देहरादूनः उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों में मुसीबत बन चुके जिला विकास प्राधिकरण को खत्म कर दिया गया है. इसके मद्देनजर आदेश भी जारी हो चुके हैं. वहीं, शहरी क्षेत्रों में बढ़े हुए प्राधिकरण शुल्क को राज्य सरकार अब इसे कम करने पर विचार कर रही है. साल 2016 से चले आ रहे जिला विकास प्राधिकरण को निरस्त किए जाने से साल 2016 से पहले की जो स्थिति थी वही स्थिति आ गई है. यही नहीं, नगर पालिका, नगर पंचायत और नगर निगम का जो विस्तार हुआ है, उसमें शामिल हुए गांवों में भी प्राधिकरण लागू नही होगा.
उत्तराखंड राज्य में साल 2016 से लागू जिला विकास प्राधिकरण के चलते पर्वतीय क्षेत्रों में घर बनाने से लेकर व्यवसायीकरण निर्माण बहुत मुश्किल हो गया था. हालांकि, 2016 में जिला विकास प्राधिकरण लागू किए जाने के बाद से ही इसका विरोध हो रहा था. जिसके बाद हाल ही में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने शासन काल की पहली कैबिनेट बैठक में ही जिला विकास प्राधिकरण को खत्म करने की घोषणा की. 18 मार्च को शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने इसके आदेश भी जारी कर दिए. हालांकि, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इसे हटाने की घोषणा की थी.
ये भी पढ़ेंः गेंहू की फसल पर काश्तकारों को 20 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा बोनस, 7 दिन के भीतर होगा भुगतान
आवास मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि जिला विकास प्राधिकरण निरस्त कर दिया गया है. ऐसे में राज्य के भीतर जो साल 2016 से पहले की स्थिति थी, वही हो गयी है. इसके साथ ही विस्तारीकरण में शामिल गांव में भी प्राधिकरण लागू नहीं हुआ है. ऐसे में अब राज्य सरकार की कोशिश है कि नगरीय क्षेत्रों में जो प्राधिकरण के तहत शुल्क अधिक हो गए हैं, उन पर दोबारा से विचार किया जाएगा. होली के बाद बैठक कर शहरी क्षेत्रों में प्राधिकरण के शुल्क को कम किया जाएगा.
राज्य में चल रही आवास योजना को लेकर शनिवार को आवास मंत्री बंशीधर भगत ने विधानसभा में अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक के बाद आवास मंत्री ने कहा कि आवास योजना को अप्रैल महीने के बाद धरातल पर शुरू किया जाए, इसको लेकर अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं. हालांकि राज्य में करीब 45 हजार आवास बने हैं, जिसका डीपीआर भी तैयार हो चुका है. भारत सरकार से अप्रूवल भी मिल चुका है. लिहाजा इस पर जल्द कार्य शुरू कर दिया जाएगा.