देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने गांव-घर वापस लौट रहे प्रवासी उत्तराखंडियों और ग्राम वासियों के बीच बढ़ रहे तनाव को लेकर चिंता जाहिर की है. इसे लेकर हरीश रावत ने लोगों से भावुक अपील की है. हरीश रावत ने कहा है बाहर से लौट रहे प्रवासी हमारे अपने हैं, ऐसे में गांवों में अगर इनके खिलाफ द्वेष पनपता है तो यह एक बहुत चिंतनीय है.
पूर्व मुख्यमंत्री और असम प्रभारी हरीश रावत ने राज्य सरकार को प्रवासियों की वापसी को लेकर सुझाव दिया था कि वापस लौट रहे लोगों को एंट्री प्वाइंट पर ही कुछ दिन क्वॉरंटाइन किया जाए तो इससे कही हद तक हालत सुधरते. इससे कोरोना के संक्रमण का भी कम खतरा पैदा होता.
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हरीश रावत ने कहा सरकार ने यह निर्णय लेने में गलती कर दी और ग्राम प्रधानों पर यह जिम्मेदारी डाल दी. इससे गांवों में द्वेष भावना उत्पन्न हो रही है. अपने ही बेटे जो हमारे शरीर का अभिन्न अंग हैं अब हम उनके ही गांव वापस आने पर परेशान हो रहे हैं. उन्होंने कहा गांव वाले पहले भी आने वाले का स्वागत करते थे और आगे भी करेंगे, क्योंकि ये हमारे दुख और सुख में शामिल होने वाले प्रवासी भाई हैं.
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हरीश रावत ने इस मसले पर लोगों से अपील करते हुए कहा कि कोरोना कोई ऐसी बीमारी नहीं है जो यूं ही फैल जाये. इसके लिए कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है, जिन्हें अपनाकर हम आसानी से इससे बच सकते हैं. उन्होंने आवश्यकता जताते हुए कहा कि गांव पहुंच रहे प्रवासी थोड़ा थोड़ा अनुशासन अपनायें, गांव वाले भी सहृदयता दिखाये, जिससे भाईचारे की भावना बनी रहे.