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कोर्ट के फैसले पर बोले रावत- सौ-सौ बार चिताओं ने, मरघट में मेरी सेज बिछाई...

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को नैनीताल हाईकोर्ट ने स्टिंग मामले में सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने की छूट दे दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद रावत की प्रतिक्रिया सामने आई है. उनका कहना है कि उन्हें अपने ईश्वर पर पूरा भरोसा है.

कोर्ट के फैसले पर बोले रावत- सौ-सौ बार चिताओं ने, मरघट में मेरी सेज बिछाई
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Published : Sep 30, 2019, 9:26 PM IST

देहरादून: स्टिंग मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने की छूट दे दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद रावत की प्रतिक्रिया सामने आई है. उनका कहना है कि उन्हें अपने ईश्वर पर पूरा भरोसा है.

पढ़ें:प्रधानाचार्य को पीटने पर गुस्से में स्कूल संचालक, पुलिस को दी ये चेतावनी

सोशल मीडिया के जरिये अपनी बात रखते हुये पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लिखा कि, 'मगर अनन्तोगतवा मेरे ईष्ट देव ने मुझे सहारा दिया और आज भी वही मुझे सहारा देने के लिये खड़े हैं.' रावत ने आगे लिखा, 'आज हाईकोर्ट में चले तर्क-वितर्क के बीच मुझे कवि गोपालदास नीरज की, मेरे बहुत प्रिय कवि हैं, एक युगान्ताकारी कविता की दो लाईनें बरबस याद आ रही हैं, "सौ-सौ बार चिताओं ने, मरघट में मेरी सेज बिछाई, सौ-सौ बार धूल ने, मेरी चलने की गति चुराई."

गौर हो कि कोर्ट की इस छूट के बाद सीबीआई कभी भी हरीश रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती हैं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर राज्यपाल द्वारा 31 मार्च 2016 को सीबीआई जांच के आदेश गलत होता है तो सीबीआई जांच का कोई औचित्य नहीं होगा. वहीं, अगर राज्य सरकार ने 15 जून 2016 की कैबिनेट बैठक में जांच सीबीआई से हटाकर एसआईटी सही था, तो भी सीबीआई जांच का कोई औचित्य नहीं होगा. मामले में अब 1 नवम्बर को अगली सुनवाई होगी. बता दें कि ये फैसला कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन होगा.
पूरा मामला

मार्च 2016 में विधानसभा में वित्त विधेयक पर वोटिंग के बाद कांग्रेस के 9 विधायकों ने बगावत कर दी थी. जिसके बाद एक निजी न्यूज चैनल ने विधायकों की कथित खरीद फरोख्त का स्टिंग जारी किया था. स्टिंग के आधार पर तत्कालीन राज्यपाल कृष्णकांत पॉल ने केंद्र सरकार को स्टिंग मामले की CBI जांच की संस्तुति कर भेज दी थी.
केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 356 का उपयोग करते हुए रावत सरकार को बर्खास्त कर दिया था. हालांकि, हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से हरीश रावत सरकार बहाल हो गई थी. बाद में कैबिनेट बैठक में स्टिंग प्रकरण की जांच सीबीआई से हटाकर एसआईटी से कराने का निर्णय लिया गया था. तत्कालीन बागी विधायक और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कैबिनेट के इस निर्णय को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी.

देहरादून: स्टिंग मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने की छूट दे दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद रावत की प्रतिक्रिया सामने आई है. उनका कहना है कि उन्हें अपने ईश्वर पर पूरा भरोसा है.

पढ़ें:प्रधानाचार्य को पीटने पर गुस्से में स्कूल संचालक, पुलिस को दी ये चेतावनी

सोशल मीडिया के जरिये अपनी बात रखते हुये पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लिखा कि, 'मगर अनन्तोगतवा मेरे ईष्ट देव ने मुझे सहारा दिया और आज भी वही मुझे सहारा देने के लिये खड़े हैं.' रावत ने आगे लिखा, 'आज हाईकोर्ट में चले तर्क-वितर्क के बीच मुझे कवि गोपालदास नीरज की, मेरे बहुत प्रिय कवि हैं, एक युगान्ताकारी कविता की दो लाईनें बरबस याद आ रही हैं, "सौ-सौ बार चिताओं ने, मरघट में मेरी सेज बिछाई, सौ-सौ बार धूल ने, मेरी चलने की गति चुराई."

गौर हो कि कोर्ट की इस छूट के बाद सीबीआई कभी भी हरीश रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती हैं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर राज्यपाल द्वारा 31 मार्च 2016 को सीबीआई जांच के आदेश गलत होता है तो सीबीआई जांच का कोई औचित्य नहीं होगा. वहीं, अगर राज्य सरकार ने 15 जून 2016 की कैबिनेट बैठक में जांच सीबीआई से हटाकर एसआईटी सही था, तो भी सीबीआई जांच का कोई औचित्य नहीं होगा. मामले में अब 1 नवम्बर को अगली सुनवाई होगी. बता दें कि ये फैसला कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन होगा.
पूरा मामला

मार्च 2016 में विधानसभा में वित्त विधेयक पर वोटिंग के बाद कांग्रेस के 9 विधायकों ने बगावत कर दी थी. जिसके बाद एक निजी न्यूज चैनल ने विधायकों की कथित खरीद फरोख्त का स्टिंग जारी किया था. स्टिंग के आधार पर तत्कालीन राज्यपाल कृष्णकांत पॉल ने केंद्र सरकार को स्टिंग मामले की CBI जांच की संस्तुति कर भेज दी थी.
केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 356 का उपयोग करते हुए रावत सरकार को बर्खास्त कर दिया था. हालांकि, हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से हरीश रावत सरकार बहाल हो गई थी. बाद में कैबिनेट बैठक में स्टिंग प्रकरण की जांच सीबीआई से हटाकर एसआईटी से कराने का निर्णय लिया गया था. तत्कालीन बागी विधायक और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कैबिनेट के इस निर्णय को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी.

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कोर्ट के फैसले पर बोले रावत- सौ-सौ बार चिताओं ने, मरघट में मेरी सेज बिछाई...

देहरादून: स्टिंग मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने की छूट दे दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद रावत की प्रतिक्रिया सामने आई है. उनका कहना है कि उन्हें अपने ईश्वर पर पूरा भरोसा है.

सोशल मीडिया के जरिये अपनी बात रखते हुये पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लिखा कि, 'मगर अनन्तोगतवा मेरे ईष्ट देव ने मुझे सहारा दिया और आज भी वही मुझे सहारा देने के लिये खड़े हैं.' रावत ने आगे लिखा, 'आज हाईकोर्ट में चले तर्क-वितर्क के बीच मुझे कवि गोपालदास नीरज की, मेरे बहुत प्रिय कवि हैं, एक युगान्ताकारी कविता की दो लाईनें बरबस याद आ रही हैं, "सौ-सौ बार चिताओं ने, मरघट में मेरी सेज बिछाई, सौ-सौ बार धूल ने, मेरी चलने की गति चुराई."

गौर हो कि कोर्ट की इस छूट के बाद सीबीआई कभी भी हरीश रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सकती हैं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर राज्यपाल द्वारा 31 मार्च 2016 को सीबीआई जांच के आदेश गलत होता है तो सीबीआई जांच का कोई औचित्य नहीं होगा. वहीं, अगर राज्य सरकार ने 15 जून 2016 की कैबिनेट बैठक में जांच सीबीआई से हटाकर एसआईटी सही था, तो भी सीबीआई जांच का कोई औचित्य नहीं होगा. मामले में अब 1 नवम्बर को अगली सुनवाई होगी. बता दें कि ये फैसला कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन होगा.

पूरा मामला

मार्च 2016 में विधानसभा में वित्त विधेयक पर वोटिंग के बाद कांग्रेस के 9 विधायकों ने बगावत कर दी थी. जिसके बाद एक निजी न्यूज चैनल ने विधायकों की कथित खरीद फरोख्त का स्टिंग जारी किया था. स्टिंग के आधार पर तत्कालीन राज्यपाल कृष्णकांत पॉल ने केंद्र सरकार को स्टिंग मामले की CBI जांच की संस्तुति कर भेज दी थी.

केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 356 का उपयोग करते हुए रावत सरकार को बर्खास्त कर दिया था. हालांकि, हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से हरीश रावत सरकार बहाल हो गई थी. बाद में कैबिनेट बैठक में स्टिंग प्रकरण की जांच सीबीआई से हटाकर एसआईटी से कराने का निर्णय लिया गया था. तत्कालीन बागी विधायक और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कैबिनेट के इस निर्णय को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी.


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