देहरादून: पहाड़ों की रानी मसूरी की खूबसूरती लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती रहती है. जहां देश- विदेश के सैलानी खींचे चले आते हैं. साथ ही यहां की हसीन वादियों से लौटते वक्त सैलानी दोबारा आने का वादा करते हैं. पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर ये शहर अंग्रेजों के समय से लोगों के दिलों में बसा हुआ है. यही वजह है कि देश की आजादी से पहले अंग्रेजों ने भी मसूरी शहर को विकसित करने में अपना पूरा योगदान दिया था.
मसूरी गन हिल प्वाइंट से जुड़ा है ब्रिटिश हुकूमत का रोचक इतिहास, जानिए पूरी कहानी
मसूरी में मशहूर पर्यटक स्थल गन हिल की. दरअसल, मसूरी में गन हिल नाम से आज भी एक पहाड़ी है. जिसके बारे में लोग बताते है कि इस पहाड़ी पर अंग्रेजों के दौर में एक तोप रखी गयी थी. जिससे हर घंटे घास के गोले दागे जाते थे. जिसके बाद से इस पहाड़ी को गन हिल के नाम से जाना जाने लगा. दरअसल, समय मिलाने के लिए अंग्रेजों ने इस तरकीब को इजात किया था.
देहरादून: पहाड़ों की रानी मसूरी की खूबसूरती लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती रहती है. जहां देश- विदेश के सैलानी खींचे चले आते हैं. साथ ही यहां की हसीन वादियों से लौटते वक्त सैलानी दोबारा आने का वादा करते हैं. पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर ये शहर अंग्रेजों के समय से लोगों के दिलों में बसा हुआ है. यही वजह है कि देश की आजादी से पहले अंग्रेजों ने भी मसूरी शहर को विकसित करने में अपना पूरा योगदान दिया था.
Historical gun hill point in mussoorie
मसूरी गन हिल प्वाइंट से जुड़ा है ब्रितानी हुकूमत का रोचक इतिहास, जानिए पूरी कहानी
देहरादून: पहाड़ों की मसूरी की खूबसूरती लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती रहती है. जहां देश विदेश के सैलानी खींचे चले आते हैं. साथ ही यहां की हसीन वादियों से लौटते वक्त सैलानी दोबारा आने का वादा करते हैं. पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर ये शहर अंग्रेजों के समय से लोगों के दिलों में बसा हुआ है. यही वजह है कि देश की आजादी से पहले अंग्रेजों ने भी मसूरी शहर को विकसित करने में अपना पूरा योगदान दिया था.
यूं तो पहाड़ों की रानी अपनी सुदंरता के लिए पूरे विश्व में विख्यात है. लेकिन मसूरी में एक ऐसी जगह भी है, जिसका अपना एक रोचक इतिहास है. आज बात मसूरी में मशहूर पर्यटक स्थल गन हिल की. दरअसल, मसूरी में गन हिल नाम से आज भी एक पहाड़ी है. जिसके बारे में लोग बताते है कि इस पहाड़ी पर अंग्रेजों के दौर में एक तोप रखी गयी थी. जिससे हर घंटे घास के गोले दागे जाते थे. जिसके बाद से इस पहाड़ी को गन हिल के नाम से जाना जाने लगा. दरअसल, समय मिलाने के लिए अंग्रेजों ने इस तरकीब को इजात किया था.
शहर के बीच मौजूद ऊंची पहाड़ी से हर घंटे घास के गोले दागे जाते थे. समय के अनुसार यानी घड़ी में जितने बजते थे, घास के उतनी ही गोले इस पहाड़ी से दागे जाते थे. हालांकि कुछ समय बाद इस प्रथा का अंत भी एक बेहद रोचक तरीके से हुआ. पुराने लोग बताते हैं कि एक दिन पहाड़ी से नीचे एक ब्रिटिश महिला पर गन हिल से दागा गया गोला गिर गया. जिसके बाद हुए बबाल के बाद ये प्रथा बंद कर दी गई. हालांकि आज गन हिल पर वो तोप मौजूद नहीं है.
लेकिन बावजूद इसके आज भी इस पहाड़ी का नाम गन हिल कहलाता है. यहां के लोगों के जहन में इस तोप के किस्से आज भी ताजा हैं. समय के साथ तालमेल बैठाने वाली इस तोप को विरासत के तौर पर संजोए रखने की आवश्यकता है. साथ ही नई पीढ़ी इस प्रथा से रूबरू हो सके इसके लिए सरकार को सोचना चाहिए.
Conclusion: