देहरादूनः उत्तराखंड में वन क्षेत्रों से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक हाथियों के लिए काल बनते जा रहे हैं, स्थिति यह है कि अब तक राज्य में 22 हाथियों की मौत ट्रेन की चपेट में आने से हो चुकी है. 18 अगस्त को नैनीताल वन प्रभाग में भी ट्रेन की टक्कर से दो हाथियों की मौत हो गई है. एक के बाद एक हो रही हाथियों के मौत से सवाल खड़े होने लगे हैं.
उत्तराखंड में रेलगाड़ी के वन्य क्षेत्र से गुजरने को लेकर समय-समय पर सवाल खड़े होते रहते हैं. लेकिन ऐसी घटनाओं में वन्यजीवों की मौत के बाद आवाजें और भी ज्यादा बुलंद होने लगती हैं. खास तौर पर हाथियों को लेकर रेलवे ट्रैक पर परेशानियां काफी ज्यादा रही हैं.
नैनीताल में दो हाथियों की मौतः तराई केंद्रीय वन प्रभाग के पीपलपड़ाव रेंज में ट्रेन से टकराने से 6 माह के हाथी के बच्चे एवं उसकी मां की मौत हो गयी. घटना के बाद रेलवे पटरी पर हाथियों का झुंड खड़ा हो गया, जिसके कारण ट्रेन को वापस लौटना पड़ा. यही नहीं काशीपुर से लालकुआं आने वाली काशीपुर पैसेंजर को भी रद्द करना पड़ा. इसके अलावा कई ट्रेनों के समय में भी फेरबदल किया गया है.
तराई केंद्रीय वन प्रभाग के पीपल पड़ाव रेंज स्थित भूरा खत्ता के पास रेलवे की पुलिया नम्बर 10 के पास ट्रेन से टकरा कर दो हाथियों की मौत हो गयी. घटना 18 अगस्त सुबह 5.25 मिनट की बताई जा रही है. सुबह आगरा फोर्ड एक्सप्रेस यात्रियों को लेकर काशीपुर जा रही थी, तभी भूरा खत्ता के पास ट्रैक पार कर रहे हाथियों के झुंड में 6 माह का हाथी का बच्चा और 30 साल की मादा हाथी ट्रेन की चपेट में आ गईं.
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राज्य स्थापना से अब तक 460 हाथियों की मौतः उत्तराखंड वन विभाग के मुताबिक राज्य स्थापना (9 नवंबर 2000) के बाद से अब तक प्रदेश में 460 हाथियों की मौत हो चुकी है. हालांकि इनमें ट्रेन की टक्कर से जान गंवाने हाथियों के साथ-साथ आपसी संघर्ष और वनजीव तस्करों द्वारा शिकार हुए हाथी भी शामिल हैं.
ट्रेन की टक्कर से हुई मौतेंः ट्रेन की टक्कर से राज्य स्थापना दिवस से अब तक 22 हाथियों की मौत हो चुकी है. साल 2001 में ट्रेन की चपेट में आने से एक हाथी की मौत हुई. साल 2002 में कुल तीन हाथियों की जान गई. इसके बाद साल 2013 में एक और 2016 में दो हाथियों की ट्रेन की टक्कर से मौत हुई. 2017 में भी दो हाथी, 2018 में पांच हाथियों की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हुई. 2019 में दो हाथी, 2020 में भी दो हाथियों ने अपनी जान गंवाई है. इसके अलावा साल 2021 में अब तक करीब चार हाथियों की मौत हो चुकी है.
सुरक्षा के प्रयासः उत्तराखंड में हाथियों को रेलवे ट्रैक से हटाने और दुर्घटना से बचाने के लिए न केवल वन विभाग बल्कि रेलवे की तरफ से भी अपने-अपने स्तर पर प्रयास किए गए हैं. रेलवे की तरफ से संवेदनशील क्षेत्र में मौजूद रेलवे ट्रैक पर रेल की गति को निश्चित रखने के निर्देश जारी किए गए हैं. संवेदनशील रेलवे ट्रैक पर विशेष एहतियात बरतने और उपकरण लगाने का भी काम किया गया.
वन विभाग की तरफ से ऐसे रेलवे ट्रैक के पास चौकियां स्थापित की गई है. विभाग की तरफ से नियमित गश्त लगाने के लिए भी कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है. रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ तारबाड़ करने, हल्का करंट वाले इक्विपमेंट्स से लेकर हाथियों को दूर रखने वाली आवाज पैदा करने वाले स्पीकर लगाने, कुछ जगहों पर गहरे-चौड़े गड्ढे करने का काम वन विभाग की तरफ से किया गया है.
उत्तराखंड वन विभाग में प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी ने बताया कि वन विभाग इसके मद्देनजर कई जरूरी कदम उठाता रहा है. यही कारण है कि पिछले कुछ समय में रेलवे और वन विभाग के समन्वय के चलते दुर्घटनाओं में कमी की उम्मीद बढ़ी है. वन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है कि ऐसी घटनाओं में ज्यादा से ज्यादा एहतियात बरतते हुए कमी लाई जाए.