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आदमखोर घोषित वन्यजीवों के लिए कम पड़ जाएंगे रेस्क्यू सेंटर, इंसानों पर बढ़ते हमले चिंताजनक - रेस्क्यू सेंटर

इंसानों पर वन्यजीवों के हमलों का आंकड़ा हर दिन बढ़ता जा रहा है. यही वजह है कि अब मैन ईटर यानी आदमखोर घोषित होने वाले जंगली जानवरों की संख्या भी बढ़ रही है. स्थिति यह है कि राज्य में ऐसे जानवरों को रखने के लिए बनाए गए रेस्क्यू सेंटर में भी जगह कम पड़ती हुई दिखाई देने लगी है. हालांकि, कुछ नए रेस्क्यू सेंटर बनाये जा रहे हैं लेकिन बिगड़ती स्थितियां वन महकमे के लिए चिंता बढ़ा रहा है.

Uttarakhand Forest Department
रेस्क्यू सेन्टर
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Published : Sep 23, 2022, 8:04 PM IST

Updated : Sep 24, 2022, 11:10 AM IST

देहरादून: वैसे तो वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर वन महकमे की जिम्मेदारी और ड्यूटी भी है लेकिन कई बार इन्हीं अधिकारियों को खूंखार जंगली जानवरों की किलिंग के भी आदेश देने पड़ते हैं. जंगलों के आसपास मौजूदा हालात उसी तरफ बढ़ते नजर आ रहे हैं. हालत यह है कि पिछले 6 महीने में ही मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में करीब 30 लोगों की जान जा चुकी है. इसमें सबसे ज्यादा मौतें तेंदुए के हमले में हुई है.

चिंता की बात यह है कि यह आंकड़ा दिनों दिन बढ़ रहा है. गुलदार और बाघों के साथ ही भालू और हाथियों के हमले में भी लोग मारे जा रहे हैं. इन स्थितियों के बीच ऐसे आदमखोर वन्यजीवों खास तौर पर बाघ और तेंदुए के लिए रेस्क्यू सेंटर में जगह कम पड़ती हुई दिखाई देने लगी है. हालांकि, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन समीर सिन्हा (Chief Wildlife Warden Sameer Sinha) कुछ नए रेस्क्यू सेंटर बनाए जाने की बात कह रहे हैं. जिसके चलते ऐसी घटनाओं के बाद आदमखोर घोषित होने वाले वन्यजीवों को रखा जा सकेगा.

आदमखोर घोषित वन्यजीवों के लिए कम पड़ जाएंगे रेस्क्यू सेंटर

मौजूदा समय में राज्य में करीब 6 रेस्क्यू सेंटर है, जिसमें कुछ बंदर बाड़े भी शामिल हैं. उधर, गुलदार या बाघों के लिए बनाए गए रेस्क्यू सेंटर में पहले से ही आदमखोर घोषित किए गए बाघ और गुलदारों को रखा गया है. ऐसे में अब बढ़ रहे हमलों के बीच नए आदमखोर वन्यजीव के लिए जगह की जरूरतें बढ़ रही हैं. फिलहाल, ढेला में एक बड़ा रेस्क्यू सेंटर तैयार किया जा रहा है लेकिन इसकी प्रगति काफी धीमी बताई गई है. आंकड़ों के लिहाज से समझे तो राज्य में इंसानों के लिए खतरा माने गए वन्यजीवों को मारे जाने पर इस तरह निर्णय लिया गया.

वन्य जीव संरक्षण के तहत मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को ऐसे वन्यजीवों को आदमखोर घोषित करने का अधिकार प्राप्त है, जो इंसानों के लिए खतरा बन गए हों और जिसने इंसानों की जान ले ली हो. हालांकि, ऐसे आदमखोर वन्यजीव को भी पहले पकड़ने और ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर में रखने का प्रावधान है. अगर वन्यजीव पकड़ से बाहर होता है, तो उसे मारने की भी आदेश दिए जाते हैं.

Uttarakhand Forest Department
आदमखोर घोषित वन्यजीओं के आंकड़े.

मानव वन्यजीव संघर्ष के आंकड़ों का बढ़ना प्रदेश के लिए फिलहाल बड़ी चिंता बना हुआ है. राज्य में इंसानों के लिए वन्यजीव के साथ संघर्ष किस कदर परेशानी बन गया है. इसका आंकलन उन आंकड़ों से लगाया जा सकता है, जो संघर्ष के बाद इंसानों के जान गंवाने से जुड़े हैं.

Uttarakhand Forest Department
वन्यजीवों के हमले में कितनी जान गई.
पढ़ें- Ankita Bhandari Murder Case: गुमशुदगी दर्ज कराने वाला रिजॉर्ट मालिक ही निकला हत्यारा, जानिए कब-क्या हुआ?

वन विभाग तो मौजूदा परिस्थितियों से चिंतित नजर आता ही है. साथ ही प्रदेश के कई क्षेत्रों में वन्यजीवों का खौफ इंसानों में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है. हालत यह है कि कई गांव तो प्रदेश में वन्यजीवों के खतरे के चलते खाली हो चुके हैं. ऑनरेरी वार्डन राजीव तलवार कहते हैं कि वन्यजीवों के साथ इंसानों का संघर्ष यूं तो कोई नई बात नहीं है लेकिन समय के साथ-साथ इन मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. उन्होंने कहा कि राज्य में रेस्क्यू सेंटर की कमी भी महसूस हो रही है और इसके लिए वन विभाग की तरफ से प्रयास काफी कम और देरी से किए जा रहे हैं.

राज्य के लिए अपने आप में यह विचारणीय प्रश्न है कि प्रदेश में मौजूद रेस्क्यू सेंटर्स में आदमखोर घोषित वन्यजीवों की संख्या के लिहाज से जगह कम होती दिखाई दे रही है और वन महकमे को नए रेस्क्यू सेंटर बनाने पड़ रहे हैं.

देहरादून: वैसे तो वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर वन महकमे की जिम्मेदारी और ड्यूटी भी है लेकिन कई बार इन्हीं अधिकारियों को खूंखार जंगली जानवरों की किलिंग के भी आदेश देने पड़ते हैं. जंगलों के आसपास मौजूदा हालात उसी तरफ बढ़ते नजर आ रहे हैं. हालत यह है कि पिछले 6 महीने में ही मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में करीब 30 लोगों की जान जा चुकी है. इसमें सबसे ज्यादा मौतें तेंदुए के हमले में हुई है.

चिंता की बात यह है कि यह आंकड़ा दिनों दिन बढ़ रहा है. गुलदार और बाघों के साथ ही भालू और हाथियों के हमले में भी लोग मारे जा रहे हैं. इन स्थितियों के बीच ऐसे आदमखोर वन्यजीवों खास तौर पर बाघ और तेंदुए के लिए रेस्क्यू सेंटर में जगह कम पड़ती हुई दिखाई देने लगी है. हालांकि, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन समीर सिन्हा (Chief Wildlife Warden Sameer Sinha) कुछ नए रेस्क्यू सेंटर बनाए जाने की बात कह रहे हैं. जिसके चलते ऐसी घटनाओं के बाद आदमखोर घोषित होने वाले वन्यजीवों को रखा जा सकेगा.

आदमखोर घोषित वन्यजीवों के लिए कम पड़ जाएंगे रेस्क्यू सेंटर

मौजूदा समय में राज्य में करीब 6 रेस्क्यू सेंटर है, जिसमें कुछ बंदर बाड़े भी शामिल हैं. उधर, गुलदार या बाघों के लिए बनाए गए रेस्क्यू सेंटर में पहले से ही आदमखोर घोषित किए गए बाघ और गुलदारों को रखा गया है. ऐसे में अब बढ़ रहे हमलों के बीच नए आदमखोर वन्यजीव के लिए जगह की जरूरतें बढ़ रही हैं. फिलहाल, ढेला में एक बड़ा रेस्क्यू सेंटर तैयार किया जा रहा है लेकिन इसकी प्रगति काफी धीमी बताई गई है. आंकड़ों के लिहाज से समझे तो राज्य में इंसानों के लिए खतरा माने गए वन्यजीवों को मारे जाने पर इस तरह निर्णय लिया गया.

वन्य जीव संरक्षण के तहत मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को ऐसे वन्यजीवों को आदमखोर घोषित करने का अधिकार प्राप्त है, जो इंसानों के लिए खतरा बन गए हों और जिसने इंसानों की जान ले ली हो. हालांकि, ऐसे आदमखोर वन्यजीव को भी पहले पकड़ने और ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू सेंटर में रखने का प्रावधान है. अगर वन्यजीव पकड़ से बाहर होता है, तो उसे मारने की भी आदेश दिए जाते हैं.

Uttarakhand Forest Department
आदमखोर घोषित वन्यजीओं के आंकड़े.

मानव वन्यजीव संघर्ष के आंकड़ों का बढ़ना प्रदेश के लिए फिलहाल बड़ी चिंता बना हुआ है. राज्य में इंसानों के लिए वन्यजीव के साथ संघर्ष किस कदर परेशानी बन गया है. इसका आंकलन उन आंकड़ों से लगाया जा सकता है, जो संघर्ष के बाद इंसानों के जान गंवाने से जुड़े हैं.

Uttarakhand Forest Department
वन्यजीवों के हमले में कितनी जान गई.
पढ़ें- Ankita Bhandari Murder Case: गुमशुदगी दर्ज कराने वाला रिजॉर्ट मालिक ही निकला हत्यारा, जानिए कब-क्या हुआ?

वन विभाग तो मौजूदा परिस्थितियों से चिंतित नजर आता ही है. साथ ही प्रदेश के कई क्षेत्रों में वन्यजीवों का खौफ इंसानों में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है. हालत यह है कि कई गांव तो प्रदेश में वन्यजीवों के खतरे के चलते खाली हो चुके हैं. ऑनरेरी वार्डन राजीव तलवार कहते हैं कि वन्यजीवों के साथ इंसानों का संघर्ष यूं तो कोई नई बात नहीं है लेकिन समय के साथ-साथ इन मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. उन्होंने कहा कि राज्य में रेस्क्यू सेंटर की कमी भी महसूस हो रही है और इसके लिए वन विभाग की तरफ से प्रयास काफी कम और देरी से किए जा रहे हैं.

राज्य के लिए अपने आप में यह विचारणीय प्रश्न है कि प्रदेश में मौजूद रेस्क्यू सेंटर्स में आदमखोर घोषित वन्यजीवों की संख्या के लिहाज से जगह कम होती दिखाई दे रही है और वन महकमे को नए रेस्क्यू सेंटर बनाने पड़ रहे हैं.

Last Updated : Sep 24, 2022, 11:10 AM IST
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