना तो खिड़की-दरवाजे हैं और ना ही वहां फर्श डाला गया है. जिस कारण ग्रामीणों को शादी विवाह के लिए अन्य स्थल का चुनाव करना पड़ रहा है. 14 सालों बाद भी समाज कल्याण विभाग द्वारा बारात घर का निर्माण पूरा नहीं कराया गया. जिसके कारण स्थानीय ग्रामीणों में समाज कल्याण के लिए काफी आक्रोश है.
पूर्व प्रधान सुभाष भाटी ने बताया कि समाज कल्याण विभाग द्वारा समय पर बजट उपलब्ध ना कराने के कारण ऐसी स्थिति सामने आई है. उन्होंने कहा कि कार्यकाल में बारात घर का निर्माण शुरू करवाया गया था, लेकिन विभाग द्वारा पहल नहीं की गई. कई बार जिलाधिकारी देहरादून और खंड विकास अधिकारी कालसी को भी इसकी जानकारी दी गई थी. लेकिन समाज कल्याण विभाग लापरवाह बना रहा.
वहीं, सहायक समाज कल्याण अधिकारी कालसी कुंदन लाल आर्य ने बताया कि साहिया साकेत बस्ती में बरात घर का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है. जिसकी रिपोर्ट बनाकर उच्च अधिकारियों को दे दी गई है.