देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत (Congress leader Harish Rawat) राजनीति से कब संन्यास लेंगे, इस बात की जानकारी किसी को नहीं है. लेकिन इतना जरूर है कि 2022 विधानसभा चुनावों (assembly election 2022) के नतीजे आने से पहले हरीश रावत ने यह साफ कर दिया था कि चुनाव जीतने के बाद या तो वह मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर घर बैठेंगे. इस बयान की खूब चर्चा हुई थी और ना केवल भाजपा बल्कि कांग्रेस के नेताओं ने भी उन्हें आड़े-हाथों लिया था.
विधानसभा चुनाव भी हो गए और हरीश रावत चुनाव भी हार (Harish Rawat lost the election) गए. कांग्रेस विपक्ष में बैठी हुई है. हरीश रावत की उम्र भी बढ़ रही है. लेकिन एक बार फिर से हरीश रावत सक्रिय होते दिखाई दे रहे हैं. कहा यह जा रहा है कि अभी भी राजनीति में सत्ता की हसरत पाले हरीश रावत अब साल 2027 या साल 2024 में लोकसभा की तैयारियों में लगे हुए हैं. हरीश रावत अभी भी कांग्रेस में रहकर एक अलग लाइन खींचने की कोशिश कर रहे हैं.
एनडी तिवारी और विजय बहुगुणा निशाने पर थे: स्वर्गीय पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं में अगर किसी की गिनती हुई तो वह हरीश रावत ही थे. एनडी तिवारी की सरकार में भी हरीश रावत ने खूब दांव-पेंच दिखाए थे. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हरीश रावत ने विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री बनने के बाद हाईकमान को अपनी ताकत दिखाई थी. वहीं, आपदा के बाद हरीश रावत प्रदेश की सत्ता में काबिज होने पर भी कामयाब हो गए.
हार नहीं छोड़ रही पीछा: राजनीति में कई उतार-चढ़ाव देख चुके हरीश रावत के लिए मुख्यमंत्री बनने के बाद का सफर बेहद कठिन रहा. 2017 में 2-2 विधानसभा सीटों से मुख्यमंत्री रहते हुए हार गए. उनकी मौजूदगी में लड़ा गया चुनाव कांग्रेस के लिए उत्तराखंड में सबसे खराब प्रदर्शन वाला चुनाव रहा और सबसे कम सीटों के साथ कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पड़ा. इतना ही नहीं, लोकसभा चुनावों में हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से उनकी पत्नी चुनाव हार गईं और उसके बाद साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में ना केवल चुनाव हारे, बल्कि पार्टी को भी बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. 2022 के परिणाम आने के बाद तमाम राजनीतिक पंडित यही अंदाजा लगा रहे थे कि इस भारी हार के बाद हरीश रावत अब शायद घर ही बैठेंगे. लेकिन चुनाव हारने और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की शपथ के बाद से लगातार हरीश रावत एक बार फिर से सक्रिय होते दिखाई दे रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः प्रीतम सिंह ने हरीश रावत सहित पार्टी के बड़े नेताओं पर निकाली भड़ास, बताई नाराजगी की वजह
विधायक बिटिया है सक्रियता की वजह?: हरीश रावत ना केवल सोशल मीडिया पर लगातार सरकार के खिलाफ माहौल बना रहे हैं. बल्कि धरने प्रदर्शन और कांग्रेस के तमाम कार्यक्रमों में भी उन्हें देखा जा रहा है. जानकार मानते हैं कि यह सक्रियता हरीश रावत की अब उनके लिए नहीं है बल्कि उनकी अब यह मजबूरी है कि कांग्रेस के साथ खड़े होकर हर विरोध प्रदर्शन और सत्ता पक्ष के खिलाफ वह आवाज उठाएं. दरअसल उनकी बेटी अनूपमा रावत जब से चुनाव जीती हैं कहीं ना कहीं हरीश रावत को लगता है कि कांग्रेस पार्टी में अगर अनुपमा को राजनीतिक दांव सिखाने हैं तो उनका राजनीति में सक्रिय रहना बेहद जरूरी है. यही कारण है कि एक पिता होने के नाते हरीश रावत बड़ी हार होने के बाद भी राजनीति में सक्रिय दिखाई दे रहे हैं.
कुछ लोगों का मानना है कि हरिद्वार में कांग्रेस विधायकों की संख्या उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने की उम्मीद बांध रही है. ऐसे में साल 2024 के चुनावों में अगर पार्टी एक बार फिर से हरीश रावत पर भरोसा करती है और हरिद्वार के तमाम कांग्रेस के विधायक उनके साथ खड़े होते हैं तो लोकसभा चुनाव में वह एक बार फिर से हरिद्वार से ताल ठोक सकते हैं और यही कारण है कि बीते दिनों गंगा स्नान से लेकर दक्षेश्वर मंदिर में जलाभिषेक, हरकी पैड़ी पर गंगा आरती, हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेना और अपने देहरादून आवास से लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से हरिद्वार शहर की समस्याओं को उठाना हरीश रावत के प्रमुख मुद्दों में है.
ये भी पढ़ेंः भाजपा में जाने की खबरों का प्रीतम सिंह ने किया खंडन, मुकदमा दर्ज कराने की कही बात
हरीश रावत खो चुके हैं अपनी विश्वसनीयता: भाजपा को यह लगता है कि हरीश रावत अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र भसीन कहते हैं कि हरीश रावत ने पहले ही यह बयान दिया था कि वह मुख्यमंत्री नहीं बने तो घर बैठेंगे और वह कब संन्यास लेंगे, इससे भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन लगातार जिस तरह से जो वह बात कहते रहे हैं और भाजपा पर आरोप लगाते रहे हैं कि अगर भाजपा उस बात को सिद्ध कर देगी तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे. भाजपा ने हर बार हरीश रावत को आईना दिखाया है. भले वह नमाज के दौरान छुट्टी देने का शासनादेश हो, मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मामला हो या अन्य मामले. हरीश रावत हमेशा जो बात कहते हैं, उस से पलटते रहे हैं. इसलिए जनता के बीच में अब उनकी विश्वसनीयता खो गई है.
कांग्रेस के हरीश रावत को लेकर इशारे: उधर कांग्रेस से पूछे जाने पर सीधा सरल कोई जवाब तो नहीं मिला लेकिन हरीश रावत की सक्रियता पर जब हमने कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह से बातचीत की तो प्रीतम सिंह ने कहा कि वह इस बारे में कोई भी बयानबाजी नहीं करना चाहते हैं. हां इतना जरूर है कि पार्टी आलाकमान को ऐसे लोगों पर जरूर कार्रवाई करनी चाहिए और उनको जरूर देखना चाहिए जो मतलब साफ है कि कांग्रेस भी उनकी सक्रियता को बाद में बल्कि अनुशासनहीनता पर पहले कार्रवाई चाहती है.