देहरादून: अक्टूबर से हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों को बड़ी राहत मिलने जा रही है. अभी तक हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम देते समय बीमा धारक को बीमारी छुपाने का हवाला देकर बीमा कंपनियों द्वारा आनाकानी किया जाता रहता है. लेकिन 1 अक्टूबर बीमा कंपनी अपने पॉलिसी धारकों को सरल भाषा में क्लेम एग्रीमेंट देगा, ताकि पॉलिसी धारकों को क्लेम करते समय किसी तरह की कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.
पॉलिसी धारकों और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के बीच क्लेम को लेकर कोई विवाद ना हो, इसके लिए भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण ने सख्त गाइडलाइंस बना दी हैं. जिसका पालन अक्टूबर से सभी हेल्थ बीमा कंपनियों को करना होगा. अभी तक हेल्थ बीमा कंपनियां क्लेम देने के समय पॉलिसी धारकों को कई तरह की बीमारी छुपाने का आरोप लगाकर क्लेम देने से मना कर देती थी, जिसकी वजह से पॉलिसी धारकों को कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाना पड़ता था.
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विशेषज्ञों का कहना है कि हेल्थ बीमा कंपनी और पॉलिसी धारक के बीच क्लेम विवाद होना गंभीर समस्या है. क्योंकि कई बार खुद बीमाधारक को पता नहीं होता कि उसको कई तरह की बीमारी भी हो सकती हैं. इसी बात का फायदा उठाकर हेल्थ कंपनियां क्लेम देने में आनाकानी करती रहती हैं. भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के नए आदेश के मुताबिक अक्टूबर से बीमा देते हुए कंपनियां साफ और सरल भाषा में बीमारियों का जिक्र करते हुए एग्रीमेंट के जरिए ग्राहकों को संतुष्ट करेगी.
भारतीय स्टेट बैंक के इन्वेस्टमेंट सलाहकार जितेंद्र डीडोन के मुताबिक ग्राहकों से एग्रीमेंट करने के बावजूद भी क्लेम देने में कंपनियां आनाकानी करती है. भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के आदेश के मुताबिक अब पॉलिसी धारकों को 30 दिनों के भीतर ब्याज सहित पूरा मुआवजा हर हाल में देना होगा.
IRDAI ने क्या कहा
IRDAI ने कहा कि यदि कोई बीमा पॉलिसी लगातार 8 साल तक जारी रही हो, तो उस पर पीछे के सालों के लिए कोई किंतु-परंतु नहीं हो सकता. इस मोरेटोरियम पीरियड के खत्म होने के बाद किसी स्वास्थ्य बीमा के दावे पर किसी तरह का विवाद नहीं किया जा सकता, बशर्ते कि पॉलिसी कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक किसी तरह की जालसाजी या स्थायी रोक की बात न साबित हुई हो. इस अवधि के बीतने के बाद कोई भी स्वास्थ्य बीमा कंपनी किसी भी दावे पर विवाद नहीं कर सकती है, हालांकि, इसमें धोखाधड़ी के साबित मामले शामिल नहीं है. पॉलिसी अनुबंध में स्थायी रूप से जिस चीज को अलग रखा गया है, उसे भी शामिल नहीं माना जाएगा. साथ ही पॉलिसी अनुबंध के अनुसार सभी सीमा, उप-सीमा, सह-भुगतान और कटौती लागू होंगी.