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हरदा ने 60 सीटों पर हार की ली जिम्मेदारी, इस नई खोज के लिए कांग्रेसियों का किया धन्यवाद - 2017 की हाल पर हरीश रावत बयान

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ट्वीट ने न सिर्फ उनका दर्द बाहर आया है. बल्कि पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी एक बार फिर उजागर हो गई है.

Harish Rawat
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत
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Published : Nov 19, 2020, 6:37 PM IST

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का करारी हार का सामना करना पड़ा था. ये हार आज भी हरदा का पीछा नहीं छोड़ रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मात्र 11 सीटों पर सीमट कर रह गई थी. एक बार फिर उन्होंने उस हार की जिम्मेदारी लेते हुए बड़ा बयान दिया है.

  • #राज्य की 70 सदस्यीय विधानसभा में 59 सीटों में #कांग्रेस की चुनावी हार के लिये मैं उत्तरदायी हूं। मेरे दोस्त भी ये कहते थकते नहीं हैं और मैंने भी इसको सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लिया है, इस बार #कर्णप्रयाग से एक नई जानकारी सामने आयी है कि थराली का उपचुनाव भी कांग्रेस,

    — Harish Rawat (@harishrawatcmuk) November 19, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 में से 59 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. तब हरीश रावत कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री थे. हालांकि, वे कई बार इस हार के लिए खुद तो जिम्मेदार मान चुके हैं, लेकिन पार्टी की गुटबाजी के कारण उनके सहयोगी उन्हें इस हार की बार-बार याद दिलाते रहे है. इसी को लेकर हरीश रावत ने कहा कि उन्हीं के मित्र इस बात को बार-बार दोहराते रहे हैं कि कांग्रेस की हार की वजह हरीश रावत है, लेकिन हाल ही में ''कर्णप्रयाग क्षेत्र से सूचना आयी है कि साल 2018 में थराली विधानसभा सीट पर उपचुनाव को हारने की वजह हरीश रावत की आम जनसभा थी. अब मुझे उत्तराखंड में 60 सीटों की हार के लिए जिम्मेदार माना जाना चाहिए. इस नई खोज के लिए मैं कांग्रेसजनों को विशेष तौर पर चमोली के कांग्रेसजनों को बहुत धन्यवाद देता हूं.'' उन्होंने ये बयान अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट कर दिया है.

पढ़ें- चुनावी बयार: हरीश रावत ने अपनाया केजरीवाल का मॉडल, फ्री बिजली देने का किया वादा

ये कोई पहला मामला नहीं है जब हरीश रावत को 2017 की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, इससे पहले ही भी कई बार कांग्रेसी नेता सार्वजनिक मंच पर हार का ठीकरा उनके सर फोड़ चुके हैं, लेकिन हर बार उन्होंने कार्यकर्ताओं के सामने अपना दर्द बंया किया है. हालांकि, हरदा के इस ट्वीट के एक बात तो साफ हो गयी है. कांग्रेस में अभी भी 2017 की तरह ही गुटबाजी देखने को मिल रहा है. शायद कांग्रेसियों ने अभी भी 2017 की हार से कोई सबक नहीं लिया है.

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का करारी हार का सामना करना पड़ा था. ये हार आज भी हरदा का पीछा नहीं छोड़ रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मात्र 11 सीटों पर सीमट कर रह गई थी. एक बार फिर उन्होंने उस हार की जिम्मेदारी लेते हुए बड़ा बयान दिया है.

  • #राज्य की 70 सदस्यीय विधानसभा में 59 सीटों में #कांग्रेस की चुनावी हार के लिये मैं उत्तरदायी हूं। मेरे दोस्त भी ये कहते थकते नहीं हैं और मैंने भी इसको सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लिया है, इस बार #कर्णप्रयाग से एक नई जानकारी सामने आयी है कि थराली का उपचुनाव भी कांग्रेस,

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2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 70 में से 59 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. तब हरीश रावत कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री थे. हालांकि, वे कई बार इस हार के लिए खुद तो जिम्मेदार मान चुके हैं, लेकिन पार्टी की गुटबाजी के कारण उनके सहयोगी उन्हें इस हार की बार-बार याद दिलाते रहे है. इसी को लेकर हरीश रावत ने कहा कि उन्हीं के मित्र इस बात को बार-बार दोहराते रहे हैं कि कांग्रेस की हार की वजह हरीश रावत है, लेकिन हाल ही में ''कर्णप्रयाग क्षेत्र से सूचना आयी है कि साल 2018 में थराली विधानसभा सीट पर उपचुनाव को हारने की वजह हरीश रावत की आम जनसभा थी. अब मुझे उत्तराखंड में 60 सीटों की हार के लिए जिम्मेदार माना जाना चाहिए. इस नई खोज के लिए मैं कांग्रेसजनों को विशेष तौर पर चमोली के कांग्रेसजनों को बहुत धन्यवाद देता हूं.'' उन्होंने ये बयान अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट कर दिया है.

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ये कोई पहला मामला नहीं है जब हरीश रावत को 2017 की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, इससे पहले ही भी कई बार कांग्रेसी नेता सार्वजनिक मंच पर हार का ठीकरा उनके सर फोड़ चुके हैं, लेकिन हर बार उन्होंने कार्यकर्ताओं के सामने अपना दर्द बंया किया है. हालांकि, हरदा के इस ट्वीट के एक बात तो साफ हो गयी है. कांग्रेस में अभी भी 2017 की तरह ही गुटबाजी देखने को मिल रहा है. शायद कांग्रेसियों ने अभी भी 2017 की हार से कोई सबक नहीं लिया है.

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