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आयुर्वेद और एलोपैथ के तालमेल से लोगों को मिलेगा बेहतर इलाज, प्रशिक्षण मॉड्यूल का किया गया विमोचन

उत्तराखंड में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए पीएमएचएस चिकित्सा अधिकारियों के लिए आयुर्वेद में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के मॉड्यूल का विमोचन किया गया है, जिसे मुख्य सचिव ने लॉन्च किया है.

Uttarakhand News
आयुर्वेद और एलोपैथ
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Published : Apr 3, 2023, 6:21 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में पीएमएचएस मेडिकल अधिकारियों के लिए आयुर्वेद में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के मॉड्यूल का विमोचन किया गया. इस दौरान आयुर्वेद और एलोपैथ के तालमेल के साथ लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की दिशा में कार्य करने की जरूरत भी महसूस की गई. उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में उत्तराखंड के PMHS चिकित्सा अधिकारियों के लिए 6 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है. मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने आज प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के मॉड्यूल का विमोचन भी किया.

इस दौरान मुख्य सचिव ने आयुर्वेद और एलोपैथ के बेहतर तालमेल की जरूरत बताते हुए इसके जरिए स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करते हुए लोगों को इसकी सुविधाएं देने की भी बात कही. बता दें कि राज्य में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए 6 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसमें आयुर्वेद से जुड़ी पद्धति को चिकित्सक जान सकेंगे और एलोपैथ और आयुर्वेद के तालमेल के साथ बेहतर चिकित्सा उपचार लोगों को भविष्य में दिया जा सकेगा. इस दौरान मुख्य सचिव ने इसमें प्रशिक्षण लेने के लिए पहुंचे प्रशिक्षकों को मोटिवेट करते हुए कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग और आयुर्वेद एक बेहतर भूमिका को अदा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद लोगों के इलाज पर नहीं बल्कि रोकथाम के लिए काम करता है.

खास बात यह है कि जीवन में तनाव मुक्त रहने के लिए मुख्य सचिव ने योग और आयुर्वेद को महत्वपूर्ण माना है. इसके अलावा डिप्रेशन को कम करने के लिए भी आयुर्वेद में मौजूद उपचार को बेहतर बताते हुए इस पद्धति पर चलकर बेहतर जीवन जीने का भी उन्होंने संदेश दिया. इस दौरान वेलनेस कांसेप्ट को शुरू करने से जुड़े इस कार्यक्रम में मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू के अलावा आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति और स्वास्थ्य के साथ आयुष के सचिव भी मौजूद रहे.

ये भी पढ़ें: 'कल सुबह 10 बजे तक राजीव भरतरी को दें PCCF का चार्ज', HC ने धामी सरकार को दिया आदेश

उत्तराखंड में आयुष को लेकर काफी लंबे समय से नए प्रयोग किए जाते रहे हैं, हालांकि इस दौरान अफसरों की लापरवाही के चलते आयुष में कुछ समय तक ठहराव की स्थिति भी दिखाई दी है. यही नहीं कई बार आयुष में वित्तीय समस्याओं के चलते भी इस पद्धति को प्रचारित प्रसारित करने में खासी दिक्कतें आती रही हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में पीएमएचएस मेडिकल अधिकारियों के लिए आयुर्वेद में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के मॉड्यूल का विमोचन किया गया. इस दौरान आयुर्वेद और एलोपैथ के तालमेल के साथ लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की दिशा में कार्य करने की जरूरत भी महसूस की गई. उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में उत्तराखंड के PMHS चिकित्सा अधिकारियों के लिए 6 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है. मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू ने आज प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के मॉड्यूल का विमोचन भी किया.

इस दौरान मुख्य सचिव ने आयुर्वेद और एलोपैथ के बेहतर तालमेल की जरूरत बताते हुए इसके जरिए स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करते हुए लोगों को इसकी सुविधाएं देने की भी बात कही. बता दें कि राज्य में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए 6 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसमें आयुर्वेद से जुड़ी पद्धति को चिकित्सक जान सकेंगे और एलोपैथ और आयुर्वेद के तालमेल के साथ बेहतर चिकित्सा उपचार लोगों को भविष्य में दिया जा सकेगा. इस दौरान मुख्य सचिव ने इसमें प्रशिक्षण लेने के लिए पहुंचे प्रशिक्षकों को मोटिवेट करते हुए कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग और आयुर्वेद एक बेहतर भूमिका को अदा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद लोगों के इलाज पर नहीं बल्कि रोकथाम के लिए काम करता है.

खास बात यह है कि जीवन में तनाव मुक्त रहने के लिए मुख्य सचिव ने योग और आयुर्वेद को महत्वपूर्ण माना है. इसके अलावा डिप्रेशन को कम करने के लिए भी आयुर्वेद में मौजूद उपचार को बेहतर बताते हुए इस पद्धति पर चलकर बेहतर जीवन जीने का भी उन्होंने संदेश दिया. इस दौरान वेलनेस कांसेप्ट को शुरू करने से जुड़े इस कार्यक्रम में मुख्य सचिव डॉ एसएस संधू के अलावा आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति और स्वास्थ्य के साथ आयुष के सचिव भी मौजूद रहे.

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उत्तराखंड में आयुष को लेकर काफी लंबे समय से नए प्रयोग किए जाते रहे हैं, हालांकि इस दौरान अफसरों की लापरवाही के चलते आयुष में कुछ समय तक ठहराव की स्थिति भी दिखाई दी है. यही नहीं कई बार आयुष में वित्तीय समस्याओं के चलते भी इस पद्धति को प्रचारित प्रसारित करने में खासी दिक्कतें आती रही हैं.

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