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उत्तराखंड में महफूज नहीं हैं बेटियां, बढ़ता जा रहा मानव तस्करी का जाल

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Published : Jul 30, 2019, 10:15 PM IST

मानव तस्करी के मामले में पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड भी पीछे नहीं हैं. उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, टिहरी और चंपावत से अब तक सबसे अधिक मानव तस्करी के मामले सामने आए हैं.

उत्तराखंड में महफूज नहीं हैं बेटियां.

देहरादून: मानव तस्करी के मामले में पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड भी पीछे नहीं हैं. पहाड़ी जनपदों में सुविधाओं के अभाव और आर्थिक तंगी की वजह से मानव तस्करी बढ़ती जा रही है. जिसकी सबसे ज्यादा शिकार बच्चियां और महिलाएं हो रही हैं.

उत्तराखंड में महफूज नहीं हैं बेटियां.

इस संबंध में मानव तस्करी के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले समाजसेवी ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि प्रदेश से भी हर साल मानव तस्करी से जुड़े कई मामले सामने आते हैं. ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि उत्तराखंड में बेटियां और महिलाएं सबसे अधिक शादी के दबाव में मानव तस्करी का शिकार हो रही हैं . विशेषकर उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, टिहरी और चंपावत प्रदेश के वह जनपद हैं, जहां से अब तक सबसे अधिक मानव तस्करी के मामले सामने आए हैं.

यह भी पढ़े-मोदी मैजिकः केदारनाथ के बाद कॉर्बेट पार्क में भी चलेगा जादू, जानिए क्या है मामला

विश्वभर में आज मानव तस्करी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से हर साल 30 जुलाई का दिन मानव तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

देहरादून: मानव तस्करी के मामले में पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड भी पीछे नहीं हैं. पहाड़ी जनपदों में सुविधाओं के अभाव और आर्थिक तंगी की वजह से मानव तस्करी बढ़ती जा रही है. जिसकी सबसे ज्यादा शिकार बच्चियां और महिलाएं हो रही हैं.

उत्तराखंड में महफूज नहीं हैं बेटियां.

इस संबंध में मानव तस्करी के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले समाजसेवी ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि प्रदेश से भी हर साल मानव तस्करी से जुड़े कई मामले सामने आते हैं. ज्ञानेंद्र कुमार ने बताया कि उत्तराखंड में बेटियां और महिलाएं सबसे अधिक शादी के दबाव में मानव तस्करी का शिकार हो रही हैं . विशेषकर उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, टिहरी और चंपावत प्रदेश के वह जनपद हैं, जहां से अब तक सबसे अधिक मानव तस्करी के मामले सामने आए हैं.

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विश्वभर में आज मानव तस्करी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से हर साल 30 जुलाई का दिन मानव तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

Intro:देहरादून- विश्व भर में आज मानव तस्करी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है । यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से हर साल 30 जुलाई का दिन मानव तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाया जाता है ।

गौरतलब है कि मानव तस्करी के प्रकोप से भारत भी अछूता नही है। यह एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय बाज़ार है जिसका प्रति वर्ष 600 अरब डॉलर का कारोबार है । हर साल हमारे देश से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 2 लाख लोग मानव तस्करी ( Human trafficking ) का शिकार होते हैं ।




Body:वहीं मानव तस्करी के मामले में पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड भी पीछे नही हैं । इस संबंध में मानव तस्करी के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाले समाजसेवी ज्ञानेंद्र कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश से भी हर साल मानव तस्करी से जुड़े कई मामले सामने आते हैं । पहाड़ी जनपदों में सुविधाओं के अभाव और आर्थिक तंगी की वजह से मानव तस्करी की जा रही है । जिसका सबसे बड़ा शिकार बच्चियां और महिलाएं हो रही हैं ।




Conclusion:समाजसेवी ज्ञानेंद्र कुमार के मुताबिक पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में बेटियां और महिलाएं सबसे अधिक शादी के दबाव में मानव तस्करी का शिकार हो रही हैं । विशेषकर उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, टिहरी, औऱ चम्पावत प्रदेश के वह जनपद हैं जहाँ से अब तक सबसे अधिक मानव तस्करी के मामले सामने आए हैं ।
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