मसूरीः हिमालयन कॉन्क्लेव की शुरुआत मसूरी में हो गई है. उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि सभी हिमालय राज्य इस बात पर एकजुट हैं कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन बोनस दिया जाए. हिमालयी राज्य देश के जल स्तंभ हैं. प्रधानमंत्री के जल संचयन शक्ति मिशन में सभी हिमालयन राज्य प्रभावी योगदान देंगे.
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सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि नदियों के संरक्षण, पुनर्जिविकरण और केंद्र पोषित राज्यों के लिए वित्तीय सहयोग की अपेक्षा की गई है. नए पर्यटक स्थलों को विकसित करने में केंद्र से सहयोग का अनुरोध किया गया है. देश की सुरक्षा को देखते हुए, पलायन रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए.
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सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि देश की अधिकतर नदियों का स्रोत हिमालय ही है. ऐसे में इस बात पर चर्चा हमारी प्राथमिकता में है कि जल संरक्षण में केंद्र को हम कैसे सहयोग करें. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के जल संचय अभियान में इस तरह से हिमालयी राज्यों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. त्रिवेंद्र ने कहा कि सभी राज्य देश में पहली बार हो रहे इस तरह के सम्मेलन में एक साझा विकास के फ्रेमवर्क पर भी मंथन करेंगे.
बताया जा रहा है कि 15वें वित्त आयोग में ग्रीन बोनस का प्रावधान किया है. इसमें राज्य के बजट का 7.5% सीधा दिए जाने की बात कही गई है. लेकिन सभी राज्य इस के दोगने की बात कर रहे हैं. यानी ग्रीन बोनस राज्य के बजट का सीधा 15% होना चाहिए. इन राज्यों का तर्क है सभी पहाड़ी हिमालयी राज्य आपदाओं से घिरे रहते हैं. कभी बर्फ के कारण परेशानी होती है. सड़कें और बुनियादी सुविधाएं टूट जाती हैं तो कभी मानसून के दौरान बादल फटने और भूस्खलन से डैमेज होता है.
कॉन्क्लेव में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मेघालय के मुख्यमंत्री केसी संगमा, अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मेन, मिजोरम के मंत्री टीजे लालनंत्लुआंगाए, त्रिपुरा के मंत्री मनोज कांति देब सहित कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं.