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हिमालयन कॉन्क्लेवः ग्रीन बोनस की उठी मांग, पीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में सभी हिमालयी राज्य देंगे योगदान

11 हिमालयी राज्य अपनी साझा समस्याओं में विकास की दौड़ में पिछड़ेपन के ठप्पे से उबरने के लिए मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव में एकजुट हुए.

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
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Published : Jul 28, 2019, 5:38 PM IST

Updated : Jul 28, 2019, 6:07 PM IST

मसूरीः हिमालयन कॉन्क्लेव की शुरुआत मसूरी में हो गई है. उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि सभी हिमालय राज्य इस बात पर एकजुट हैं कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन बोनस दिया जाए. हिमालयी राज्य देश के जल स्तंभ हैं. प्रधानमंत्री के जल संचयन शक्ति मिशन में सभी हिमालयन राज्य प्रभावी योगदान देंगे.

Himalayan conclave
हिमालयन कॉन्क्लेव में निर्मला सीतारमण के साथ हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधि.

पढ़ें- हिमालयन कॉन्क्लेवः निर्मला सितारमण ने कहा- पर्यावरण और विकास के बीच भी संतुलन जरूरी

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि नदियों के संरक्षण, पुनर्जिविकरण और केंद्र पोषित राज्यों के लिए वित्तीय सहयोग की अपेक्षा की गई है. नए पर्यटक स्थलों को विकसित करने में केंद्र से सहयोग का अनुरोध किया गया है. देश की सुरक्षा को देखते हुए, पलायन रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए.

हिमालयन कॉन्क्लेव के बारे में सीएम त्रिवेंद्र ने दी जानकारी.
त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि हिमालयन कॉन्क्लेव प्रति वर्ष आयोजित किए जाने की बात निर्मला सीतारमण ने कही. हिमालयी राज्यों के लिए एक अलग से मंत्रालय गठित हो. नीति आयोग और 15वें वित्त आयोग को वित्त मंत्रालय द्वारा हिमालयी राज्यों को जो समान आवश्यकता है, उनमें ध्यान रखते हुए आश्वस्त किया गया है कि बजट में उसका प्लान नियोजित किया जाएगा. सीएम ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात का आश्वासन दिया है.

पढ़ें- हिमालयन कॉन्क्लेवः अहम मुद्दों पर चर्चा कर रहे 11हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधि

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि देश की अधिकतर नदियों का स्रोत हिमालय ही है. ऐसे में इस बात पर चर्चा हमारी प्राथमिकता में है कि जल संरक्षण में केंद्र को हम कैसे सहयोग करें. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के जल संचय अभियान में इस तरह से हिमालयी राज्यों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. त्रिवेंद्र ने कहा कि सभी राज्य देश में पहली बार हो रहे इस तरह के सम्मेलन में एक साझा विकास के फ्रेमवर्क पर भी मंथन करेंगे.


बताया जा रहा है कि 15वें वित्त आयोग में ग्रीन बोनस का प्रावधान किया है. इसमें राज्य के बजट का 7.5% सीधा दिए जाने की बात कही गई है. लेकिन सभी राज्य इस के दोगने की बात कर रहे हैं. यानी ग्रीन बोनस राज्य के बजट का सीधा 15% होना चाहिए. इन राज्यों का तर्क है सभी पहाड़ी हिमालयी राज्य आपदाओं से घिरे रहते हैं. कभी बर्फ के कारण परेशानी होती है. सड़कें और बुनियादी सुविधाएं टूट जाती हैं तो कभी मानसून के दौरान बादल फटने और भूस्खलन से डैमेज होता है.

कॉन्क्लेव में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मेघालय के मुख्यमंत्री केसी संगमा, अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मेन, मिजोरम के मंत्री टीजे लालनंत्लुआंगाए, त्रिपुरा के मंत्री मनोज कांति देब सहित कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं.

मसूरीः हिमालयन कॉन्क्लेव की शुरुआत मसूरी में हो गई है. उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि सभी हिमालय राज्य इस बात पर एकजुट हैं कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन बोनस दिया जाए. हिमालयी राज्य देश के जल स्तंभ हैं. प्रधानमंत्री के जल संचयन शक्ति मिशन में सभी हिमालयन राज्य प्रभावी योगदान देंगे.

Himalayan conclave
हिमालयन कॉन्क्लेव में निर्मला सीतारमण के साथ हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधि.

पढ़ें- हिमालयन कॉन्क्लेवः निर्मला सितारमण ने कहा- पर्यावरण और विकास के बीच भी संतुलन जरूरी

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि नदियों के संरक्षण, पुनर्जिविकरण और केंद्र पोषित राज्यों के लिए वित्तीय सहयोग की अपेक्षा की गई है. नए पर्यटक स्थलों को विकसित करने में केंद्र से सहयोग का अनुरोध किया गया है. देश की सुरक्षा को देखते हुए, पलायन रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए.

हिमालयन कॉन्क्लेव के बारे में सीएम त्रिवेंद्र ने दी जानकारी.
त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि हिमालयन कॉन्क्लेव प्रति वर्ष आयोजित किए जाने की बात निर्मला सीतारमण ने कही. हिमालयी राज्यों के लिए एक अलग से मंत्रालय गठित हो. नीति आयोग और 15वें वित्त आयोग को वित्त मंत्रालय द्वारा हिमालयी राज्यों को जो समान आवश्यकता है, उनमें ध्यान रखते हुए आश्वस्त किया गया है कि बजट में उसका प्लान नियोजित किया जाएगा. सीएम ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात का आश्वासन दिया है.

पढ़ें- हिमालयन कॉन्क्लेवः अहम मुद्दों पर चर्चा कर रहे 11हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधि

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि देश की अधिकतर नदियों का स्रोत हिमालय ही है. ऐसे में इस बात पर चर्चा हमारी प्राथमिकता में है कि जल संरक्षण में केंद्र को हम कैसे सहयोग करें. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के जल संचय अभियान में इस तरह से हिमालयी राज्यों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. त्रिवेंद्र ने कहा कि सभी राज्य देश में पहली बार हो रहे इस तरह के सम्मेलन में एक साझा विकास के फ्रेमवर्क पर भी मंथन करेंगे.


बताया जा रहा है कि 15वें वित्त आयोग में ग्रीन बोनस का प्रावधान किया है. इसमें राज्य के बजट का 7.5% सीधा दिए जाने की बात कही गई है. लेकिन सभी राज्य इस के दोगने की बात कर रहे हैं. यानी ग्रीन बोनस राज्य के बजट का सीधा 15% होना चाहिए. इन राज्यों का तर्क है सभी पहाड़ी हिमालयी राज्य आपदाओं से घिरे रहते हैं. कभी बर्फ के कारण परेशानी होती है. सड़कें और बुनियादी सुविधाएं टूट जाती हैं तो कभी मानसून के दौरान बादल फटने और भूस्खलन से डैमेज होता है.

कॉन्क्लेव में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मेघालय के मुख्यमंत्री केसी संगमा, अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मेन, मिजोरम के मंत्री टीजे लालनंत्लुआंगाए, त्रिपुरा के मंत्री मनोज कांति देब सहित कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं.

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हिमालयन कॉन्क्लेवः ग्रीन बोनस की उठी मांग, पीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में सभी हिमालयी राज्य देंगे योगदान

मसूरीः हिमालयन कॉन्क्लेव की शुरुआत मसूरी में हो गई है. उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि सभी हिमालय राज्य इस बात पर एकजुट हैं कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन बोनस दिया जाए. हिमालयी राज्य देश के जल स्तंभ हैं. प्रधानमंत्री के जल संचयन शक्ति मिशन में सभी हिमालयन राज्य प्रभावी योगदान देंगे. 

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि नदियों के संरक्षण, पुनर्जिविकरण और केंद्र पोषित राज्यों  के लिए वित्तीय सहयोग की अपेक्षा की गई है. नए पर्यटक स्थलों को विकसित करने में केंद्र से सहयोग का अनुरोध किया गया है. देश की सुरक्षा को देखते हुए, पलायन रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए. 

त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि हिमालयन कॉन्क्लेव प्रति वर्ष आयोजित किए जाने की बात निर्मला सीतारमण ने कही. हिमालयी राज्यों के लिए एक अलग से मंत्रालय गठित हो. नीति आयोग और 15वें वित्त आयोग को वित्त मंत्रालय द्वारा हिमालयी राज्यों को जो समान आवश्यकता है, उनमें ध्यान रखते हुए आश्वस्त किया गया है कि बजट में उसका प्लान नियोजित किया जाएगा. सीएम ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात का आश्वासन दिया है.  

सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि देश की अधिकतर नदियों का स्रोत हिमालय ही है. ऐसे में इस बात पर चर्चा हमारी प्राथमिकता में है कि जल संरक्षण में केंद्र को हम कैसे सहयोग करें. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के जल संचय अभियान में इस तरह से हिमालयी राज्यों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. त्रिवेंद्र ने कहा कि सभी राज्य देश में पहली बार हो रहे इस तरह के सम्मेलन में एक साझा विकास के फ्रेमवर्क पर भी मंथन करेंगे.  

बताया जा रहा है कि 15वें वित्त आयोग में ग्रीन बोनस का प्रावधान किया है. इसमें राज्य के बजट का 7.5% सीधा दिए जाने की बात कही गई है. लेकिन सभी राज्य इस के दोगने की बात कर रहे हैं. यानी ग्रीन बोनस राज्य के बजट का सीधा 15% होना चाहिए. इन राज्यों का तर्क है सभी पहाड़ी हिमालयी राज्य आपदाओं से घिरे रहते हैं. कभी बर्फ के कारण परेशानी होती है. सड़कें और बुनियादी सुविधाएं टूट जाती हैं तो कभी मानसून के दौरान बादल फटने और भूस्खलन से डैमेज होता है.



कॉन्क्लेव में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मेघालय के मुख्यमंत्री केसी संगमा, अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मेन, मिजोरम के मंत्री टीजे लालनंत्लुआंगाए, त्रिपुरा के मंत्री मनोज कांति देब सहित कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं. 


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Last Updated : Jul 28, 2019, 6:07 PM IST
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