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विधानसभा में भाई भतीजावाद वाली भर्तियों पर हरीश रावत की रहस्यमय चुप्पी, क्या कुंजवाल हैं कारण - Harish Rawat

उत्तराखंड विधानसभा में हुई भर्ती सवालों के घेरे में हैं. इन नियुक्तियों में मंत्रियों के चहेतों ने जमकर फायदा उठाया. लेकिन इस मामले में पूर्व सीएम हरीश रावत ने चुप्पी साधी हुई है. हरीश रावत की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है. विधानसभा में जिस तरह भाई भतीजावाद को लेकर भाजपा सरकार को घेरा जा रहा है, ऐसी ही नियुक्तियां हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए भी विधानसभा में की गई थीं.

Congress leader Harish Rawat
कांग्रेस नेता हरीश रावत.
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Published : Aug 29, 2022, 7:30 AM IST

Updated : Aug 29, 2022, 9:13 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में रिश्तेदारों को नौकरी (Uttarakhand Vidhan Sabha Recruitment) देने पर प्रदेश में हंगामा मचा हुआ है. लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) ने इस मामले में चुप्पी साधी हुई है. हरीश रावत की खामोशी के पीछे एक बड़ी वजह भी है. दरअसल, विधानसभा में जिस तरह भाई भतीजावाद को लेकर भाजपा सरकार को घेरा जा रहा है, ऐसी ही नियुक्तियां हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए भी विधानसभा में की गई थीं. बस यही वह वजह है जिसके कारण हरीश रावत खामोश हैं और उनसे जुड़ा खेमा बैकफुट पर दिखाई दे रहा है.

हरीश रावत क्यों हैं मौन: धामी सरकार में प्रेमचंद्र अग्रवाल के विधानसभा अध्यक्ष रहते मंत्री मुख्यमंत्री के करीबियों को जिस तरह नौकरियां बांटी गईं, उससे हर कोई हैरत में है. लेकिन प्रदेश में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले कांग्रेस सरकार में भी ऐसी ही नियुक्तियां की गई थीं. जिसमें अपने रिश्तेदारों और करीबियों को मनमाफिक तैनाती दी गई. दरअसल, हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते उनके बेहद करीबी गोविंद सिंह कुंजवाल विधानसभा अध्यक्ष (Former Assembly Speaker Govind Singh Kunjwal) थे. गोविंद सिंह कुंजवाल वही नेता हैं, जिनकी वफादारी के चलते हरीश रावत अपनी सरकार दलबदल के दौरान बचा पाए थे. हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते गोविंद सिंह कुंजवाल ने भी विधानसभा के अंदर रिश्तेदारों की भर्ती उसी तरह की जिस तरह भाजपा सरकार में प्रेमचंद्र अग्रवाल (Former Assembly Speaker Premchandra Agrawal) ने की थी. कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए साल 2016 में 153 नियुक्तियां करवाईं.

उत्तराखंड विधानसभा में भर्तियों को लेकर सियासत.
पढ़ें-उत्तराखंड विधानसभा में हुई बैक डोर भर्तियों पर बवाल, CM और मंत्रियों के करीबियों को मिली नौकरी

गोविंद सिंह कुंजवाल के करीबियों को मिली नौकरी: नियुक्ति पाने वाले रिश्तेदारों के एक पत्र पर ही उन्हें विधानसभा में नौकरी दे दी गई. इनमें कई अधिकारियों के साथ नेताओं के भी रिश्तेदारों और करीबियों को नौकरियां दीं. कुछ नामों पर नजर दौड़ाई तो वो इस प्रकार रहे. गोविंद सिंह कुंजवाल ने अपने बेटे और बहू को भी विधानसभा में नौकरी दिलवा दी. उनके बेटे प्रदीप कुंजवाल और बहू स्वाति को विधानसभा में नौकरी मिली. गोविंद सिंह कुंजवाल के बेटे ही नहीं बल्कि उनके गांव के लोगों को भी नौकरियां दी गईं. इसमें स्वप्निल कुंजवाल, अनिल कुंजवाल, जीवन कुंजवाल, खुशहाल कुंजवाल, दीपक कुंजवाल, पंकज कुंजवाल, कुंदन कुंजवाल और संजय कुंजवाल शामिल हैं. यही नहीं हरीश रावत के बेहद करीबी और उनके मुख्यमंत्री रहते उनके अपर निजी सचिव खजान धामी को भी विधानसभा में नौकरी दी गई.
पढ़ें-विधानसभा में हुई भर्तियों पर सियासत गर्म, CM और मंत्रियों के करीबियों को मिली नौकरी, विपक्ष ने घेरा

करीबियों ने चखा नौकरी का स्वाद: मनमर्जी यहीं तक नहीं रुकी. खजान धामी की पत्नी लक्ष्मी को भी विधानसभा में नौकरी दे दी गई. कांग्रेस सरकार के नेताओं के रिश्तेदारों और करीबियों को ही विधानसभा में नौकरी नहीं मिली, बल्कि यहां मौजूद अधिकारियों ने भी बहती गंगा में हाथ धोए. जानकारी के अनुसार तत्कालीन विधानसभा सचिव ही नहीं संयुक्त सचिव विधानसभा के रिश्तेदारों को भी बिना परीक्षा के ही नियुक्ति दे दी गई. यह हालात यह बताने के लिए काफी हैं कि किस तरह हरीश रावत सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए गोविंद सिंह कुंजवाल ने न केवल अपने परिवार के लोगों को विधानसभा में भर दिया, बल्कि अधिकारियों और बाकी नेताओं के करीबियों को भी नौकरी का स्वाद चखाया.

प्रेमचंद अग्रवाल भी पीछे नहीं: वहीं प्रेमचंद अग्रवाल छाती ठोक कर यह बात कहते हुए दिखाई दिए थे कि उन्होंने रिश्तेदारों को नौकरी दी है और यह नियमानुसार है. हालांकि अब भाजपा यह कह रही है कि सभी मामलों की जांच की जाएगी और इसी आधार पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट मामले पर पल्ला झाड़ते दिखाई दे रहे हैं. उत्तराखंड की विधानसभा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सत्ताधारी दलों के लिए अपने रिश्तेदारों को नौकरी देने की जगह बन गई है. चौंकाने वाली बात है कि जहां सीधे-सीधे रिश्तेदारों को नौकरी दिए जाने का मामला दिखाई दे रहा है, वहां भी सरकार जांच करवाने की बात कर रही है. ऐसे में लगता नहीं कि सरकार अब तक लगे लोगों को नौकरी से हटाने का दम दिखा पाएगी. बहरहाल, जिस तरह भाजपा कांग्रेस पर आरोप लगा रही है, कांग्रेस के नेताओं ने साफ कर दिया है कि यदि उनकी सरकार में भी कोई गलत नियुक्ति हुई है तो उस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. गलती करने वाले को जेल भेजना चाहिए और जरूरी कार्रवाई होनी चाहिए.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा में रिश्तेदारों को नौकरी (Uttarakhand Vidhan Sabha Recruitment) देने पर प्रदेश में हंगामा मचा हुआ है. लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) ने इस मामले में चुप्पी साधी हुई है. हरीश रावत की खामोशी के पीछे एक बड़ी वजह भी है. दरअसल, विधानसभा में जिस तरह भाई भतीजावाद को लेकर भाजपा सरकार को घेरा जा रहा है, ऐसी ही नियुक्तियां हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए भी विधानसभा में की गई थीं. बस यही वह वजह है जिसके कारण हरीश रावत खामोश हैं और उनसे जुड़ा खेमा बैकफुट पर दिखाई दे रहा है.

हरीश रावत क्यों हैं मौन: धामी सरकार में प्रेमचंद्र अग्रवाल के विधानसभा अध्यक्ष रहते मंत्री मुख्यमंत्री के करीबियों को जिस तरह नौकरियां बांटी गईं, उससे हर कोई हैरत में है. लेकिन प्रदेश में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले कांग्रेस सरकार में भी ऐसी ही नियुक्तियां की गई थीं. जिसमें अपने रिश्तेदारों और करीबियों को मनमाफिक तैनाती दी गई. दरअसल, हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते उनके बेहद करीबी गोविंद सिंह कुंजवाल विधानसभा अध्यक्ष (Former Assembly Speaker Govind Singh Kunjwal) थे. गोविंद सिंह कुंजवाल वही नेता हैं, जिनकी वफादारी के चलते हरीश रावत अपनी सरकार दलबदल के दौरान बचा पाए थे. हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते गोविंद सिंह कुंजवाल ने भी विधानसभा के अंदर रिश्तेदारों की भर्ती उसी तरह की जिस तरह भाजपा सरकार में प्रेमचंद्र अग्रवाल (Former Assembly Speaker Premchandra Agrawal) ने की थी. कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए साल 2016 में 153 नियुक्तियां करवाईं.

उत्तराखंड विधानसभा में भर्तियों को लेकर सियासत.
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गोविंद सिंह कुंजवाल के करीबियों को मिली नौकरी: नियुक्ति पाने वाले रिश्तेदारों के एक पत्र पर ही उन्हें विधानसभा में नौकरी दे दी गई. इनमें कई अधिकारियों के साथ नेताओं के भी रिश्तेदारों और करीबियों को नौकरियां दीं. कुछ नामों पर नजर दौड़ाई तो वो इस प्रकार रहे. गोविंद सिंह कुंजवाल ने अपने बेटे और बहू को भी विधानसभा में नौकरी दिलवा दी. उनके बेटे प्रदीप कुंजवाल और बहू स्वाति को विधानसभा में नौकरी मिली. गोविंद सिंह कुंजवाल के बेटे ही नहीं बल्कि उनके गांव के लोगों को भी नौकरियां दी गईं. इसमें स्वप्निल कुंजवाल, अनिल कुंजवाल, जीवन कुंजवाल, खुशहाल कुंजवाल, दीपक कुंजवाल, पंकज कुंजवाल, कुंदन कुंजवाल और संजय कुंजवाल शामिल हैं. यही नहीं हरीश रावत के बेहद करीबी और उनके मुख्यमंत्री रहते उनके अपर निजी सचिव खजान धामी को भी विधानसभा में नौकरी दी गई.
पढ़ें-विधानसभा में हुई भर्तियों पर सियासत गर्म, CM और मंत्रियों के करीबियों को मिली नौकरी, विपक्ष ने घेरा

करीबियों ने चखा नौकरी का स्वाद: मनमर्जी यहीं तक नहीं रुकी. खजान धामी की पत्नी लक्ष्मी को भी विधानसभा में नौकरी दे दी गई. कांग्रेस सरकार के नेताओं के रिश्तेदारों और करीबियों को ही विधानसभा में नौकरी नहीं मिली, बल्कि यहां मौजूद अधिकारियों ने भी बहती गंगा में हाथ धोए. जानकारी के अनुसार तत्कालीन विधानसभा सचिव ही नहीं संयुक्त सचिव विधानसभा के रिश्तेदारों को भी बिना परीक्षा के ही नियुक्ति दे दी गई. यह हालात यह बताने के लिए काफी हैं कि किस तरह हरीश रावत सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए गोविंद सिंह कुंजवाल ने न केवल अपने परिवार के लोगों को विधानसभा में भर दिया, बल्कि अधिकारियों और बाकी नेताओं के करीबियों को भी नौकरी का स्वाद चखाया.

प्रेमचंद अग्रवाल भी पीछे नहीं: वहीं प्रेमचंद अग्रवाल छाती ठोक कर यह बात कहते हुए दिखाई दिए थे कि उन्होंने रिश्तेदारों को नौकरी दी है और यह नियमानुसार है. हालांकि अब भाजपा यह कह रही है कि सभी मामलों की जांच की जाएगी और इसी आधार पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट मामले पर पल्ला झाड़ते दिखाई दे रहे हैं. उत्तराखंड की विधानसभा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सत्ताधारी दलों के लिए अपने रिश्तेदारों को नौकरी देने की जगह बन गई है. चौंकाने वाली बात है कि जहां सीधे-सीधे रिश्तेदारों को नौकरी दिए जाने का मामला दिखाई दे रहा है, वहां भी सरकार जांच करवाने की बात कर रही है. ऐसे में लगता नहीं कि सरकार अब तक लगे लोगों को नौकरी से हटाने का दम दिखा पाएगी. बहरहाल, जिस तरह भाजपा कांग्रेस पर आरोप लगा रही है, कांग्रेस के नेताओं ने साफ कर दिया है कि यदि उनकी सरकार में भी कोई गलत नियुक्ति हुई है तो उस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. गलती करने वाले को जेल भेजना चाहिए और जरूरी कार्रवाई होनी चाहिए.

Last Updated : Aug 29, 2022, 9:13 AM IST
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