देहरादून: राजधानी देहरादून का ऐतिहासिक कनॉट प्लेस (Dehradun Connaught Place) मार्केट जल्द ही मिट्टी होने वाला है. वो दिन दूर नहीं जब देहरादून का कनॉट प्लेस सिर्फ यादों में रह (Dehradun Connaught Place will be demolished) जाएगा. देहरादून का भव्य कनॉट प्लेस भी 19वीं सदी में दिल्ली के कनॉट प्लेस के तर्ज पर ही विकसित किया गया था. देहरादून के कनॉट प्लेस की नींव देहरादून के एक बड़े व्यापारी ने रखी (historical building of dehradun) थी.
आजादी से पहले बनाई गई थी बिल्डिंग: साल 1930 में अंग्रेजी सियासत के दौरे में जब पूरे देश मे बड़ी-बड़ी ऐतिहासिक इमारतों की नींव रखी जा रही थी, उसी दौरान दिल्ली के कनॉट प्लेस के तर्ज पर देहरादून के बड़े व्यवसायी मनसाराम ने देहरादून में भी एक भव्य इमारत का निर्माण करवाया. 19 वीं सदी के शुरुआत में देहरादून के मशहूर व्यापारी मंसाराम ने ये बिल्डिंग चकराता रोड पर बनाई और यहीं से वह अपने फाइनेंस और प्राइवेट बैंक के कारोबार को हवा दे रहे थे.
लेकिन देश की आजादी के बाद मंसाराम के कारोबार का सूर्य अस्त हो गया और धीरे-धीरे मंसाराम को धंधे में घाटा होने लगा और इस दौरान मंसाराम में भारत इंश्योरेंस से एक बड़ा लोन लिया और उस लोन के बदले देहरादून चकराता रोड पर मौजूद इस बिल्डिंग को गिरवी रख दिया.
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बिल्डिंग के निर्माण के लिए लिया गया था लोन: बाद में लोन ना चुकाने की वजह से भारत इंश्योरेंस कंपनी का इस पर स्वामित्व हो गया और जब देश की आजादी के बाद 1 सितंबर 1965 को भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना हुई तो उस दौरान देश की तकरीबन ढाई सौ बड़ी कंपनियों का विलय भारतीय जीवन बीमा निगम में किया गया और इन्हीं कंपनियों में एक कंपनी लक्ष्मी इंश्योरेंस लोन भी थी और अब इस तरह से देहरादून चकराता रोड पर मौजूद मंसाराम की इस बिल्डिंग पर एलआईसी का स्वामित्व आ गया.
एलआईसी के अधिकारी बताते हैं कि उन्हें यह बिल्डिंग किरायेदारों के साथ मिली थी और तब से ही इस बिल्डिंग में कई किराएदार रहते हैं और कुछ लोग अपनी दुकान लगाते हैं. जिसके बाद कई साल बीत जाने के बाद भी ना तो इन लोगों का किराया बढ़ाया जा सका और ना ही इन लोगों से कब्जा छुड़वाया जा सका.
LIC के कब्जे में है बिल्डिंग: वर्ष 2013 में इस बिल्डिंग को देहरादून नगर निगम में गिरासू भवन के रूप में घोषित कर दिया था. यह बिल्डिंग जर्जर होती जा रही है, बिना किसी मरम्मत और रिनोवेशन के चलते इस बिल्डिंग के आज कई हिस्से गिरने लगे हैं. लिहाजा एलआईसी ने इस बिल्डिंग को गिराने के लिए प्रस्ताव बढ़ाया, लेकिन बिल्डिंग में रह रहे किरायेदारों ने इसका विरोध किया. जिसके बाद मामला न्यायालय चला गया.
न्यायालय से कई अलग-अलग स्टेज पर फैसला आए और फाइनली 14 सितंबर को इस बिल्डिंग में रह रहे हैं तकरीबन 65 लोगों को बिल्डिंग को खाली करने का आखिरी अल्टीमेटम दे दिया जा चुका है. अब बिल्डिंग को जमींदोज करने की करवाई भी शुरू होगी. अपने आप में एक सदी के इतिहास का गवाह रहा देहरादून का कनॉट प्लेस अब अतीत के पन्नों में ही सिमट कर मिट्टी में मिल जाएगा.
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