देहरादून: कोरोनाकॉल के दौरान, प्रदेश के तमाम विभाग और निगम आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. वहीं, गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) भी इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहा है. यही नहीं जीएमवीएन के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं हैं, जिसके चलते अब जीएमवीएन प्रबंधन अपनी एफडी तोड़कर कर्मचारियों को वेतन का भुगतान कर रहा है. हालांकि इस एफडी के माध्यम से भी जीएमवीएन बमुश्किल अक्टूबर महीने तक ही वेतन दे पाएगा.
मौजूदा समय मे जीएमवीएन में 1300 कर्मचारी हैं. इन कर्मचारियों के वेतन पर हर महीने करीब साढ़े चार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. हालांकि, कोरोना संकट को देखते हुए जीएमवीएन प्रबंधन ने 25 प्रतिशत कटौती के साथ कर्मचारियों को वेतन भुगतान का फैसला लिया है. ऐसे में करीब 2.91 करोड़ रुपये की जरूरत हर महीने पड़ रही है, जिसे देखते हुए जीएमवीएन अपने 11 करोड़ रुपये की एफडी से वेतन दे रहा है. इस एफडी से अक्टूबर महीने की वेतन तो कर्मचारियों को मिल जाएगी लेकिन फिर नवंबर महीने के वेतन के लिए जीएमवीएन के पास पैसा नहीं बचेगा.
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अनलॉक के दौरान जीएमवीएन प्रबंधन को उम्मीद थी कि प्रदेश में पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा जिससे थोड़ी आमदनी होने लगेगी, लेकिन अभी भी अधिकांश गेस्ट हाउस, जिसे पहले क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था. उसे अब कोविड केयर सेंटर में तब्दील कर दिया गया है. इसके साथ ही ऋषिकेश, हरिद्वार, उत्तरकाशी, तिलवाड़ा समेत कई अन्य स्थानों पर भी तेजी के साथ कोविड केयर सेंटर बनाए जा रहे हैं. ऐसे में यहां अभी पर्यटकों की आवाजाही की कोई उम्मीद नहीं है. हालांकि, जीएमवीएन के राज्य में कुल 90 होटल और पर्यटक आवास गृह हैं. इनमें बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, कोरिया, लैंसडौन और अन्य छोटे छोटे टीआरएच को छोड़ कर बाकि सभी क्वारंटाइन सेंटर बने हुए हैं.
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वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते उत्तराखंड में आने वाले पर्यटकों कि संख्या बहुत कम है. पर्यटकों के कम होने के चलते बुकिंग नहीं आ रही है. पर्यटकों से मिली जानकारी के अनुसार, लैंसडौन के टीआरएच में थोड़ी बहुत बुकिंग आ रही है, लेकिन उन्हें बुकिंग करने से पहले सलाह दी जा रही है कि वे राज्य में प्रवेश के लिए स्मार्ट सिटी की वेबसाइट पर पास के लिए आवेदन जरूर कर लें. पास के लिए पहले कोरोना टेस्ट कराना अनिवार्य होने से लोगों का उत्साह ठंडा पड़ रहा है, जिससे अब निगम को अपने होटलों और पर्यटक आवास गृह से कोई उम्मीद नहीं बची है.