देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मतदान हो चुका है. अब सबको 10 मार्च को आने वाले चुनाव परिणाम का इंतजार है. हालांकि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही हैं. वहीं बीजेपी के ट्रैक रिकॉर्ड को देखा जाए तो वो हारी बाजी को भी कई बार जीत में बदल देती है. उसके लिए बीजेपी के चाणक्य साम, दाम, दंड और भेद सभी का इस्तेमाल करने से भी पीछे नहीं हटते हैं. इसी को लेकर जब पूर्व सीएम हरीश रावत से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि यदि बीजेपी सरकार बनाने के लिए बहुमत के साथ छेड़छाड़ या फिर अलोकतांत्रिक तरीके तिकड़मबाजी करेगी तो उसे भारी पड़ेगा. जनता बीजेपी को जमीन में गाड़ देगी.
हरीश रावत ने कहा कि यदि सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी ने कोई तिकड़मबाजी लगाई या फिर बहुमत के साथ छेड़छाड़ की तो जनता बीजेपी को जमीन के इतने नीचे गाड़ देगी कि वहां से बीजेपी कभी निकल नहीं पाएगी और देश में जनता बीजेपी की यही हालत करेगी. इसीलिए अब ये संभावना नहीं है कि बीजेपी ऐसा कुछ करेगी. प्रदेश में जिस पार्टी का बहुमत आएगा, उसी की सरकार बनेगी.
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हरीश रावत ने दावा किया है कि उत्तराखंड में कांग्रेस का बहुमत आ रहा है. उसी की सरकार बनेगी. आने वाले पांच सालों तक कांग्रेस प्रदेश में अच्छी और काम करने वाली सरकार देगी. यदि प्रदेश में कांग्रेस बहुमत से दूर रहती है तो क्या वो बसपा या फिर अन्य दलों का समर्थन लेगी. इस पर हरीश रावत ने कहा कि उनकी 48 सीटें आ रही हैं, लेकिन फिर भी जो पार्टियां सामाजिक न्याय और लोकतंत्र में विश्वास रखती हैं, उन्हें अपने साथ रखने की कोशिश करेंगे. कांग्रेस की सरकार बनने पर प्रदेश का सीएम कौन बनेगा, इसका फैसला उन्होंने पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है.
उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार जय सिंह रावत भी मानते हैं कि बीजेपी उत्तराखंड में बहुमत के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकती है. इसकी कोई संभावना नजर नहीं आ रही है. अगर बीजेपी ऐसा करती है तो कोर्ट भी एक रास्ता है. बीजेपी विधायकों को नहीं खरीद सकती है, क्योंकि उन पर दलबदल कानून भी लागू होगा. हालांकि बीजेपी का इतिहास रहा है कि उनके नेता सत्ता में आने के लिए किसी भी कीमत पर जाने के लिए तैयार रहते हैं. खरीद-फरोख्त की राजनीति से गुरेज नहीं करते हैं. नार्थ ईस्ट में मणिपुर, साउथ में कर्नाटक और उत्तराखंड में पूर्व की हरीश रावत सरकार के समय में बीजेपी ऐसा कर भी चुकी है. यदि उत्तराखंड में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो उसके लिए बड़ी मुश्किल हो सकती है.
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वहीं अगर प्रदेश में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता है तो ऐसे में बसपा की अहमियत बढ़ जाएगी. वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत के मुताबिक बसपा (बहुजन समाज पार्टी) इस बार यूपी में बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं है. उन्होंने बीजेपी के लिए रास्ता खोल रखा है. ऐसे में यहां पर यदि बसपा कुछ सीटें लाती और उसकी किसी पार्टी को जरूरत पड़ती है तो वो कांग्रेस के बजाए बीजेपी के साथ जाएगी. निर्दलीय प्रत्याशी को जो ज्यादा पैसा देगा वो उसी के साथ चला जाएगा. उत्तराखंड के एकमात्र क्षेत्रीय दल यूकेडी (उत्तराखंड क्रांति दल) का तो इतिहास रहा है, प्रदेश में जिसकी सत्ता रही है, वे उसी के साथ गए हैं. यही कारण है कि वे उठे नहीं हैं.