देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना महामारी के दस्तक के बाद राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के लचर हालात ने हेल्थ वर्कर्स की परेशानियों को और भी बढ़ा दिया था. हर आपदा और परेशानी न केवल एक सीख देती है, बल्कि उस काम को और बेहतर करने का अनुभव भी देती है. राज्य के साथ ऐसा ही हुआ और आज 10 महीने बाद हालात यह हैं कि प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के हालात कोरोना कॉल से पहले के हालातों के मुकाबले काफी बदल गए हैं.
उत्तराखंड में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर तंत्र अब पहले के मुकाबले काफी मजबूत हो गया है. यह बात बतानी इसीलिए जरूरी है क्योंकि कोरोना संक्रमण के हालातों के बीच राज्य ने काफी कुछ देखा और उन अनुभवों से सीखा भी है. उत्तराखंड में खराब स्वास्थ्य हालातों के बीच कोरोना की एंट्री से न केवल राज्य सरकार बल्कि केंद्र सरकार ने भी स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की तरफ प्रयास किया. राज्य में अधिक आईसीयू बेड और ऑक्सीजन की उपलब्धता पर विशेष ध्यान दिया गया.
यही नहीं, मरीजों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को देखते हुए इक्विपमेंट्स भी बढ़ाए गए. राजधानी देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज में आज आईसीयू के 100 बैड तैयार की जा चुके हैं. इसी तरह अब मेडिकल कॉलेज में ही ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा चुका है. इसके अलावा सामान्य बेड से लेकर दवाइयों की उपलब्धता और आधारभूत सुविधाओं को जुटाया गया है. यही नहीं, अस्पताल में 10 गुना तक वेंटिलेटर की संख्या को बढ़ा दिया गया. प्रदेश के पहाड़ी जिलों में भी जिला मुख्यालय पर स्थित सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर भेजे गए हैं.
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दून मेडिकल कॉलेज के एसीएमएस डॉक्टर एनएस खत्री बताते हैं कि कोरोना का हाल में ऐसे कई आधुनिक इक्विपमेंट्स हैं, जिनको जुटाया गया है. राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार ने एक बड़ा बजट भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में खर्च किया है. खास बात यह है कि इस महामारी में स्वास्थ्य विभाग ने बड़े स्तर पर स्वास्थ्य संबंधी आपदाओं से निपटने का अनुभव हासिल किया है. डॉक्टर खत्री कहते हैं कि आज राज्य में अस्पताल और स्वास्थ्य कर्मी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं.