देहरादून/हल्द्वानी: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार पर विभिन्न मुद्दों को लेकर हमलावर हैं. किसानों के विरोध को देखते हुए हरदा कृषि कानून पर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं तो वहीं, दूसरी तरफ विधानसभा सत्र की समय सीमा बढ़ाए जाने को लेकर भी अपने विधायकों को सलाह देते नजर आ रहे हैं. खास बात यह है कि हरीश रावत कृषि कानून को लेकर आने वाली रणनीति पर चर्चा के लिए दिल्ली रवाना हुए हैं, जहां वे आज राहुल गांधी से मुलाकात कर कृषि कानूनों पर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर काम करेंगे.
हरीश रावत ने एक तरफ केंद्र सरकार पर कृषि कानून को लेकर किसानों के साथ ज्यादती करने का आरोप लगाया है तो वहीं, उन्होंने मोदी सरकार को कड़ा सबक सिखाने की भी बात कही है. इसी को लेकर हरीश रावत शनिवार को राहुल गांधी से मुलाकात करने वाले हैं. इस दौरान कृषि कानून पर आगे किस तरह केंद्र की घेराबंदी होनी है, इस पर निर्णय लिया जाना है.
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हरीश रावत पार्टी के अहम पद पर हैं और उत्तराखंड में विधानसभा के सदस्य ना होने के बावजूद भी सदन में होने वाली कार्यवाही को लेकर अपने विधायकों का नेतृत्व करते हुए दिखाई देते रहे हैं. हालांकि, यह नेतृत्व सदन के बाहर से ही सरकार को घेराबंदी से जुड़े सुझाव के जरिए हरीश रावत करते हैं.
हरीश रावत ने विधानसभा सत्र की समय सीमा कम होने को लेकर त्रिवेंद्र सरकार की घेराबंदी के लिए अपने विधायकों को एक और सलाह दी है. हरीश रावत ने कहा कि 3 दिन का विधानसभा सत्र बेहद कम समय है और इसका समय बढ़ाया ही जाना चाहिए. यदि ऐसा नहीं होता है तो हमारे विधायकों को सदन में सदन खत्म होने के बावजूद भी मौजूद रहकर अपना विरोध दर्ज कराना चाहिए.
सदन में इन मुद्दों पर सरकार को घेरेगी कांग्रेस
वहीं, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का कहना है कि इस विधानसभा सत्र में विपक्ष के पास मुद्दे बहुत हैं, लेकिन सरकार ने समय कम रखा है. लिहाजा, पहली मांग सत्र की समय बढ़ाने की होगी. क्योंकि, जनहित के कई मुद्दों पर चर्चा की जानी है.
इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि आज किसान सड़कों पर हैं और जिन किसानों की फसल को सरकार ने खरीदा है, उनका दाम तक नहीं दिया गया है. इसके अलावा बेरोजगारी को लेकर विधानसभा घेराव सहित उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में अनियमितताओं को लेकर भी सदन में कई सवाल उठाए जाएंगे.