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मई दिवस विशेष: कैसे एक दु:खद घटना से हुई थी शुरुआत, जानें इस दिन का इतिहास

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में की थी. यही कारण है की की शुरुआती दौर में मजदूर दिवस को भारत में मद्रास दिवस भी कहा जाता था.

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Published : May 1, 2019, 11:47 AM IST

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देहरादून: बीते कई सालों से 1 मई का दिन भारत के साथ ही विश्व के 80 देशों में मजदूर दिवस ( LABOUR DAY) के रूप में मनाया जाता है. यह उन खास लोगों का दिन है जो अपने खून-पसीने और कड़ी मेहनत से राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं. यही कारण है कि भारत समेत विश्व के कई देशों में इस दिन मजदूरों और कामगारों के सम्मान में राष्ट्रीय अवकाश रहता है.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस: HMT कारखाना श्रमिकों को 3 साल से नहीं मिला वेतन

मजदूरों को समर्पित इस खास दिन के इतिहास की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी. दरअसल, अमेरिका के मजदूर संघ ने मिलकर निश्चय किया था कि वह 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे. जिसके लिए संगठनों ने लंबे समय तक हड़ताल की. इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमाक्रेट में किसी अज्ञात व्यक्ति ने बम ब्लास्ट किया था.

जिसके बाद बिना कुछ सोचे समझे अमेरिकन पुलिस ने अपनी हक की लड़ाई लड़ रहे बेकसूर मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं. जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा मजदूर घायल हो गए. जिसके बाद साल 1989 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में एलान किया गया कि हेमाक्रेट नरसंहार में मारे गए लोगों की याद में 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा.

भारत में मजदूर दिवस का इतिहास

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में की थी. यही कारण है की की शुरुआती दौर में मजदूर दिवस को भारत में मद्रास दिवस भी कहा जाता था.

हमारे आस-पास काम कर रहे मजदूरों की मेहनत को अगर हम समझने लगें, तो 1 मई को मनाए जाने वाले मजदूर दिवस के दिन का महत्व शायद और भी बढ़ जाएगा. लेकिन विडंबना यह है कि आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो इन मजदूरों की कठिन मेहनत को समझने से कोई सरोकार ही नहीं रखते हैं, ऐसे में अगर हम सही मायनों में कामगारों और मजदूरों को सम्मान देना है तो हमें यह समझना होगा कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता.

देहरादून: बीते कई सालों से 1 मई का दिन भारत के साथ ही विश्व के 80 देशों में मजदूर दिवस ( LABOUR DAY) के रूप में मनाया जाता है. यह उन खास लोगों का दिन है जो अपने खून-पसीने और कड़ी मेहनत से राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी निभा रहे हैं. यही कारण है कि भारत समेत विश्व के कई देशों में इस दिन मजदूरों और कामगारों के सम्मान में राष्ट्रीय अवकाश रहता है.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस: HMT कारखाना श्रमिकों को 3 साल से नहीं मिला वेतन

मजदूरों को समर्पित इस खास दिन के इतिहास की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी. दरअसल, अमेरिका के मजदूर संघ ने मिलकर निश्चय किया था कि वह 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे. जिसके लिए संगठनों ने लंबे समय तक हड़ताल की. इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमाक्रेट में किसी अज्ञात व्यक्ति ने बम ब्लास्ट किया था.

जिसके बाद बिना कुछ सोचे समझे अमेरिकन पुलिस ने अपनी हक की लड़ाई लड़ रहे बेकसूर मजदूरों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं. जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा मजदूर घायल हो गए. जिसके बाद साल 1989 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में एलान किया गया कि हेमाक्रेट नरसंहार में मारे गए लोगों की याद में 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा.

भारत में मजदूर दिवस का इतिहास

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में की थी. यही कारण है की की शुरुआती दौर में मजदूर दिवस को भारत में मद्रास दिवस भी कहा जाता था.

हमारे आस-पास काम कर रहे मजदूरों की मेहनत को अगर हम समझने लगें, तो 1 मई को मनाए जाने वाले मजदूर दिवस के दिन का महत्व शायद और भी बढ़ जाएगा. लेकिन विडंबना यह है कि आज भी कई लोग ऐसे हैं, जो इन मजदूरों की कठिन मेहनत को समझने से कोई सरोकार ही नहीं रखते हैं, ऐसे में अगर हम सही मायनों में कामगारों और मजदूरों को सम्मान देना है तो हमें यह समझना होगा कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता.

Intro:विश्व मजदूर दिवस (Special)

परेशानियां बढ़ जाए ,
तो इंसान मजबूर होता है,
श्रम करने वाला हर व्यक्ति मजदूर होता है


देहरादून- बीते कई सालों से 1 मई का दिन भारत के साथ ही विश्व के 80 देशों में मजदूर दिवस ( LABOUR DAY) के रूप में मनाया जाता है। यह उन खास लोगों का दिन है जिनके खून पसीने की कड़ी मेहनत से आज देश और दुनिया में तेज़ी से विकास हो रहा है और बड़ी-बड़ी गगनचुंबी इमारतें तैयार हो रही है। यही कारण है कि बीते कई सालों से भारत समेत विश्व के कई देशों में इस दिन मजदूरों और कामगारों के सम्मान में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।


Body:बात मजदूरों को समर्पित इस खास दिन के इतिहास की करें तो अंतरराष्ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी। दरअसल अमेरिका के मजदूर संघ ने मिलकर निश्चय किया था कि वह 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे । जिसके लिए संगठनों ने लंबे समय तक हड़ताल की और इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमाक्रेट में किसी अज्ञात व्यक्ति ने अचानक की बम ब्लास्ट कर दिया । जिसके बाद बिना कुछ सोचे समझे अमेरिकन पुलिस ने अपनी हक की लड़ाई लड़ रहे बेकसूर मजदूरों पर अंधाधुंद गोलियाँ चला दी। जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। जिसके बाद साल 19889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान हेमाक्रेट नरसंहार में मारे गए निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाए जाने का एलान किया गया ।

भारत में मजदूर दिवस का इतिहास-

वहीं मजदूर दिवस की शुरुआत भारत में 1 मई 1923 को हुई थी। भारत की लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान में 1 मई 1923 को मद्रास में उसकी शुरुआत की थी । यही कारण है की की शुरुआती दौर में मजदूर दिवस को भारत में मद्रास दिवस भी कहा जाता था


Conclusion:बरहाल हमारे आस पास काम कर रहे मजदूरों की मेहनत को यदि हम समझने लगे तो 1 मई को हर साल मनाए जाने वाले मजदूर दिवस के दिन का महत्व शायद और भी बढ़ जाए । लेकिन विडंबना यह है की आज भी कई लोग ऐसे हैं जो इन मजदूरों की कठिन मेहनत को समझते से कोई सरोकार ही नहीं रखते है । ऐसे में यदि हम सही मायनों में कामगारों और मजदूरों को सम्मान देना है तो हमें यह समझना होगा कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता। हर वह व्यक्ति जो कड़ी मेहनत कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है वह व्यक्ति 'मजदूर 'ही है
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