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छत्रधारी चालदा महासू की प्रवास यात्रा में उमड़ा जनसैलाब, इष्ट देवता के रूप में पूजते हैं लोग

जौनसार बावर में चार भाई महासू नाम से देवता के रूप में जाने जाते हैं. जिनमें बाशिक महासू महाराज, पवासी महासू महाराज, बौठा महासू महाराज और सबसे छोटे भाई छत्रधारी चालदा महासू महाराज इष्ट देव के रूप में पूजे जाते हैं. जिनमें सभी इष्ट देव के मंदिर जौनसार बावर के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद हैं.

Devotees Participated in Chhatradhari Chald
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Published : Apr 30, 2023, 12:06 PM IST

Updated : May 8, 2023, 2:58 PM IST

छत्रधारी चालदा महासू की प्रवास यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

विकासनगर: जौनसार बावर के इष्टदेव में से एक छत्रधारी चालदा महासू महाराज बीते दिन अपने नियत समय पर अगले पड़ाव की ओर रवाना हुए. समाल्टा मंदिर से विधि-विधान से देव डोली और देव चिन्हों को मंदिर से बाहर निकाला गया. छत्रधारी चालदा महासू महाराज के जयघोष के साथ ही आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा. छत्रधारी चालदा देवता को विदाई देने वाले श्रद्धालुओं का भारी भीड़ उमड़ी. जिसके चलते जहां एक ओर समाल्टा क्षेत्र के श्रद्धालुओं में उनके जाने का गमगीन माहौल देखने को मिला तो वहीं उनको लेने आए दसौऊ पंशगांव व खत बमठाड के लोगों में महाराज के आगमन की खुशी देखने को मिली. इस दौरान क्षेत्रीय विधायक प्रीतम सिंह भी यात्रा में शामिल हुए. उन्होंने चालदा महाराज के दर्शन किए.

हमेशा चलायमान रहते हैं महासू महाराज: सभी इष्ट देव के मंदिर जौनसार बावर के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद हैं. जिनमें से कई मंदिर काफी पौराणिक व ऐतिहासिक हैं. इन्हीं में से एक हनोल का महासू महाराज का मंदिर भी है. इन्हीं चार भाई महासू में से एक छत्रधारी चालदा महासू महाराज हैं, जो हमेशा चलाएमान ही रहते हैं. मौजूदा समय में छत्रधारी चालदा महाराज खतपट्टी समाल्टा गांव के मंदिर में 18 माह तक विराजमान रहे. अब इनका अगला पड़ाव 2 साल के लिए खत पट्टी दसौऊ पशगांव में है. जिसके प्रवास के लिए पूरे विधि विधान के साथ छत्रधारी चालदा महाराज की देव डोली और उनके निशान मंदिर से दसौऊ की ओर प्रस्थान किया. वहीं, छत्रधारी चालदा महाराज खतपट्टी बमठाड के नराया गांव में रात्रि प्रवास पर रहेंगे.
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड: श्रीनगर पुलिस ने मौसम की बेरुखी के कारण चारधाम यात्रियों को रोका, अनाउंसमेंट कर की अपील

महासू महाराज के प्रस्थान पर श्रद्धालु हुए भाव विभोर: समाल्टा गांव की रेनू की आंखों में आंसू छलक रहे थे. उन्होंने बताया कि हमें बुरा लग रहा है कि चालदा महासू महाराज यहां से प्रस्थान कर रहे हैं. डेढ़ साल से हमारे गांव में देवता के प्रति लग्न है और लोग दूर-दूर से देव दर्शन को आते थे. वहीं, देवता के छत्राई स्याणा मातबर सिंह ने कहा कि यह तो महाराज की लीला है. यह देवता मुलुक मालिक है. जब महाराज जी निकलते हैं पूरा इलाका इकट्ठा हो जाता है.

महाराज को चढाया चांदी का छत्र: दसोऊ गांव के प्रवास से पहले रात्री प्रवास पर चालदा महाराज नराया गांव मे हैं. खत पट्टी बमटाड के श्रद्धालुओं ने देवता के स्वागत कर देव दर्शन किए. व सुख समृद्धि की कामना की. वहीं अलग-अलग गाँव के समूहों ने चांदी का छत्र तो किसी ने चांदी का डोरिया व किसी ने चांदी के हिरण का जोड़ा छत्रधारी चालदा महासू महाराज को अर्पित कर क्षेत्र व देश की खुशहाली की कामना की. श्रद्धालु निधि ने बताया कि हमने चांदी के हिरण का जोड़ा देवता को चढ़ाया है.

महिलाएं करती है देव नृत्य: ढडवारी की महिला नीलम राक्टा ने बताया की हम लोग देवता के ढडवारी है. जहां-जहां देवता जाते हैं वहां-वहां हमें भी जाना पडता है. और देवता के लिए हम सारी महिलाएं नृत्य करती है. उन्होंने बताया की देवता के बिना हम नहीं है, और देवता हमारे बिना नहीं चलते, हम लोग 65 परिवार हैं बच्चे घर पर छोड देते हैं, कुछ लोग साथ में भी रखते हैं. सभी ढडवारियों के परिवार की महिलाएं देव नृत्य करती है.

वहीं, सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक कलम सिंह चौहान ने कहा कि पूरे समाल्टा के लोगों के आंखों में आंसू हैं लेकिन हम सौभाग्यशाली भी हैं. हमें 67 साल बाद देवता की सेवा का मौका मिला और देवता की छत्रछाया हम पर बनी हुई है. देवता की प्रवास यात्रा में चकराता विधायक प्रीतम सिंह भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि चालदा महाराज समाल्टा में विराजमान थे. आज जो जनसैलाब दिख रहा है. यह इस बात का प्रतीक है कि लोगों की आस्था छत्रधारी चालदा महाराज के प्रति कितनी ज्यादा आस्था है. दसौऊ प्रवास यात्रा में हम सब देवता के साथ शामिल हैं.

छत्रधारी चालदा महासू की प्रवास यात्रा में उमड़ा जनसैलाब

विकासनगर: जौनसार बावर के इष्टदेव में से एक छत्रधारी चालदा महासू महाराज बीते दिन अपने नियत समय पर अगले पड़ाव की ओर रवाना हुए. समाल्टा मंदिर से विधि-विधान से देव डोली और देव चिन्हों को मंदिर से बाहर निकाला गया. छत्रधारी चालदा महासू महाराज के जयघोष के साथ ही आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा. छत्रधारी चालदा देवता को विदाई देने वाले श्रद्धालुओं का भारी भीड़ उमड़ी. जिसके चलते जहां एक ओर समाल्टा क्षेत्र के श्रद्धालुओं में उनके जाने का गमगीन माहौल देखने को मिला तो वहीं उनको लेने आए दसौऊ पंशगांव व खत बमठाड के लोगों में महाराज के आगमन की खुशी देखने को मिली. इस दौरान क्षेत्रीय विधायक प्रीतम सिंह भी यात्रा में शामिल हुए. उन्होंने चालदा महाराज के दर्शन किए.

हमेशा चलायमान रहते हैं महासू महाराज: सभी इष्ट देव के मंदिर जौनसार बावर के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद हैं. जिनमें से कई मंदिर काफी पौराणिक व ऐतिहासिक हैं. इन्हीं में से एक हनोल का महासू महाराज का मंदिर भी है. इन्हीं चार भाई महासू में से एक छत्रधारी चालदा महासू महाराज हैं, जो हमेशा चलाएमान ही रहते हैं. मौजूदा समय में छत्रधारी चालदा महाराज खतपट्टी समाल्टा गांव के मंदिर में 18 माह तक विराजमान रहे. अब इनका अगला पड़ाव 2 साल के लिए खत पट्टी दसौऊ पशगांव में है. जिसके प्रवास के लिए पूरे विधि विधान के साथ छत्रधारी चालदा महाराज की देव डोली और उनके निशान मंदिर से दसौऊ की ओर प्रस्थान किया. वहीं, छत्रधारी चालदा महाराज खतपट्टी बमठाड के नराया गांव में रात्रि प्रवास पर रहेंगे.
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड: श्रीनगर पुलिस ने मौसम की बेरुखी के कारण चारधाम यात्रियों को रोका, अनाउंसमेंट कर की अपील

महासू महाराज के प्रस्थान पर श्रद्धालु हुए भाव विभोर: समाल्टा गांव की रेनू की आंखों में आंसू छलक रहे थे. उन्होंने बताया कि हमें बुरा लग रहा है कि चालदा महासू महाराज यहां से प्रस्थान कर रहे हैं. डेढ़ साल से हमारे गांव में देवता के प्रति लग्न है और लोग दूर-दूर से देव दर्शन को आते थे. वहीं, देवता के छत्राई स्याणा मातबर सिंह ने कहा कि यह तो महाराज की लीला है. यह देवता मुलुक मालिक है. जब महाराज जी निकलते हैं पूरा इलाका इकट्ठा हो जाता है.

महाराज को चढाया चांदी का छत्र: दसोऊ गांव के प्रवास से पहले रात्री प्रवास पर चालदा महाराज नराया गांव मे हैं. खत पट्टी बमटाड के श्रद्धालुओं ने देवता के स्वागत कर देव दर्शन किए. व सुख समृद्धि की कामना की. वहीं अलग-अलग गाँव के समूहों ने चांदी का छत्र तो किसी ने चांदी का डोरिया व किसी ने चांदी के हिरण का जोड़ा छत्रधारी चालदा महासू महाराज को अर्पित कर क्षेत्र व देश की खुशहाली की कामना की. श्रद्धालु निधि ने बताया कि हमने चांदी के हिरण का जोड़ा देवता को चढ़ाया है.

महिलाएं करती है देव नृत्य: ढडवारी की महिला नीलम राक्टा ने बताया की हम लोग देवता के ढडवारी है. जहां-जहां देवता जाते हैं वहां-वहां हमें भी जाना पडता है. और देवता के लिए हम सारी महिलाएं नृत्य करती है. उन्होंने बताया की देवता के बिना हम नहीं है, और देवता हमारे बिना नहीं चलते, हम लोग 65 परिवार हैं बच्चे घर पर छोड देते हैं, कुछ लोग साथ में भी रखते हैं. सभी ढडवारियों के परिवार की महिलाएं देव नृत्य करती है.

वहीं, सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक कलम सिंह चौहान ने कहा कि पूरे समाल्टा के लोगों के आंखों में आंसू हैं लेकिन हम सौभाग्यशाली भी हैं. हमें 67 साल बाद देवता की सेवा का मौका मिला और देवता की छत्रछाया हम पर बनी हुई है. देवता की प्रवास यात्रा में चकराता विधायक प्रीतम सिंह भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि चालदा महाराज समाल्टा में विराजमान थे. आज जो जनसैलाब दिख रहा है. यह इस बात का प्रतीक है कि लोगों की आस्था छत्रधारी चालदा महाराज के प्रति कितनी ज्यादा आस्था है. दसौऊ प्रवास यात्रा में हम सब देवता के साथ शामिल हैं.

Last Updated : May 8, 2023, 2:58 PM IST
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