देहरादून: उत्तराखंड में जुलाई महीने के अंतिम दिन शासन और सरकार के लिए खासे मुश्किलों भरे रहे थे. हालत यह थी कि खुद मुख्य सचिव को सामने आकर कर्मचारियों के मुद्दों पर बात करनी पड़ी थी. बहरहाल, करीब 1 महीने बाद आईएएस दीपक रावत पिछले महीने की उसी मुसीबत को टालने के लिए एक बार फिर जूझते नजर आ रहे हैं. दरअसल, मामला ऊर्जा निगम के कर्मचारियों की हड़ताल से जुड़ा है और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए ली गई समय सीमा से ताल्लुक है.
यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक दीपक रावत के सामने ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों ने अपनी मांगों का हिसाब मांगा. इस दौरान यूजेवीएनएल के एमडी समेत तीनों निगमों के डायरेक्टर भी मौजूद रहे. दरअसल, जुलाई महीने में ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों ने हड़ताल का ऐलान किया था और हड़ताल की शुरुआत भी कर दी थी. हालांकि, हड़ताल शुरू होते ही ऊर्जा मंत्री समेत शासन चौकन्ना हो गया और उसके बाद बातचीत के बाद कर्मचारियों से 1 महीने का वक्त उनकी मांगों को पूरा करने के लिए ले लिया गया. लेकिन अब दी गई समय सीमा का वक्त खत्म हो रहा है तो एक बार फिर ऊर्जा निगम के प्रबंधन की चिंता बढ़ गई है.
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लिहाजा, प्रबंध निदेशक की मौजूदगी में ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों से बातचीत की गई. बड़ी बात यह है कि अब तक ऊर्जा निगम के कर्मचारियों की कोई भी मांग पूरी नहीं हुई है, जबकि 14 सूत्रीय मांगों में से कुछ मांगों को 15 दिन में ही पूरा करने की बात कही गई थी. इससे भी खास बात यह है कि अब आईएएस दीपक रावत ने मांग पूरा करने के लिए कुछ और वक्त मांगा है. प्रबंधन की तरफ से तर्क दिया गया है कि इस वक्त ऊर्जा निगम में सचिव ट्रेनिंग पर गई हुई हैं और लिंक अधिकारी नीतिगत फैसला नहीं ले सकते.लिहाजा सितंबर महीने तक का वक्त प्रबंधन को दिया जाए, ताकि उनकी मांगों पर कार्रवाई की जा सकें.
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उत्तराखंड पावर इंजीनियर एसोसिएशन के महासचिव अमित रंजन ने बताया कि इस बैठक के दौरान प्रबंधन की तरफ से और वक्त मांगा गया है और शुक्रवार को ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत से भी कर्मचारी संगठन मिलने वाला है. हालांकि, अमित रंजन ने कहा कि निर्णय संगठन के कर्मचारी आपस में बैठ कर लेंगे, लेकिन फिलहाल संगठन सरकार और शासन को कुछ और वक्त देने के मूड में है.