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महाराज की 'हनक' पर हरीश रावत का वार, किसे बताया उत्तराखंड का अपराधी?

उत्तराखंड में चुनाव से पहले पालाबदल का खेल जारी है. इन सबके बीच हरीश रावत ने एक बार फिर बागियों पर हमला बोला है. इससे पहले हरीश रावत 2016 में उनकी सरकार गिराने वालों को महापापी कहकर घर वापसी से पहले माफी मांगने की मांग पहले ही कर चुके हैं.

महाराज की 'हनक' पर हरीश रावत का वार
महाराज की 'हनक' पर हरीश रावत का वार
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Published : Oct 18, 2021, 6:29 PM IST

Updated : Oct 18, 2021, 7:35 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Uttrakhand Assembly Election 2022) से पहले नेताओं का पार्टी बदलने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. कुछ नेता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी में जा रहे हैं तो कुछ वापसी कर रहे हैं. लेकिन, इन सबसे बीच हरीश रावत ने बागियों पर फिर से हमला बोला है. हरीश रावत 2016 में उनकी सरकार गिराने वालों को महापापी कहकर घर वापसी से पहले माफी मांगने की मांग पहले ही कर चुके हैं.

बागियों पर निशाना साधते हुए हरीश रावत ने फेसबुक पोस्ट करते हुए लिखा कि '2016 में कितने लोग सरकार गिराने में सम्मिलित थे, यदि उनका विश्लेषण करिए तो कुछ लोग भाजपा में मुख्यमंत्री बनने की बड़ी संभावना लेकर के गए. क्योंकि कांग्रेस में उनको हरीश रावत जमकर के बैठा हुआ दिखाई दे रहा था. उन्हें मालूम था कि यदि कांग्रेस जीतेगी फिर हरीश रावत ही मुख्यमंत्री बनेगा तो वो मुख्यमंत्री पद की भाजपा में संभावना देखकर, क्योंकि उन्हें लगता था कि वहां कोई काबिल व्यक्ति नहीं है. कुछ लोग धन के लोभ में गए, कुछ लोग धन और दबाव में गये, जो लोग दबाव और धन दोनों में गये उनसे मेरा कोई गिला नहीं है.

पढ़ें: कांग्रेस में आने के लिए कई और नेता बेचैन, तय करना है किसे लें किसे नहीं- हरीश रावत

हरीश रावत का तंज: हरीश रावत ने आगे लिखा कि 'जो लोग उन्हें कोसते हैं, उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास के कार्य हरीश रावत के कार्यकाल में स्वीकृत हुए और बने हैं. हरीश रावत ने तंज कसते हुए कहा कि आज उनका मतदाता उनसे कह रहा है कि महाराज ये तो सब उस काल के हैं, जब आपने दल नहीं बदला था और दल बदलने के बाद हमने आपको विकास पुरुष समझकर नवाजा, मगर महाराज विकास कहां चला गया? आज दोनों प्रकार के लोगों में बेचैनी है, जिनको अपने क्षेत्र में विकास नहीं दिखाई दे रहा है, केवल सवाल उठते दिखाई दे रहे हैं और दूसरे वो लोग हैं जो मुख्यमंत्री पद की संभावना लेकर के आए थे, मगर भाजपा ने उनके लिए अंगूरों को खट्टा बना दिया.

उन्होंने खांटी के भाजपाई को छांटकर ही मुख्यमंत्री बनाया, तो आज फिर अपना पुराना डीएनए तलाश करते हुए कांग्रेस में आने को उत्सुक हैं'. हरीश रावत ने आगे लिखा कि 'ऐसे लोग लोकतंत्र व उत्तराखंड के अपराधी हैं, तो आप विचार करें कि ऐसे लोगों के साथ क्या सलूक होना चाहिए?

क्या है बागियों का प्रकरण: 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले 18 मार्च 2016 को उत्तराखंड की कांग्रेस सरकार के खिलाफ बगावत हो गई थी. जब कांग्रेस पार्टी के नौ विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्चाइन की। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य, शैला रानी रावत, उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बत्रा, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, शैलेंद्र मोहन सिंघल शामिल थे. शैलेंद्र मोहन सिंघल और शैला रानी को छोड़कर बाकी सभी चुनाव जीत गए.

देहरादून: उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Uttrakhand Assembly Election 2022) से पहले नेताओं का पार्टी बदलने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. कुछ नेता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी में जा रहे हैं तो कुछ वापसी कर रहे हैं. लेकिन, इन सबसे बीच हरीश रावत ने बागियों पर फिर से हमला बोला है. हरीश रावत 2016 में उनकी सरकार गिराने वालों को महापापी कहकर घर वापसी से पहले माफी मांगने की मांग पहले ही कर चुके हैं.

बागियों पर निशाना साधते हुए हरीश रावत ने फेसबुक पोस्ट करते हुए लिखा कि '2016 में कितने लोग सरकार गिराने में सम्मिलित थे, यदि उनका विश्लेषण करिए तो कुछ लोग भाजपा में मुख्यमंत्री बनने की बड़ी संभावना लेकर के गए. क्योंकि कांग्रेस में उनको हरीश रावत जमकर के बैठा हुआ दिखाई दे रहा था. उन्हें मालूम था कि यदि कांग्रेस जीतेगी फिर हरीश रावत ही मुख्यमंत्री बनेगा तो वो मुख्यमंत्री पद की भाजपा में संभावना देखकर, क्योंकि उन्हें लगता था कि वहां कोई काबिल व्यक्ति नहीं है. कुछ लोग धन के लोभ में गए, कुछ लोग धन और दबाव में गये, जो लोग दबाव और धन दोनों में गये उनसे मेरा कोई गिला नहीं है.

पढ़ें: कांग्रेस में आने के लिए कई और नेता बेचैन, तय करना है किसे लें किसे नहीं- हरीश रावत

हरीश रावत का तंज: हरीश रावत ने आगे लिखा कि 'जो लोग उन्हें कोसते हैं, उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास के कार्य हरीश रावत के कार्यकाल में स्वीकृत हुए और बने हैं. हरीश रावत ने तंज कसते हुए कहा कि आज उनका मतदाता उनसे कह रहा है कि महाराज ये तो सब उस काल के हैं, जब आपने दल नहीं बदला था और दल बदलने के बाद हमने आपको विकास पुरुष समझकर नवाजा, मगर महाराज विकास कहां चला गया? आज दोनों प्रकार के लोगों में बेचैनी है, जिनको अपने क्षेत्र में विकास नहीं दिखाई दे रहा है, केवल सवाल उठते दिखाई दे रहे हैं और दूसरे वो लोग हैं जो मुख्यमंत्री पद की संभावना लेकर के आए थे, मगर भाजपा ने उनके लिए अंगूरों को खट्टा बना दिया.

उन्होंने खांटी के भाजपाई को छांटकर ही मुख्यमंत्री बनाया, तो आज फिर अपना पुराना डीएनए तलाश करते हुए कांग्रेस में आने को उत्सुक हैं'. हरीश रावत ने आगे लिखा कि 'ऐसे लोग लोकतंत्र व उत्तराखंड के अपराधी हैं, तो आप विचार करें कि ऐसे लोगों के साथ क्या सलूक होना चाहिए?

क्या है बागियों का प्रकरण: 2017 के विधानसभा चुनाव के पहले 18 मार्च 2016 को उत्तराखंड की कांग्रेस सरकार के खिलाफ बगावत हो गई थी. जब कांग्रेस पार्टी के नौ विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्चाइन की। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य, शैला रानी रावत, उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बत्रा, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, शैलेंद्र मोहन सिंघल शामिल थे. शैलेंद्र मोहन सिंघल और शैला रानी को छोड़कर बाकी सभी चुनाव जीत गए.

Last Updated : Oct 18, 2021, 7:35 PM IST
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