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उत्तर भारत के लिए जीवनदायनी साबित होगी किसाऊ बांध परियोजना, दिल्ली में आज अहम बैठक

660 मेगावाट की किसाऊ बांध परियोजना को लेकर आज दिल्ली स्थित श्रम शक्ति भवन में एक अहम बैठक होने जा रही है. इस बैठक में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शिरकत करेंगे.

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Published : Sep 20, 2022, 8:50 PM IST

Updated : Sep 21, 2022, 9:11 AM IST

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज दिल्ली में जलशक्ति मंत्रालय (श्रम शक्ति भवन) में होने वाली बैठक में भाग लेंगे. इस हाईलेवल मीटिंग में किसाऊ बांध ( Kisau dam project) पर चर्चा होगी. इस बैठक में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Union Minister Gajendra Singh Shekhawat), हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar singh dhami) शिरकत करेंगे. यह बांध उत्तराखंड और हिमाचल बार्डर पर टौंस नदी पर दोनों प्रदेशों द्वारा संयुक्त रूप से बनाया जाएगा. इस बांध के बनने से उत्तराखंड और हिमाचल के अलावा दिल्ली, हरियाणा, यूपी और राजस्थान को जलापूर्ति की जाएगी. इस बैठक में मुख्यमंत्री धामी प्रदेश में लंबित 10 अन्य जलविद्युत परियोजनाओं को भी शुरू करने का मुद्दा उठा सकते हैं.

किसाऊ परियोजना पर एक नजर: 660 मेगावाट की किसाऊ परियोजना एक राष्ट्रीय परियोजना है. ये 90 फीसदी केंद्र सरकार की सहायता से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के संयुक्त उपक्रम की तरह बनाई जानी है. करीब 12 हजार करोड़ की लागत वाली इस परियोजना के डाउन स्ट्रीम की परियोजनाओं में भी विद्युत उत्पादन बढ़ने की संभावना है. इस बांध से 1379 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन भी होगा. इस परियोजना को लेकर इन छह राज्यों में करार हो चुका है. समझौते के तहत जलभंडारण का 93 प्रतिशत भाग हरियाणा, यूपी, राजस्थान और दिल्ली को मिलेगा जबकि 3-3 प्रतिशत भाग हिमाचल और उत्तराखंड को मिलेगा. सूत्रों के अनुसार बांध निर्माण से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की 2950 हेक्टयर भूमि प्रभावित होगी और 17 गांवों के 6 हजार से अधिक निवासी विस्थापित होंगे.

पढ़ें- चकराता से कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह के बेटे अभिषेक ने पीसीसी की सदस्यता से दिया इस्तीफा

गौरतलब है कि साल 2018 में प्रधानमंत्री कार्यालय में इस मुद्दे पर हुई बैठक में फैसला किया गया था कि परियोजना लागत के घटकों का विभाजन इस तरह से किया जाए ताकि प्रभावित राज्यों के प्रतिकूल प्रभावों की भरपाई हो सके. उच्चाधिकारियों के मुताबिक, मुख्यमंत्री धामी जलशक्ति मंत्रालय में बैठक के दौरान 10 उन परियोजनाओं पर अमल कराने की मांग कर सकते हैं, जिनको लेकर कोई विवाद नहीं है. वहीं, विशेषज्ञ समिति और जल शक्ति मंत्रालय इन परियोजनाओं को पहले ही सैद्धांतिक स्वीकृति दे चुकी है और उत्तराखंड ने सुप्रीम कोर्ट में भी विशेषज्ञ समिति-2 की संस्तुतियों के आधार पर शपथपत्र दाखिल कर चुकी है.

ये हैं वह दस परियोजनाएं: धौली गंगा पर लाता तपोवन, भ्यूंदार गंगा पर भ्यूंदार गंग, खैरोगंगा, अलकनंदा, कोटलीभेल वन ए और वन बी, धौलीगंगा पर तमकलता, झालकोटी, उर्गम-टू और जेलम तमाक.

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज दिल्ली में जलशक्ति मंत्रालय (श्रम शक्ति भवन) में होने वाली बैठक में भाग लेंगे. इस हाईलेवल मीटिंग में किसाऊ बांध ( Kisau dam project) पर चर्चा होगी. इस बैठक में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Union Minister Gajendra Singh Shekhawat), हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar singh dhami) शिरकत करेंगे. यह बांध उत्तराखंड और हिमाचल बार्डर पर टौंस नदी पर दोनों प्रदेशों द्वारा संयुक्त रूप से बनाया जाएगा. इस बांध के बनने से उत्तराखंड और हिमाचल के अलावा दिल्ली, हरियाणा, यूपी और राजस्थान को जलापूर्ति की जाएगी. इस बैठक में मुख्यमंत्री धामी प्रदेश में लंबित 10 अन्य जलविद्युत परियोजनाओं को भी शुरू करने का मुद्दा उठा सकते हैं.

किसाऊ परियोजना पर एक नजर: 660 मेगावाट की किसाऊ परियोजना एक राष्ट्रीय परियोजना है. ये 90 फीसदी केंद्र सरकार की सहायता से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के संयुक्त उपक्रम की तरह बनाई जानी है. करीब 12 हजार करोड़ की लागत वाली इस परियोजना के डाउन स्ट्रीम की परियोजनाओं में भी विद्युत उत्पादन बढ़ने की संभावना है. इस बांध से 1379 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन भी होगा. इस परियोजना को लेकर इन छह राज्यों में करार हो चुका है. समझौते के तहत जलभंडारण का 93 प्रतिशत भाग हरियाणा, यूपी, राजस्थान और दिल्ली को मिलेगा जबकि 3-3 प्रतिशत भाग हिमाचल और उत्तराखंड को मिलेगा. सूत्रों के अनुसार बांध निर्माण से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की 2950 हेक्टयर भूमि प्रभावित होगी और 17 गांवों के 6 हजार से अधिक निवासी विस्थापित होंगे.

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गौरतलब है कि साल 2018 में प्रधानमंत्री कार्यालय में इस मुद्दे पर हुई बैठक में फैसला किया गया था कि परियोजना लागत के घटकों का विभाजन इस तरह से किया जाए ताकि प्रभावित राज्यों के प्रतिकूल प्रभावों की भरपाई हो सके. उच्चाधिकारियों के मुताबिक, मुख्यमंत्री धामी जलशक्ति मंत्रालय में बैठक के दौरान 10 उन परियोजनाओं पर अमल कराने की मांग कर सकते हैं, जिनको लेकर कोई विवाद नहीं है. वहीं, विशेषज्ञ समिति और जल शक्ति मंत्रालय इन परियोजनाओं को पहले ही सैद्धांतिक स्वीकृति दे चुकी है और उत्तराखंड ने सुप्रीम कोर्ट में भी विशेषज्ञ समिति-2 की संस्तुतियों के आधार पर शपथपत्र दाखिल कर चुकी है.

ये हैं वह दस परियोजनाएं: धौली गंगा पर लाता तपोवन, भ्यूंदार गंगा पर भ्यूंदार गंग, खैरोगंगा, अलकनंदा, कोटलीभेल वन ए और वन बी, धौलीगंगा पर तमकलता, झालकोटी, उर्गम-टू और जेलम तमाक.

Last Updated : Sep 21, 2022, 9:11 AM IST
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