देहरादून: उत्तराखंड की जेलों में एचआईवी संक्रमित कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. एचआईवी केसों की बढ़ी संख्या को देखते हुए जेल प्रशासन नए और पुराने कैदियों का मेडिकल चेकअप कराने जा रहा है. जिसको लेकर एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन से जेल प्रशासन की बैठक हो चुकी है. इसी बैठक के तहत यह निर्णय लिया गया कि अब हर महीने एड्स कंट्रोल संस्थान के चिकित्सक जेलों का दौरा करेंगे और एचआईवी केस से संबंधित शिकायतों की जांच करेंगे.
इतना ही नहीं जेल में आने वाले नए कैदियों का भी एचआईवी और टीबी टेस्ट अनिवार्य किया गया है. हालांकि जेलों में ये नियम पहले से चल रहा था. लेकिन अब इसे और सख्ती से लागू किया जा रहा है. इसके लिए आईजी जेल की तरफ से सभी 11 जेल अधीक्षकों को गाइडलाइन जारी की गयी हैं.
उत्तराखंड की जेल में एचआईवी पॉजिटिव कैदी
उत्तराखंड के 11 जिलों में कुल 26 कैदी अभी तक एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं. इन कैदियों को लगातार जेल प्रशासन द्वारा मेडिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध कराया जा रहा है. जेल में एचआईवी और टीबी के मरीजों के सही उपचार के लिए पुलिस मुख्यालय स्तर पर एक नोडल अधिकारी का नियुक्ति की गई है. वहीं, कैदियों के इलाज के लिए जेल प्रशासन जल्द ऋषिकेश एम्स से MoU साइन करने जा रहा है.
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आईजी जेल एपी अंशुमान के मुताबिक जेलों में बंद कैदियों के स्वास्थ्य को लेकर कई नए कदम उठाए जा रहे हैं. साथ ही उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए एम्स ऋषिकेश से एमओयू साइन होने वाला है. इसके साथ ही कैदियों के टीबी और एचआईवी जांच के लिए एड्स कंट्रोल और टीबी कंट्रोल चिकित्सा संस्थान से बैठक हो चुकी है. दोनों ही चिकित्सा संस्थान की एक-एक टीम अब मासिक रूप में हर जेल में विजिट करेगी.
उत्तराखंड की जेलों की हालत
उत्तराखंड की जेलों में भेड़-बकरियों की तरह कैदियों को ठूंसा गया है. क्षमता से 200 प्रतिशत अधिक बंदी प्रदेश की विभिन्न जेलों में बंद हैं. आईजी जेल एपी अंशुमान की तरफ से 2 अप्रैल 2021 को हाईकोर्ट में पेश की गई एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. प्रदेश की 11 जेलों में 6,608 कैदी बंद हैं. जबकि इन जेलों की क्षमता महज 3,540 कैदियों की है. अप्रैल तक इन जेलों में कुल 6,608 बंदी रखे गए हैं. यहां 382 बंदियों की क्षमता के उलट 1756 बंदी जेलों में ठूंसे गए हैं.