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गजब! कभी देखा है पैरों से कैरम खेलने वाला, दिव्यांग हर्षद के जज्बे को सलाम

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Published : Jan 2, 2020, 10:51 AM IST

छिंदवाड़ा में आयोजित स्टेट कैरम प्रतियोगिता में मुंबई के हर्षद गोठणकर ने हिस्सा लेकर मिसाल पेश की है. हर्षद के हाथ नहीं हैं, फिर भी वे पैर से कैरम खेलते हैं.

दिव्यांग
दिव्यांग

छिंदवाड़ा (मप्र): कहते हैं जिनके हौसले बुलंद और लक्ष्य निर्धारित होते हैं, वो किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, मुंबई के हर्षद गोठणकर ने. हर्षद के हाथ नहीं हैं, लेकिन वे पैरों से कैरम खेलते हैं और उनके इस जज्बे को दुनिया सलाम कर रही है.

पैरों से कैरम खेलता है हर्षद.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड को मिलेगा कृषि कर्मण पुरस्कार, सीएम त्रिवेंद्र को सम्मानित करेंगे PM मोदी

छिंदवाड़ा में आयोजित कैरम प्रतियोगिता में हर्षद ने हाथ नहीं होने के बावजूद बेहतरीन प्रदर्शन किया. हर्षद कहते हैं कि उनके हाथ-पैर न होने के बावजूद भी उन्हें इसके लिए उनके मां-बाप से प्रेरणा मिली है, स्टेट लेबल पर कैरम खेल रहे हर्षद चाहते हैं कि वे नेशनल स्तर पर कैरम खेलें. जिसके लिए वे कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

पहले खेलते थे फुटबॉल

हर्षद बताते हैं कि वे पहले फुटबॉल खेला करते थे, जब उनके दोस्तों ने उन्हें कैरम के लिए प्रेरित किया तो वे कैरम खेलने लगे, हर्षद ने कहा कि उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए उनके माता पिता ने हर कदम पर प्रेरित किया है.

डेढ़ साल से खेल रहे हैं कैरम
जब हर्षद से पूछा गया कि वे कैरम कब से खेल रहे हैं तो उन्होंने बताया कि वे पिछले एक से डेढ़ साल से कैरम खेल रहे हैं.

छिंदवाड़ा (मप्र): कहते हैं जिनके हौसले बुलंद और लक्ष्य निर्धारित होते हैं, वो किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, मुंबई के हर्षद गोठणकर ने. हर्षद के हाथ नहीं हैं, लेकिन वे पैरों से कैरम खेलते हैं और उनके इस जज्बे को दुनिया सलाम कर रही है.

पैरों से कैरम खेलता है हर्षद.

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छिंदवाड़ा में आयोजित कैरम प्रतियोगिता में हर्षद ने हाथ नहीं होने के बावजूद बेहतरीन प्रदर्शन किया. हर्षद कहते हैं कि उनके हाथ-पैर न होने के बावजूद भी उन्हें इसके लिए उनके मां-बाप से प्रेरणा मिली है, स्टेट लेबल पर कैरम खेल रहे हर्षद चाहते हैं कि वे नेशनल स्तर पर कैरम खेलें. जिसके लिए वे कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

पहले खेलते थे फुटबॉल

हर्षद बताते हैं कि वे पहले फुटबॉल खेला करते थे, जब उनके दोस्तों ने उन्हें कैरम के लिए प्रेरित किया तो वे कैरम खेलने लगे, हर्षद ने कहा कि उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए उनके माता पिता ने हर कदम पर प्रेरित किया है.

डेढ़ साल से खेल रहे हैं कैरम
जब हर्षद से पूछा गया कि वे कैरम कब से खेल रहे हैं तो उन्होंने बताया कि वे पिछले एक से डेढ़ साल से कैरम खेल रहे हैं.

Intro:छिन्दवाड़ा। तकदीर के खेल में निराश नहीं होते, जिंदगी में ऐसे कभी उदास नहीं होते, हाथों की लकीरों पर क्यों भरोसा करते हो तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते। इन्हीं लाइनों को साकार किया है मुंबई के हर्षद गोठणकर ने जिनके हाथ नहीं है लेकिन पैरों से कैरम खेलते हैं।


Body:कागज किस्मत से उड़ता है लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से इसीलिए कहा जाता है कि आपकी किस्मत साथ दे ना दे लेकिन काबिलियत जरूर साथ देती है। ऐसा ही कुछ मुंबई के कुर्ला निवासी हर्षद गोठणकर काबिलियत के बल पर कर रहे हैं हर्षद के दोनों हाथ नहीं है लेकिन उन्हें इसका अफसोस नहीं है वह मेहनत के दम पर अपनी राह खुद बना रहे हैं। छिंदवाड़ा में आयोजित कैरम प्रतियोगिता में हिस्सा लेने मुंबई से पहुंचे हर्षद पैरों से कैरम खेल कर लोगों को सीख दे रहे हैं।

स्टेट लेबल खेल रहे हैं नेशनल खेलने की है चाहत

22 साल के हर्षद पहले फुटबॉल खेलते थे पिछले दो सालों से वे कैरम खेल रहे हैं,मात्र इतने कम समय मे पैरों से कैरम खेलकर उन्होंने स्टेट लेबल मव मुकाम हासिल किया है और अब वे राष्ट्रीय स्तर पर खेलना चाहते हैं।


Conclusion:हर्षद उन लोंगो के लिए मिशाल हैं जो संसाधनों के अभाव की बात कर अपनी किस्मत को कोसते हैं।

बाइट-हर्षद गोठणकर, खिलाड़ी
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