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द्रोणनगरी में उमड़ा आस्था का सैलाब, ऐतिहासिक दरबार साहिब में विधि-विधान से 86 फीट ऊंचे झंडे जी का आरोहण

श्री झंडे जी के विधिवत आरोहण के साथ आज से दरबार साहिब में हर साल लगने वाले झंडे जी मेले का भी आगाज हो गया है. श्री गुरू राम राय महाराज परिसर में आस्था और श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा. बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए इस बार विशेष एहतियात बरतते हुए झंडे जी मेले का आयोजन किया गया है.

Dehradun Jhanda Mela
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Published : Apr 2, 2021, 6:17 PM IST

Updated : Apr 2, 2021, 10:48 PM IST

देहरादून: आज द्रोणनगरी देहरादून में स्थित दरबार श्री गुरू राम राय महाराज परिसर में आस्था और श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा. ऐतिहासिक दरबार साहिब में आज विधि-विधान के साथ 86 फीट ऊंचे श्री झंडे जी का आरोहण किया गया. इस दौरान सीमित संख्या में देश के विभिन्न राज्यों जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से सीमित संख्या में लोग श्री झंडे जी के आरोहण का साक्षी बनने पहुंचे.

विधि-विधान से 86 फीट ऊंचे झंडे जी का आरोहण

विधिविधान के साथ श्री झंडे जी का आरोहण

शुक्रवार सुबह से ही श्री दरबार साहिब में देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी. इस दौरान सुबह 8 बजे से पहले पुराने झंडे जी को उतारने का कार्यक्रम किया गया. दोपहर करीब दो बजकर 20 मिनट पर श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज की अगुवाई में विधि विधान के साथ 86 फीट ऊंचे श्री झंडे जी का आरोहण किया गया.

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ऐतिहासिक झंडे मेले का शुभारंभ.

4 अप्रैल को नगर परिक्रमा के बाद झंडे जी मेले का समापन

श्री झंडे जी के विधिवत आरोहण के साथ आज से दरबार साहिब में हर साल लगने वाले झंडे जी मेले का भी आगाज हो गया है. देश के साथ ही प्रदेश में बढ़ती कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए इस बार श्री झंडे जी मेला प्रबंधन समिति ने सिर्फ 2 दिन के लिए ही झंडे जी मेले का आयोजन करने का निर्णय लिया है. ऐसे में आगामी 4 अप्रैल को नगर परिक्रमा के बाद झंडे जी मेले का भी समापन कर दिया जाएगा.

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रूट डायवर्ट किया गया.

पढ़ें- अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह ने जीता दिल, मारपीट करने वाले संतों के बीच पहुंचे, कही ये बात

कोरोना गाइडलाइन के साथ झंडे जी मेले का आयोजन

वहीं, ईटीवी भारत से बात करते हुए मेला प्रबंधक समिति के व्यवस्थापक केसी जुयाल ने बताया कि देश में बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए इस बार विशेष एहतियात बरतते हुए झंडे जी मेले का आयोजन किया गया है. कोरोना महामारी के चलते ऐसा पहली बार हुआ जब मेले में लाखों की बजाय महज दो से तीन हजार की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. सभी श्रद्धालुओं को दरबार साहिब परिसर में कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट दिखाने पर ही प्रवेश दिया गया है.

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कोरोना को लेकर सतर्कता

100 साल पहले से होती दर्शनी गिलाफ की बुकिंग

ऐतिहासिक दरबार साहिब से सिख समाज से जुड़े लोगों की आस्था कुछ इस कदर जुड़ी हुई है कि श्री झंडे जी पर चढ़ाए जाने वाले सनील गिलाफ की बुकिंग अभी से आगामी 2044 तक के लिए हो चुकी है. दूसरी तरफ दर्शनी गिलाफ की बुकिंग भी अभी से साल 2122 तक के लिए हो चुकी है. अगर कोई श्रद्धालु इस साल दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए बुकिंग करवाता है तो करीब 100 साल बाद 2121 में उनका नंबर आएगा. देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले सिख समाज के लोगों का मानना है कि ऐतिहासिक दरबार साहिब में एक बार माथा टेकने पर मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती हैं.

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झंडे जी मेले का निर्धारित कार्यक्रम.

क्या होते हैं झंडे जी पर चढ़ने वाले गिलाफ

गिलाफ का अर्थ है कपड़ा या आवरण, जिस तरह मनुष्य खुद को ढकने के लिए आवरण ओढ़ता है, भगवान की मूर्तियों को पोषाक पहनाई जाती हैं उसी तरह सिख समाज से जुड़े लोगों की आस्था से जुड़े झंडे जी को गिलाफ चढ़ाया जाता है. झंडे जी के तीन तरह के आवरण होते हैं-

  1. सादा गिलाफ- इसकी संख्या 41 होती है. झंडे जी को सबसे पहले यही गिलाफ ओढ़ाया जाता है.
  2. सनील गिलाफ- इसकी संख्या 21 होती हैं. इसके लिए श्रद्धालुओं द्वारा बुकिंग की जाती है.
  3. दर्शनी गिलाफ- इसकी संख्या केवल 1 होती है. सबसे ऊपर रहने के कारण ही इसका नाम दर्शनी गिलाफ है. इस गिलाफ को चढ़ाने के लिए लकी ड्रा निकाला जाता है. दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए 100 साल पहले से बुकिंग होती है.

इस बार श्री झंडे जी मेले में पंजाब के जेल सिंह नगर रोपण के जसवीर सिंह (पुत्र सुरजीत सिंह) को दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ. बता दें कि जसवीर के दादा ने करीब 100 साल पहले इसकी बुकिंग करवाई थी.

पढ़ें- हरिद्वार: पंचायती अखाड़ा की धर्मध्वजा स्थापित, हेलीकॉप्टर से की गई फूलों की वर्षा

झंडे जी मेले का इतिहास

श्री गुरु राम राय महाराज की जयंती पर हर साल श्री दरबार साहिब देहरादून में श्री झंडे जी मेले का आयोजन किया जाता है. श्री गुरु राम राय महाराज का जन्म पंजाब के कीरतपुर जिला होशियारपुर में वर्ष 1646 में होली के पांचवें दिन चैत्रवदी पंचमी पर हुआ था, तब से हर साल संगतों द्वारा देहरादून में होली के पांचवें दिन (चैत्रवदी पंचमी) ऐतिहासिक श्री झंडे जी मेले का आयोजन किया जाता है.

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कोरोना को देखते हुए सीमित रही श्रद्धालुओं की संख्या.

झंडे जी देहरादून के दरबार साहिब में स्थापित हैं. यहां हर साल आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ता है कि देखने वालों को भी आंखों पर यकीन नहीं होता. इस दरबार साहिब की स्थापना श्री गुरु राम राय जी ने की थी. औरंगजेब गुरु राम राय के काफी करीबी माने जाते थे. औरंगजेब ने ही महाराज को हिंदू पीर की उपाधि दी थी. गुरु राम राय जी ने देहरादून में आकर डेरा डाला था. इसी जगह पर यहां दरबार साहिब बनाया गया और यहां झंडे जी की स्थापना की की गई.

देहरादून: आज द्रोणनगरी देहरादून में स्थित दरबार श्री गुरू राम राय महाराज परिसर में आस्था और श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा. ऐतिहासिक दरबार साहिब में आज विधि-विधान के साथ 86 फीट ऊंचे श्री झंडे जी का आरोहण किया गया. इस दौरान सीमित संख्या में देश के विभिन्न राज्यों जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से सीमित संख्या में लोग श्री झंडे जी के आरोहण का साक्षी बनने पहुंचे.

विधि-विधान से 86 फीट ऊंचे झंडे जी का आरोहण

विधिविधान के साथ श्री झंडे जी का आरोहण

शुक्रवार सुबह से ही श्री दरबार साहिब में देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी. इस दौरान सुबह 8 बजे से पहले पुराने झंडे जी को उतारने का कार्यक्रम किया गया. दोपहर करीब दो बजकर 20 मिनट पर श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज की अगुवाई में विधि विधान के साथ 86 फीट ऊंचे श्री झंडे जी का आरोहण किया गया.

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ऐतिहासिक झंडे मेले का शुभारंभ.

4 अप्रैल को नगर परिक्रमा के बाद झंडे जी मेले का समापन

श्री झंडे जी के विधिवत आरोहण के साथ आज से दरबार साहिब में हर साल लगने वाले झंडे जी मेले का भी आगाज हो गया है. देश के साथ ही प्रदेश में बढ़ती कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए इस बार श्री झंडे जी मेला प्रबंधन समिति ने सिर्फ 2 दिन के लिए ही झंडे जी मेले का आयोजन करने का निर्णय लिया है. ऐसे में आगामी 4 अप्रैल को नगर परिक्रमा के बाद झंडे जी मेले का भी समापन कर दिया जाएगा.

Dehradun Jhandeji Mela
रूट डायवर्ट किया गया.

पढ़ें- अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह ने जीता दिल, मारपीट करने वाले संतों के बीच पहुंचे, कही ये बात

कोरोना गाइडलाइन के साथ झंडे जी मेले का आयोजन

वहीं, ईटीवी भारत से बात करते हुए मेला प्रबंधक समिति के व्यवस्थापक केसी जुयाल ने बताया कि देश में बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए इस बार विशेष एहतियात बरतते हुए झंडे जी मेले का आयोजन किया गया है. कोरोना महामारी के चलते ऐसा पहली बार हुआ जब मेले में लाखों की बजाय महज दो से तीन हजार की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. सभी श्रद्धालुओं को दरबार साहिब परिसर में कोविड-19 की नेगेटिव रिपोर्ट दिखाने पर ही प्रवेश दिया गया है.

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कोरोना को लेकर सतर्कता

100 साल पहले से होती दर्शनी गिलाफ की बुकिंग

ऐतिहासिक दरबार साहिब से सिख समाज से जुड़े लोगों की आस्था कुछ इस कदर जुड़ी हुई है कि श्री झंडे जी पर चढ़ाए जाने वाले सनील गिलाफ की बुकिंग अभी से आगामी 2044 तक के लिए हो चुकी है. दूसरी तरफ दर्शनी गिलाफ की बुकिंग भी अभी से साल 2122 तक के लिए हो चुकी है. अगर कोई श्रद्धालु इस साल दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए बुकिंग करवाता है तो करीब 100 साल बाद 2121 में उनका नंबर आएगा. देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले सिख समाज के लोगों का मानना है कि ऐतिहासिक दरबार साहिब में एक बार माथा टेकने पर मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती हैं.

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झंडे जी मेले का निर्धारित कार्यक्रम.

क्या होते हैं झंडे जी पर चढ़ने वाले गिलाफ

गिलाफ का अर्थ है कपड़ा या आवरण, जिस तरह मनुष्य खुद को ढकने के लिए आवरण ओढ़ता है, भगवान की मूर्तियों को पोषाक पहनाई जाती हैं उसी तरह सिख समाज से जुड़े लोगों की आस्था से जुड़े झंडे जी को गिलाफ चढ़ाया जाता है. झंडे जी के तीन तरह के आवरण होते हैं-

  1. सादा गिलाफ- इसकी संख्या 41 होती है. झंडे जी को सबसे पहले यही गिलाफ ओढ़ाया जाता है.
  2. सनील गिलाफ- इसकी संख्या 21 होती हैं. इसके लिए श्रद्धालुओं द्वारा बुकिंग की जाती है.
  3. दर्शनी गिलाफ- इसकी संख्या केवल 1 होती है. सबसे ऊपर रहने के कारण ही इसका नाम दर्शनी गिलाफ है. इस गिलाफ को चढ़ाने के लिए लकी ड्रा निकाला जाता है. दर्शनी गिलाफ चढ़ाने के लिए 100 साल पहले से बुकिंग होती है.

इस बार श्री झंडे जी मेले में पंजाब के जेल सिंह नगर रोपण के जसवीर सिंह (पुत्र सुरजीत सिंह) को दर्शनी गिलाफ चढ़ाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ. बता दें कि जसवीर के दादा ने करीब 100 साल पहले इसकी बुकिंग करवाई थी.

पढ़ें- हरिद्वार: पंचायती अखाड़ा की धर्मध्वजा स्थापित, हेलीकॉप्टर से की गई फूलों की वर्षा

झंडे जी मेले का इतिहास

श्री गुरु राम राय महाराज की जयंती पर हर साल श्री दरबार साहिब देहरादून में श्री झंडे जी मेले का आयोजन किया जाता है. श्री गुरु राम राय महाराज का जन्म पंजाब के कीरतपुर जिला होशियारपुर में वर्ष 1646 में होली के पांचवें दिन चैत्रवदी पंचमी पर हुआ था, तब से हर साल संगतों द्वारा देहरादून में होली के पांचवें दिन (चैत्रवदी पंचमी) ऐतिहासिक श्री झंडे जी मेले का आयोजन किया जाता है.

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कोरोना को देखते हुए सीमित रही श्रद्धालुओं की संख्या.

झंडे जी देहरादून के दरबार साहिब में स्थापित हैं. यहां हर साल आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ता है कि देखने वालों को भी आंखों पर यकीन नहीं होता. इस दरबार साहिब की स्थापना श्री गुरु राम राय जी ने की थी. औरंगजेब गुरु राम राय के काफी करीबी माने जाते थे. औरंगजेब ने ही महाराज को हिंदू पीर की उपाधि दी थी. गुरु राम राय जी ने देहरादून में आकर डेरा डाला था. इसी जगह पर यहां दरबार साहिब बनाया गया और यहां झंडे जी की स्थापना की की गई.

Last Updated : Apr 2, 2021, 10:48 PM IST
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