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सरकार ने कराई होती केबल मार्किंग तो नहीं होता इतना बड़ा हादसा, पायलट के दोस्तों ने बताई यह बात

उत्तरकाशी रेस्क्यू में लगा चॉपर टेक ऑफ करते ही एक केबल से टकरा गया. इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई. अब एविएशन कंपनी ने पहाड़ों पर लगी केबल की मार्किंग की मांग उठाई है.

उत्तरकाशी हेलीकॉप्टर हादसा
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Published : Aug 21, 2019, 10:01 PM IST

Updated : Aug 21, 2019, 10:58 PM IST

देहरादून: उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित क्षेत्र आराकोट बंगाण में राहत और बचाव के मिशन में जुटा एक हेलीकॉप्टर बुधवार को क्रैश हो गया. जिसमें एक पायलट समेत तीन लोगों की मौत हो गई. इस हादसे के बाद मृतक पायलट के साथियों ने राज्य सरकार से विदेशों की तर्ज पर पहाड़ी क्षेत्रों में लगे केबलों को मार्क करने की गुहार लगाई है.

सरकार ने कराई होती केबल मार्किंग तो नहीं होता इतना बड़ा हादसा

दरअसल, मोल्डी गांव में राहत सामग्री पहुंचाने के बाद हेलीकॉप्टर वापस मोरी तहसील की तरफ जैसे ही उड़ान भर रहा था, उसी समय स्थानीय लोगों द्वारा सेबों की ढुलाई के लिए लगाई गई केबल से वो टकरा गया. जिस कारण उसमें आग लग गई और वह क्रैश हो गया, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि यह तार पायलट को अधिक ऊंचाई से नजर नहीं आती. एक तार की वजह से ना सिर्फ करोड़ों का हेलीकॉप्टर बर्बाद हो गया, बल्कि तीन लोग भी मौत के मुंह में समा गये.

पढे़ं- उत्तराखंड: 2013 से अब तक 6 हेलीकॉप्टर हो चुके हैं क्रैश, 25 लोगों की गई जान

वहीं कैप्टन एसके जाना ने सरकार से पर्वतीय क्षेत्रों में वैली को पार कराने वाली केवल तारों की मार्किंग करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक कुछ सामान पहुंचाने या लोगों को नदी पार कराने के लिए केबल लगाई जाती हैं, लेकिन उनकी मार्किंग नहीं की जाती. उन्होंने कहा कि इन केबलों में विदेशों की तर्ज पर बैलून लगाकर मार्किंग करनी चाहिए. जिससे भविष्य में हेलीकॉप्टर के पायलटों को इस तरह की परेशानियों का सामना ना करना पड़े.

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन को इस तरह की केबल वायर की व्यवस्थाओं को किसी भी ऑपरेशन से पहले ही सुनिश्चित कर लेना चाहिए. जिससे रेस्क्यू के समय चॉपर उड़ाने वाले जांबाज पायलट को केबल दिख जाए.

वहीं हेरिटेज हेली कंपनी के सीईओ रोहित लाल ने बताया कि मोरी तहसील से राहत सामग्री को आपदा ग्रस्त क्षेत्र में पहुंचाया जा रहा था. हालांकि, हादसा होने से पहले एक या दो बार राहत सामग्री हेलीकॉप्टर पहुंचा चुका था. उन्होंने बताया कि दोबारा सामान को ड्राप करने के लिए जैसे ही हेलीकॉप्टर ने टेक ऑफ किया, उसी समय वह एक वायर से टकराकर डिसबैलेंस हो गया और पायलट हेलीकॉप्टर को कंट्रोल नहीं कर पाया. जिस कारण यह भीषण हादसा हुआ है.

देहरादून: उत्तरकाशी के आपदा प्रभावित क्षेत्र आराकोट बंगाण में राहत और बचाव के मिशन में जुटा एक हेलीकॉप्टर बुधवार को क्रैश हो गया. जिसमें एक पायलट समेत तीन लोगों की मौत हो गई. इस हादसे के बाद मृतक पायलट के साथियों ने राज्य सरकार से विदेशों की तर्ज पर पहाड़ी क्षेत्रों में लगे केबलों को मार्क करने की गुहार लगाई है.

सरकार ने कराई होती केबल मार्किंग तो नहीं होता इतना बड़ा हादसा

दरअसल, मोल्डी गांव में राहत सामग्री पहुंचाने के बाद हेलीकॉप्टर वापस मोरी तहसील की तरफ जैसे ही उड़ान भर रहा था, उसी समय स्थानीय लोगों द्वारा सेबों की ढुलाई के लिए लगाई गई केबल से वो टकरा गया. जिस कारण उसमें आग लग गई और वह क्रैश हो गया, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि यह तार पायलट को अधिक ऊंचाई से नजर नहीं आती. एक तार की वजह से ना सिर्फ करोड़ों का हेलीकॉप्टर बर्बाद हो गया, बल्कि तीन लोग भी मौत के मुंह में समा गये.

पढे़ं- उत्तराखंड: 2013 से अब तक 6 हेलीकॉप्टर हो चुके हैं क्रैश, 25 लोगों की गई जान

वहीं कैप्टन एसके जाना ने सरकार से पर्वतीय क्षेत्रों में वैली को पार कराने वाली केवल तारों की मार्किंग करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक कुछ सामान पहुंचाने या लोगों को नदी पार कराने के लिए केबल लगाई जाती हैं, लेकिन उनकी मार्किंग नहीं की जाती. उन्होंने कहा कि इन केबलों में विदेशों की तर्ज पर बैलून लगाकर मार्किंग करनी चाहिए. जिससे भविष्य में हेलीकॉप्टर के पायलटों को इस तरह की परेशानियों का सामना ना करना पड़े.

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन को इस तरह की केबल वायर की व्यवस्थाओं को किसी भी ऑपरेशन से पहले ही सुनिश्चित कर लेना चाहिए. जिससे रेस्क्यू के समय चॉपर उड़ाने वाले जांबाज पायलट को केबल दिख जाए.

वहीं हेरिटेज हेली कंपनी के सीईओ रोहित लाल ने बताया कि मोरी तहसील से राहत सामग्री को आपदा ग्रस्त क्षेत्र में पहुंचाया जा रहा था. हालांकि, हादसा होने से पहले एक या दो बार राहत सामग्री हेलीकॉप्टर पहुंचा चुका था. उन्होंने बताया कि दोबारा सामान को ड्राप करने के लिए जैसे ही हेलीकॉप्टर ने टेक ऑफ किया, उसी समय वह एक वायर से टकराकर डिसबैलेंस हो गया और पायलट हेलीकॉप्टर को कंट्रोल नहीं कर पाया. जिस कारण यह भीषण हादसा हुआ है.

Intro:एक्सक्लुसिव स्टोरी.....

उत्तराखंड के उत्तरकाशी की आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहत और बचाव के मिशन में जुटे कैप्टन के निधन के बाद अब उनके साथ पायलट ने उत्तराखंड सरकार से हेलीकॉप्टर से टकराने वाली तार पायलट को अधिक ऊंचाई नजर नही आती हैं। लिहजा इस तरह की पहाड़ी वेलियो में केबल मार्क हो गयी होती तो हेलीकॉप्टर क्रैश से 3 लोगों की जान बच गई होती। मृतक जांबाज कैप्टन रंजीत लाल के साथी ही भविष्य में हेलीकॉप्टर क्रैश ना हो इस की गुहार लगाने लगे हैं जिसके लिए सरकार को, विदेशों की तर्ज पर पहाड़ी क्षेत्रों के तार को मार्क किया जाए। तो आइए आपको बताते हैं कि आखिर हेलीकॉप्टर क्रैश का यह हादसा हुआ कैसे.....





Body:दरअसल मौलडी गांव में राहत सामग्री डिलीवर करने के बाद हेलीकॉप्टर वापस मोरी ब्लॉक की तरफ जैसे ही उड़ान भर रहा था, उस वक्त ही स्थानीय लोगों द्वारा रैली में लगाई गई तार से हेलीकॉप्टर टकराया और हेलीकॉप्टर की टकराने के बाद हेलीकॉप्टर पूरी तरह से डिसबैलेंस हो गया। यहां तक कि हेलीकॉप्टर में आग लग गई, जिसका परिणाम पायलट, को-पायलट और तीसरे व्यक्ति की जान के रूप में सामने आया। एक तार की वजह से ना सिर्फ करोड़ों का हेलीकॉप्टर नष्ट हो गया। बल्कि 3 लोगों की जान भी चली गई। 

वही कैप्टन एस के जाना ने सरकारी सिस्टम से पर्वतीय क्षेत्रों में वैलीपार कराने वाली केवल तारो की मार्किंग करने का अनुरोध करते हुए बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों की रैलियों में नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक कुछ सामान पहुंचाने या लोगों को नदी पार कराने के लिए जो केबल लगाई जाती है। उनकी मार्किंग विदेशों की तर्ज पर बैलून लगाकर करनी चाहिए। ताकि भविष्य में आपदा जैसे हालात पैदा होने के बाद राहत और बचाव कार्यों में हेलीकॉप्टर के पायलटों को इस तरह की परेशानियों से दो-चार ना होना पड़े।

बाइट - कैप्टन एस के जाना (मृतक कैप्टन का साथी)


साथ ही बताया कि स्थानीय प्रशासन को इस तरह की केवल वायर की व्यवस्थाओं को ऑपरेशन से पहले ही सुनिश्चित कर लेना चाहिए, क्योंकि लोगों की जान बचाने के जुनून के वक्त चॉपर उड़ाने वाले जांबाज पायलट समय की बाध्यता के कारण जिस दौरान फ्लाई कर रहे होते हैं उस वक्त आसमान से केबल दिखनी चाहिए। लेकिन कई बार केवल ना दिखने की वजह से इस तरह के हादसे हो जाते हैं।

बाइट - कैप्टन एस के जाना (मृतक कैप्टन का साथी)

वही हेरिटेज हेली कंपनी के सीईओ रोहित लाल ने बताया कि
उन्हें जो जानकारी मिली है उसके अनुसार मोरी जगह से राहत सामग्री को किसी दूसरे गांव में ड्राप कर रहे थे, हालाकि हादसा होने से पहले एक या दो बार उस गांव में सामान भेज चुके थे। उसके बाद फिर से सामान को ड्राप करने के जैसे ही टेक ऑफ किया, उस समय किसी वायर को हिट किया और वायर के हिट करने के बाद हेलिकॉप्टर डिसबैलेंस हो गया और पायलट हेलीकॉप्टर को कंट्रोल नहीं कर पाए।

बाइट - रोहित लाल, सीईओ, हेरिटेज हेली कंपनी


Conclusion:
Last Updated : Aug 21, 2019, 10:58 PM IST
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