देहरादून: जब से चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस सामने आया वैसे ही मास्क, सैनिटाइजर सहित तमाम नई चीजों ने हमारे जीवन में जगह बनाई, जिनसे हम अब तक उतने वाकिफ नही थे. सैनिटाइजर जो कि अपने सबसे ज्यादा अपने आसपास देखा होगा वो क्या है और कैसे ये कोरोना से लड़ाई में सबसे आगे खड़ा है. तो वहीं हैंड सैनिटाइजर से एक और शब्द बेहद मजबूती से जुड़ा है वो है एल्कोहल और एल्कोहल को लेकर भ्रांतियां भी बहुत है. इन सवालों से जवाब ढूंढने के लिए ईटीवी भारत ने आईआईपी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. उमेश से बात की.
सवाल:- क्या होता है हैंड सेनेटाइजर ?
जवाब:- हैंड सैनिटाइजर एक तरह से एल्कोहल और आइसोप्रोपिल का ऐसा मिश्रण है, जिसमें एल्कोहल की मात्रा 75% होती है. साथ ही इसे गाढ़ा करने के लिए इसमें ग्लिसरोल मिलाया जाता है, ताकि यह जल्दी से वाष्पित ना हो और ज्यादा समय तक चले.
सवाल-कोरोना वायरस के साथ करता क्या है हैंड सैनिटाइजर ?
जवाब:- किसी भी वायरस या फिर वैक्टीरिया के सेल के दो मुख्य हिसे होते हैं. इसी तरह से कोरोना वायरस में भी वसा की मजबूत परत के अंदर मोजूद प्रोटीन में मौजूद रहता है. सैनिटाइजर मैं मौजूद 75% एल्कोहल कोरोना वायरस के चारों तरफ मौजूद वासा की परत को शोक लेता है, जिससे वसा की परत टूट जाती है और इसके अंतर मौजूद प्रोटीन और वायरस का RNA-DNT नष्ट हो जाता है. यह केवल कोरोना वायरस के साथ ही नहीं बल्कि जिस सरफेस पर सैनिटाइजर लगाया जाता है. उस सरफेस पर मौजूद सभी बैक्टीरिया और वायरस के साथ यही होता है.
सवाल:- हाथ पे काम करता है हैंड सैनिटाइजर लेकिन शरीर के अंदर क्यों नहीं ?
जवाब:- कोरोना वायरस के इलाज के लिए पूरी दुनिया में दवाई तैयार करने में जुटी है, हालांकि हाथों में मौजूद कोरोना वायरस को केवल सैनिटाइजर से ही खत्म कर दिया जाता है तो ऐसे में कई लोग इस तरह से भी सोच सकते हैं कि जो सैनिटाइजर हाथों में काम करता है तो वह शरीर के अंदर क्यों नहीं काम करता है. इस सवाल के जवाब में डॉ. उमेश ने बताया कि इसका एक छोटा सा कारण यह है कि सैनिटाइजर में 75% मात्रा एल्कोहल की होती है जो कि इंसान के शरीर में जहर का काम करेगी.
सवाल:- शराब में भी तो अल्कोहल होता है, कोरोना में अल्कोहल की अफवाह कितनी सच ?
जवाब:- सैनिटाइजर में मौजूद अल्कोहल और शराब से साथ ली जाने वाली अल्कोहल में बहुत बड़ा अंतर होता है. सैनिटाइजर में 75% से 80% अल्कोहल मौजूद रहता है, जबकि सेवन की जाने वाली शराब में 40% से अधिक अल्कोहल नहीं मौजूद रहता है. उसमें भी पानी मिलाकर उसकी मात्रा को और कम किया जाता है. ऐसे में यह सोचना कि शराब पीने से शरीर के अंदर मौजूद कोरोना वायरस पर कुछ असर पड़ेगा. यह बिल्कुल ही गलत और तर्कसंगत नहीं है.
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सवाल:-कैसे बनता है हैंड सेनेटाइजर ?
जवाब:- सबसे पहले आइसोप्रोपेनॉल लिया जाता है, जिसको की WHO की गाइड लाइन के अनुसार 75% कंपोनेंट के साथ रखा जाता है. फिर इसके बाद 3% ग्लिसेरॉल की मात्रा रखी जाती है और H2O2 0.2% मिलाया जाता है. यह सब कंपोनेंट किसी के पास घर पर भी मोजूद हैं, तो वो आराम से इसे घर पर भी बना सकता हैं, इसके लिए कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है.
सवाल:-कितना इस्तमाल करना चाहिए ?
जवाब:- हैंड सैनिटाइजर से ज्यादा बेहतर है कि आप हाथों को किसी भी सामान्य साबुन से 20 सेकंड तक धोएं जो कि हमारी त्वचा के लिए बिल्कुल भी हानिकारक नहीं होता है. हैंड सैनिटाइजर से हमारे हाथों के सारे बैक्टीरिया एक रासायनिक क्रिया के तहत मर जाते हैं, जिसमें कि कई तरह के गुड बैक्टीरिया भी मौजूद होते हैं. उन्होंने कहा कि हैंड सैनिटाइजर को केवल तभी इस्तेमाल करें जब आपके आसपास साबुन और पानी ना हो. हैंड सैनिटाइजर को जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना ठीक नहीं है.
कौन हैं वैज्ञानिक डॉ. उमेश
हैंड सैनिटाइजर को लेकर ईटीवी भारत ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम देहरादून (आईआईपी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. उमेश से बात की. डॉ. उमेश पिछले कई सालों से आईआईपी के लिए काम कर रहे हैं. बता दें, आईआईपी देहरादून ने कोरोना वारस के अस्तित्व में आते ही हैंड सैनिटाइजर बनाने का काम शुरू कर दिया गया था और जो टीम हैंड सैनिटाइजर बनाने का काम कर रही है, डॉ उमेश उस टीम का नेतृत्व कर रहे हैं.