देहरादून: उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग और अस्पतालों पर कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों पर हेरफेर करने का आरोप लगा है. प्रदेश में सरकारी रिकॉर्ड के लिहाज से अब तक 5034 कोरोना मरीजों की मौत हो चुकी है. लेकिन इन आंकड़ों में गड़बड़झाला तब नजर आने लगता है, जब कुछ अस्पताल मौतों का रिकॉर्ड स्वास्थ्य विभाग से साझा ही नहीं करते. परेशानी बस इतनी भर ही नहीं है. क्योंकि स्वास्थ्य विभाग जो आंकड़े पेश कर रहा है, उसमें भी झोल नजर आ रहा है.
उत्तराखंड में 10 से ज्यादा ऐसे निजी अस्पताल हैं, जिनको अब तक स्टेट कोविड कंट्रोल रूम के अधिकारियों की तरफ से मरीजों की मौत के आंकड़े समय पर नहीं देने को लेकर नोटिस दिया गया है. इसके बावजूद भी हरिद्वार, रुद्रपुर और देहरादून में अस्पतालों की तरफ से मरीजों की मौत के आंकड़े पहले छिपाए जा रहे हैं और बाद में एक साथ कंट्रोल रूम को भेजे जा रहे हैं. हालांकि ऐसे मामलों को लेकर कुछ सख्ती हरिद्वार में बाबा बर्फानी अस्पताल में 65 मरीजों की मौत की जानकारी देर से देने के बाद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दिखाई दी है.
इसके बाद रायपुर के कोविड केयर सेंटर को भी नोटिस जारी किया गया है. हरिद्वार और उधम सिंह नगर के अस्पतालों को भी चेतावनी दी गई है. स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि 14 मई को बाबा बर्फानी अस्पताल हरिद्वार की तरफ से 65 मौतों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी गई. एक साथ इतनी मौतों की जानकारी मिलने पर जब स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया तो पता चला कि अप्रैल से 13 मई तक की मौत की जानकारी ही अस्पताल की तरफ से नहीं दी गई थी.
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बहरहाल मामले में न केवल हरिद्वार के सीएमओ बल्कि अस्पताल के सीएमएस को भी नोटिस जारी किया गया है. दूसरा मामला देहरादून के रायपुर स्थित कोविड केयर सेंटर का भी है. यहां 27 मरीजों की मौत की जानकारी सेंटर की तरफ से देरी से दी गई. सेंटर में यह मौतें 26 अप्रैल से 16 मई के बीच हुई थी. राज्य में हरिद्वार भेल हॉस्पिटल से भी 15 मरीजों की मौत के मामले को देरी से बताया गया. इसी तरह उधम सिंह नगर के नव्या हॉस्पिटल की तरफ से 7 मरीजों की मौत देरी से बताई गई. रुद्रपुर अस्पताल में 65 मरीजों की मौत को बेहद देरी से दर्ज कराया गया. इतने मरीजों की मौतें 28 अप्रैल से 7 मई तक हुई थी.
अस्पतालों की लापरवाही के कारण तो राज्य में मरीजों की मौत के आंकड़ों में गड़बड़ी हो ही रही है, साथ ही स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े भी संशय पैदा करने वाले हैं. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी किए जाने वाले हेल्थ बुलेटिन में ही मौत के आंकड़ों को इस कदर तोड़ा-मरोड़ा गया है कि राज्य में मौतों की असल स्थिति जानना ही बड़ा मुश्किल दिखाई दे रहा है. ईटीवी भारत ने पिछले 1 हफ्ते के दौरान स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन किया तो पाया कि राज्य में हर दिन जिला स्तर पर दिए जाने वाले आंकड़े गड़बड़ियों से पटे हैं.
कब कहां हुआ झोल
- 11 मई को राज्य में 118 मरीजों की मौत बताई गई और 4014 कुल मौतें दिखाई गई. 10 मई के आंकड़ों से तुलना की जाए तो 11 मई के आंकड़ों में पौड़ी गढ़वाल में 3 मरीजों की मौतों को कम दिखाया गया. इसी तरह नैनीताल में मरने वाले मरीजों में एक मरीज कम दिखाया गया. देहरादून में भी 3 मरीजों की मौत कम दिखाई गई. उधर चमोली और बागेश्वर में आंकड़ों के लिहाज से एक-एक मरीज ज्यादा दिखाए गए थे.
- 12 मई के आंकड़ों में देहरादून में एक मरीज की कम मौत दिखाई गई और पौड़ी गढ़वाल में 5 मरीजों के आंकड़े को कम दिखाया गया. उधर हरिद्वार में मौत के आंकड़े में एक मरीज ज्यादा दिखाया गया.
- 13 मई को भी देहरादून और पौड़ी में 2 मरीजों की मौत को कम दिखाया गया, नैनीताल में 3 मरीजों का आंकड़ा मारने वालों के लिहाज से कम था. जबकि हरिद्वार में आंकड़ों से 3 मरीज ज्यादा मृत दिखाए गए.
- 14 मई को देहरादून में 2 मरीजों की संख्या कम दिखाई गई. नैनीताल में 5 मरीजों को कम दर्शाया गया और पौड़ी गढ़वाल में भी तीन मरीजों के कम मरने का आंकड़ा दिखाया गया. जबकि उधम सिंह नगर में आंकड़े के लिहाज से 4 मरीज ज्यादा मरना दिखाया गया.
- 15 मई को देहरादून जिले में मरने वालों में एक मरीज कम दिखाया गया. पौड़ी गढ़वाल में 5 मरीजों के मरने का आंकड़ा कम दिखाई दिया और हरिद्वार में एक मरीज ज्यादा दिखाया गया है.
- 16 मई को पौड़ी गढ़वाल में आंकड़ों के हिसाब से 3 मरीजों को कम दिखाया गया.
- इसी तरह 17 मई की बात करें तो इसमें टिहरी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और हरिद्वार में एक-एक मरीज ज्यादा दिखाए गए. उधर देहरादून में मरने वाले मरीजों में एक मरीज कम दिखाया गया और पौड़ी गढ़वाल में 2 मरीज कम दिखाये गए.
- देहरादून के हिमालयन अस्पताल में अप्रैल और मई के महीने में कुल 19 मरीजों की मौत हुई. लेकिन अस्पताल ने लापरवाही दिखाते हुए मरीजों की मौत की जानकारी 18 मई को स्वास्थ्य विभाग को दी.
इस मामले में कंट्रोल रूम की तरफ से सभी सावधानियों को बरता गया है और आंकड़ों में कोई गड़बड़ी ना हो इस का भी ध्यान रखा गया है. हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ अस्पतालों की तरफ से जानकारियां देरी से दी जा रही है और इसलिए आंकड़ों में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं.
-डॉ. अभिषेक त्रिपाठी, चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, स्टेट कोविड कंट्रोल रूम
खास बात यह है कि मरीजों की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग जो आंकड़े जारी कर रहा है, उसमें हेल्थ बुलेटिन में दी जाने वाली जानकारियां कुछ संशय पैदा कर रही हैं. यही नहीं अस्पतालों में मरने वाले मरीजों से इसका तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो विभाग के आंकड़े खुद-ब-खुद सिर के बल खड़े दिखाई देते हैं.