देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केंद्र सरकार की ओर से किसानों के लिए लाये जा रहे 3 अध्यादेशों का विरोध करते हुए सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा किसानों की परेशानी बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार 3 अध्यादेशों को संसद में मंजूरी देकर कानून बनाना चाहती है. इसके लिए संसद में विधेयक पेश किए जा चुके हैं, जबकि लोकसभा में एकाध विधेयक पारित भी हो चुका है. इसके विरोध में पूर्व सीएम हरीश रावत ने शुक्रवार को देहरादून के गांधी पार्क में मौन व्रत पर बैठने का निर्णय लिया है.
हरीश रावत ने कहा कि सरकार के इस कदम से किसान और देश आशंकित है. यह तीनों विधेयक किसानों की जमीन, किसान के अधिकार जो एमएसपी के रूप में उन्हें मिला था, और मंडी कानून के रूप में जो संरक्षण मिला था उसके खिलाफ षड्यंत्र है. पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि यह कानून सस्ते गल्ले की वितरण प्रणाली के खिलाफ भी षड्यंत्र है.
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उन्होंने आशंका जताई कि इससे जमाखोरी बढ़ेगी. हरीश रावत का कहना है कि हमारी जमीनें हमारे नाम पर हों मगर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नाम पर उसके असली संचालक अडानी और कोई बड़े-बड़े नाम होंगे. उन्होंने कहा अमेरिका की तर्ज पर कृषि को चुनिंदा हाथों में दिया जा रहा है. किसानों की जमीन के अधिकार को कोई छीने ये हम सहन नहीं करेंगे.
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हरदा न कहा तीनों विधायकों के विरोध में सर्वप्रथम पंजाब में आवाज उठी थी. पंजाब के मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी. आज इसके खिलाफ देश के किसान सड़कों पर हैं. पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि मैं पंजाब के किसानों के साथ ही उत्तराखंड व देश के किसानों के साथ अपनी भावनात्मक एकता प्रकट करना चाहता हूं, इसलिए देहरादून के गांधी पार्क में शुक्रवार को मौन व्रत पर बैठूंगा. उन्होंने कहा महात्मा गांधी के बताए हुए अहिंसात्मक रास्ते से उन लोगों तक पहुंचने का काम करूंगा, जिन लोगों को गांधीजी के सिद्धांतों पर विश्वास नहीं है.