देहरादून: कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पथरिया पीर इलाके में सितंबर 2019 में हुए चर्चित जहरीली शराब कांड मामले में शराब सैंपल की रुड़की आईआईटी से संतुष्ट रिपोर्ट न आने के चलते देहरादून पुलिस ने सख्त नाराजगी जताई है. दूसरी बार रुड़की आईआईटी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट को दून पुलिस ने वापस भेज दिया है.
दरअसल, पथरिया पीर शराब कांड मामले में दून पुलिस का मानना है कि जिस तरह की रिपोर्ट वह रुड़की आईआईटी से मांग रहे हैं, वो उनको दूसरी बार भी नहीं मिल पाई है. यानी रुड़की आईआईटी को दिए गये शराब सैंपल में जहर होने की पुष्टि या उसमें कौन सा कैमिकल मिलाया गया है इस बात की रिपोर्ट दून पुलिस को पिछले एक साल से अधिक समय से नहीं मिल पा रही है.
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इस जांच रिपोर्ट के लिए दून पुलिस ने आईआईटी रुड़की को 3 लाख 36 हजार का भुगतान पहले ही किया हुआ है. ऐसे में अगर तीसरी बार भी जांच रिपोर्ट में सही तथ्य नहीं आते हैं तो आईआईटी रुड़की के खिलाफ विधिक राय लेकर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
रिपोर्ट न मिलने से जांच अटकी
बता दें कि दून पुलिस ने रुड़की आईआईटी को लाखों का भुगतान कर इस बात की जानकारी मांगी है कि क्या पथरिया पीर शराब कांड मामले में एकत्र किए गये अल्कोहल सैंपल में किसी तरह की भी जहरीले पदार्थ की संभावना थी या नहीं. लेकिन रुड़की आईआईटी दो बार भेजी गई रिपोर्ट में इस बात की जानकारी नहीं दी है, जिसके चलते पुलिस इस गंभीर प्रकरण में आगे की कानूनी कार्रवाई नहीं कर पा रही है.
रिपोर्ट पर डीआईजी की नाराजगी
इस मामले में देहरादून डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने साफ किया कि रुड़की आईआईटी ने दो बार जो रिपोर्ट पुलिस सौंपी है वो समझ से परे हैं. मांगी गई जानकारी उसमें दूर-दूर तक मेल नहीं खाती है. जबकि पुलिस को आईआईटी रुड़की ने आश्वासन दिया था कि वह उनके अनुसार मांगी गई जानकारी के आधार पर ही अपनी रिपोर्ट देगी.
डीआईजी जोशी ने साफ कर दिया कि अगर तीसरी बार भी रुड़की आईआईटी से सही रिपोर्ट नहीं मिलती है या पुलिस भुगतान का पैसा वापस नहीं करते हैं तो ऐसे में विधिक राय लेकर संस्थान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के बारे में विचार किया जा सकता है.
बता दें कि सितंबर 2019 में देहरादून कोतवाली क्षेत्र के पथरिया पीर इलाके में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत होने की घटना सामने आई थी. इस मामले में बारी-बारी कर मुख्य आरोपी सहित अन्य लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संबंधित आबकारी व पुलिस विभाग को पूरे प्रकरण की जांच पड़ताल कर कानूनी कार्रवाई के आदेश दिए थे.