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20 साल तक FRI बिल्डिंग की दरारों पर होता रहा सर्वे, अब होगा ट्रीटमेंट

साल 1929 में ब्रिटिश काल के दौरान ग्रीक-रोमन वास्तुकला से बनी एफआरआई की बिल्डिंग में 20 पहले कुछ दरारें आ गई थीं. इन सब के बाजवूद इस धरोहर को बचाने में 20 साल से ज्यादा का समय लग गया.

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Published : May 28, 2019, 7:38 PM IST

FRI building

देहरादून: राजधानी देहरादून में स्थित विश्व प्रसिद्ध वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) के अस्तित्व को बचाने के लिए आखिरकार केंद्र सरकार की 20 साल बाद नींद टूट ही गई. 20 साल पहले आए भूकंप के दौरान बिल्डिंग में जो दरारें आई थीं, अब उनको भरने का काम शुरू हो गया है. दरारों की वजह से बिल्डिंग पर खतरा मंडरा रहा है.

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साल 1929 में ब्रिटिश काल के दौरान ग्रीक-रोमन वास्तुकला से बनी एफआरआई की बिल्डिंग में 20 पहले कुछ दरारें आ गई थीं. 12 सौ एकड़ में फैले इस वन अनुसंधान केंद्र परिसर में लाखों प्रजातियों के पेड़ पौधे मौजूद हैं, जिन पर रिसर्च होता है. साथ ही यहां दशकों पुरानी बेशकीमती लकड़ियों को ट्रीटमेंट कर सुरक्षित रखा गया है. इस बिल्डिंग में 5 म्यूजियम है, जिन्हें देखने के लिए लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं.

20 साल तक FRI बिल्डिंग की दरारों पर होता रहा सर्वे

इन सब के बाजवूद इस धरोहर को बचाने में 20 साल से ज्यादा का समय लग गया. हालांकि अब जल्द ही सिविल इंजीनियरिंग द्वारा इन दरारों का ट्रीटमेंट किया जाएगा. ताकि इस ऐतिहासिक भवन को बचाया जा सके. इसके लिए 16.86 करोड़ रुपए का डीपीआर भी तैयार हो चुकी है. केंद्रीय कार्यदायी संस्था सीपीडब्ल्यूडी ने इसे फाइनल टच दे दिया है. अगले दो तीन दिनों में डीपीआर को मंजूरी के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जाएगा. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिलने की बाद विदेश तकनीक से दरारें भरने का काम शुरू किया जाएगा. जिससे एफआरआई बिल्ंडिग को नया जीवन मिल सकेगा.

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बता दें कि 1999 में उत्तराखंड के चमोली जिले में भीषण भूंकप आया था. जिसका असर देहरादून में भी देखने को मिला था. इस दौरान एफआरआई की बिल्डिंग में भी कुछ दरारें आ गई थीं. हालांकि इन 20 सालों में एफआरआई के अधिकारियों ने इन दरारों को भरने के लिए कई बार भारत सरकार वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा है, लेकिन उसके बाद भी इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

हालांकि अब लंबे समय बाद इस धरोहर को बचाने के लिए आईआईटी रुड़की और सीबीआरआई ( सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) जैसे संस्थानों ने एक सर्वे किया. इसके अलावा इसकी निगरानी भी की जा रही है. ताकि ये दरारें न बढ़ें.

इस बारे में जानकारी देते हुए एफआरआई संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी केपी सिंह ने बताया कि वर्षों की मेहनत के बाद इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा. जिसकी डीपीआर तैयार हो चुकी है. केंद्र सरकार द्वारा बजट पास होते ही कार्यदाई संस्था सीपीडब्ल्यूडी विदेश तकनीक से इस दरारों को भरने का काम करेंगी.

देहरादून: राजधानी देहरादून में स्थित विश्व प्रसिद्ध वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) के अस्तित्व को बचाने के लिए आखिरकार केंद्र सरकार की 20 साल बाद नींद टूट ही गई. 20 साल पहले आए भूकंप के दौरान बिल्डिंग में जो दरारें आई थीं, अब उनको भरने का काम शुरू हो गया है. दरारों की वजह से बिल्डिंग पर खतरा मंडरा रहा है.

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साल 1929 में ब्रिटिश काल के दौरान ग्रीक-रोमन वास्तुकला से बनी एफआरआई की बिल्डिंग में 20 पहले कुछ दरारें आ गई थीं. 12 सौ एकड़ में फैले इस वन अनुसंधान केंद्र परिसर में लाखों प्रजातियों के पेड़ पौधे मौजूद हैं, जिन पर रिसर्च होता है. साथ ही यहां दशकों पुरानी बेशकीमती लकड़ियों को ट्रीटमेंट कर सुरक्षित रखा गया है. इस बिल्डिंग में 5 म्यूजियम है, जिन्हें देखने के लिए लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं.

20 साल तक FRI बिल्डिंग की दरारों पर होता रहा सर्वे

इन सब के बाजवूद इस धरोहर को बचाने में 20 साल से ज्यादा का समय लग गया. हालांकि अब जल्द ही सिविल इंजीनियरिंग द्वारा इन दरारों का ट्रीटमेंट किया जाएगा. ताकि इस ऐतिहासिक भवन को बचाया जा सके. इसके लिए 16.86 करोड़ रुपए का डीपीआर भी तैयार हो चुकी है. केंद्रीय कार्यदायी संस्था सीपीडब्ल्यूडी ने इसे फाइनल टच दे दिया है. अगले दो तीन दिनों में डीपीआर को मंजूरी के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जाएगा. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिलने की बाद विदेश तकनीक से दरारें भरने का काम शुरू किया जाएगा. जिससे एफआरआई बिल्ंडिग को नया जीवन मिल सकेगा.

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बता दें कि 1999 में उत्तराखंड के चमोली जिले में भीषण भूंकप आया था. जिसका असर देहरादून में भी देखने को मिला था. इस दौरान एफआरआई की बिल्डिंग में भी कुछ दरारें आ गई थीं. हालांकि इन 20 सालों में एफआरआई के अधिकारियों ने इन दरारों को भरने के लिए कई बार भारत सरकार वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा है, लेकिन उसके बाद भी इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

हालांकि अब लंबे समय बाद इस धरोहर को बचाने के लिए आईआईटी रुड़की और सीबीआरआई ( सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) जैसे संस्थानों ने एक सर्वे किया. इसके अलावा इसकी निगरानी भी की जा रही है. ताकि ये दरारें न बढ़ें.

इस बारे में जानकारी देते हुए एफआरआई संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी केपी सिंह ने बताया कि वर्षों की मेहनत के बाद इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने का कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा. जिसकी डीपीआर तैयार हो चुकी है. केंद्र सरकार द्वारा बजट पास होते ही कार्यदाई संस्था सीपीडब्ल्यूडी विदेश तकनीक से इस दरारों को भरने का काम करेंगी.

Intro:Pls नोट डेस्क-महोदय यह स्टोरी एक्सक्लुसिव स्पेशल हैं। स्टोरी के विसुअल और बाईट -PTC को edit कर एक फ़ाइल बनाकर भेजा गया हैं विश्व प्रसिद्ध धरोहर एफआरआई बिल्डिंग के अस्तित्व को बचाने की मुहिम 20 वर्ष पहले भूकंप के चलते आये दरारों से ब्रिटिश काल निर्माणाधीन ऐतिहासिक धरोवर FRI भवन खतरे की जद में । देहरादून-वर्ष 1929 ब्रिटिश काल में निर्मित विश्व की धरोहर में से एक देहरादून स्थित एफ आर आई ( फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट) के भव्य इमारत में 20 साल पहले भूकंप के कारण आये खतरनाक दरारों को सिविल इंजीनियरिंग द्वारा ट्रीटमेंट कर बहुत जल्द ही इस ऐतिहासिक भवन के अस्तिव को बचाने कार्य किया जाएगा। इसके लिए बक़ायदा सभी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर 16.86 करोड़ रुपये की डीपीआर को केंद्रीय कार्यदायी संस्था सीपीडब्ल्यूडी द्वारा फाइनल टच दे दिया गया हैं,अगले दो तीन दिनों में इस महत्वपूर्ण डीपीआर को बज़ट की मंजूरी के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जाएगा, उधर भारत सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आने वाले दिनों में विदेशी तकनीक स्टीचिंग जैसे अन्य नए ट्रीटमेंट से इस वर्ल्डफेम FRI बिल्डिंग को नया जीवन मिल पायेगा।


Body:20 वर्ष लग गए विश्व प्रसिद्ध FRI ऐतिहासिक भवन को बचाने के उपाय में..... हैरानी की बात यह है कि, देश-दुनियांभर में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले FRI बिल्डिंग को अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई में 20 वर्ष का समय लग गया। वर्ष 1999 में उत्तराखंड के चमोली ज़िले में आए भीषण भूकंप के चलते देहरादून स्थित "फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट" (एफ आर आई) के ऐतिहासिक भवन में कई जगह ऐसी दरारें आयी,जिसके चलते इसका अस्तित्व लगातार खतरे में दिख रहा हैं। खतरनाक दरारों पर सर्वे रिपोर्ट तैयार करने में अहम भूमिका आईआईटी रुड़की और सीबीआरआई की........ उधर 20 साल पहले FRI बिल्डिंग मध्य भाग से लेकर भवन के कई हिस्सों में भूकंप के कारण खतरनाक बड़ी दरारें आने से चिंतित होकर फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के आलाधिकारियों द्वारा लगातार भारत सरकार वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को को अवगत कराया गया जिसके उपरांत देश के जाने माने आईआईटी रुड़की और सीबीआरआई ( सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से "एफ आर आई" बिल्डिंग में आई दरारों के लिए वर्षों तक सर्वे रिपोर्ट तैयार कर कार्यदाई संस्था सीपीडब्ल्यू को पेश किया. जिसके बाद अंततः सीपीडब्ल्यूडी ने फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ( एफआरआई) बिल्डिंग के ट्रीटमेंट के लिए डीपीआर तैयार कर भारत सरकार को भेजने की तैयारी कर ली है। दरारों के ऊपर सेंसर लगा कर की जा रही है उसके फैलने की लेकर निगरानी....... उधर विश्व प्रसिद्ध फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट एफ आर आई के आला अधिकारियों की माने तो वर्ष 1999 में चमोली जिले में भूकंप आने के बाद लगभग 15 साल पहले 2003 से लगातार भवन खतरनाक दरारों को लेकर विभाग कई बार भारत सरकार को सभी तरह की स्थिति से अवगत करा चुका है, जिसके रुड़की स्थित आईआईटी और सीबीआरआई (सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) द्वारा पहले ही इन दरारों पर रिसर्च कर इससे आने वाली समस्याओं बारे में पता लगाया गया, इसके बाद एफआरआई भवन के जिन हिस्सों में दरारें पड़ी है वहां सेंसर लगा कर उन दरारों के फैलने की स्थिति को निगरानी में रखा गया हैं। वही दरारों को लेकर सभी तरह की रिसर्च पूरी होने के बाद दोनों संस्थानों द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की गई जिसके आधार पर सीपीडब्ल्यूडी इस विषय पर अपनी कार्रवाई करने में जुटा है। वह इस मामले में जानकारी देते हुए एफआरआई संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी केपी सिंह ने बताया कि वर्षों की मेहनत के बाद इस ऐतिहासिक धरोहर और को बचाने का कार्य जल्द ही शुरू हो जाएगा रोडमैप पूरी तरह से तैयार है, जल्द ही केंद्र सरकार द्वारा बजट पारित होते ही कार्यदाई संस्था सीपीडब्ल्यूडी द्वारा विदेशी तकनीक से बिल्डिंग में आई दरारों पर ट्रीटमेंट शुरू किया जाएगा। बाइट - डॉ के पी सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, एफ आर आई


Conclusion:ब्रिटिश काल में सन 1929 में रखी गई थी एफआरआई की नीव.... आपको बता दें कि, देश दुनिया में अपनी एक अलग पहचान रखने वाला देहरादून स्थित ऐतिहासिक भवन "फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट" (FRI) का निर्माण ब्रिटिश काल के दौरान 7 नवंबर सन 1929 में लॉर्ड इनवीन द्वारा उद्घाटन कर किया गया था। 12 सौ एकड़ में फैले इस वन अनुसंधान केंद्र परिसर में लाखों प्रजातियां की पेड़ पौधे मौजूद है जिन पर रिसर्च कार्य होता है साथ ही यहां दशकों पुरानी बेशकीमती कीमती लकड़ियों को ट्रीटमेंट कर संरक्षित कर रखा गया है। इसी ऐतिहासिक FRI भवन में देश विदेश के आईएएस ऑफिसर ट्रेनिंग लेकर पास आउट होते हैं। इस भव्य बिल्डिंग में 5 म्यूजियम है जहां भारी संख्या में वन सामग्री से लेकर अलग-अलग तरह के पेड़ पौधों जीव जंतुओं को संरक्षित कर रखा गया है। प्रतिवर्ष लाखों देश-विदेश के पर्यटक एफ आर आई के इस भव्य भवन में ज्ञान विज्ञान से जुड़ी जानकारियों को देखने पहुंचते हैं। पीटीसी - परमजीत लाम्बा
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