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हाय ये बेबसी! आर्थिक तंगी के कारण गांव में फंसी मनीषा, सिसकियों में छलका साल बर्बाद होने का 'डर'

दसवीं में पढ़ने वाली मनीषा लॉकडाउन से पहले अपने गांव रिखणीखाल (पौड़ी) चली गई थी. 22 जून से मनीषा के बोर्ड के पेपर शुरू होने वाले हैं. मगर अब आर्थिक तंगी के कारण वह गांव से वापस हरिद्वार नहीं आ पा रही है.

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आर्थिक तंगी के कारण गांव में फंसी मनीषा
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Published : Jun 11, 2020, 4:30 PM IST

Updated : Jun 12, 2020, 11:25 AM IST

देहरादून: कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने आम जन-जीवन को पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया है. हर कोई इस वक्त के हालात और आर्थिक तंगी से परेशान है. क्या आम और क्या खास सभी लोग इन दिनों कोरोना के कहर से दबे-सहमे हैं. रही-सही कसर कोरोना से बचने के लिए एहतियातन लगाये गये नियम कानून पूरी कर रहे हैं. इसके कारण लोग यहां से वहां अपने परिजनों से मिलने और बच्चे एग्जाम देने तक नहीं जा पा रहे हैं. इन्हीं सब समस्याओं का सामना मनीषा सिंह नाम की 10वीं में पढ़ने वाली एक छात्रा कर रही है.

आर्थिक तंगी के कारण गांव में फंसी मनीषा

हालातों से थक-हारकर मनीषा ने ईटीवी भारत से संपर्क किया. मनीषा हरिद्वार के इंडस्ट्री एरिया में अपने पिता और तीन छोटे भाई-बहनों के साथ रहती है. मनीषा लॉकडाउन से पहले अपने गांव रिखणीखाल (पौड़ी) चली गई थी. 22 जून से मनीषा के बोर्ड के पेपर शुरू होने वाले हैं. मगर अब आर्थिक तंगी के कारण वह गांव से वापस हरिद्वार नहीं आ पा रही है. बात अगर पिता के हालातों की करें तो वो बमुश्किल परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पा रहे हैं. ऐसे में बेटी को गांव से वापस लाने की उनसे उम्मीद करना बेमानी सा लगता है.

पढ़ें- आखिर अयोध्या में शुरू हुआ भव्य राम मंदिर के निर्माण का काम

ईटीवी भारत ब्यूरो चीफ किरणकांत शर्मा से फोन पर बातचीत करते हुए मनीषा सिंह ने फोन पर बताया कि उसके परिवार के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह गाड़ी बुक करवा कर उसे हरिद्वार ले जाएं. मनीषा कहती है कि अगर बस या ट्रेन भी चलती तो वह उसमें बैठकर एग्जाम देने के लिए हरिद्वार आ सकती थी. फिलहाल उसके पास ऐसा कोई साधन नहीं है जिससे वह हरिद्वार वापस आ सके. मनीषा बताती है कि जब उसने पिता से वापस आने की बात की तो उन्होंने कहा वे आर्थिक रूप से इतने मजबूत नहीं हैं कि उसे लेने इस वक्त गाड़ी या कुछ और साधन कर सकें. सिसकते हुये अपना दर्द बयां करते हुए मनीषा ने कहा कि उसके पिता उसको एग्जाम छोड़ने तक की बात कह चुके हैं.

पढ़ें- लॉकडाउन में सहकारी समिति में दे दी नौकरी, अब हुए जांच के आदेश

दसवीं में पढ़ने वाली मनीषा परीक्षा छोड़ने की बात करते ही फोन पर रोने लगी. उसने कहा अगर वह एग्जाम नहीं दे पाई तो उसका पूरा का पूरा साल बर्बाद हो जाएगा.

देहरादून: कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने आम जन-जीवन को पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया है. हर कोई इस वक्त के हालात और आर्थिक तंगी से परेशान है. क्या आम और क्या खास सभी लोग इन दिनों कोरोना के कहर से दबे-सहमे हैं. रही-सही कसर कोरोना से बचने के लिए एहतियातन लगाये गये नियम कानून पूरी कर रहे हैं. इसके कारण लोग यहां से वहां अपने परिजनों से मिलने और बच्चे एग्जाम देने तक नहीं जा पा रहे हैं. इन्हीं सब समस्याओं का सामना मनीषा सिंह नाम की 10वीं में पढ़ने वाली एक छात्रा कर रही है.

आर्थिक तंगी के कारण गांव में फंसी मनीषा

हालातों से थक-हारकर मनीषा ने ईटीवी भारत से संपर्क किया. मनीषा हरिद्वार के इंडस्ट्री एरिया में अपने पिता और तीन छोटे भाई-बहनों के साथ रहती है. मनीषा लॉकडाउन से पहले अपने गांव रिखणीखाल (पौड़ी) चली गई थी. 22 जून से मनीषा के बोर्ड के पेपर शुरू होने वाले हैं. मगर अब आर्थिक तंगी के कारण वह गांव से वापस हरिद्वार नहीं आ पा रही है. बात अगर पिता के हालातों की करें तो वो बमुश्किल परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पा रहे हैं. ऐसे में बेटी को गांव से वापस लाने की उनसे उम्मीद करना बेमानी सा लगता है.

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ईटीवी भारत ब्यूरो चीफ किरणकांत शर्मा से फोन पर बातचीत करते हुए मनीषा सिंह ने फोन पर बताया कि उसके परिवार के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह गाड़ी बुक करवा कर उसे हरिद्वार ले जाएं. मनीषा कहती है कि अगर बस या ट्रेन भी चलती तो वह उसमें बैठकर एग्जाम देने के लिए हरिद्वार आ सकती थी. फिलहाल उसके पास ऐसा कोई साधन नहीं है जिससे वह हरिद्वार वापस आ सके. मनीषा बताती है कि जब उसने पिता से वापस आने की बात की तो उन्होंने कहा वे आर्थिक रूप से इतने मजबूत नहीं हैं कि उसे लेने इस वक्त गाड़ी या कुछ और साधन कर सकें. सिसकते हुये अपना दर्द बयां करते हुए मनीषा ने कहा कि उसके पिता उसको एग्जाम छोड़ने तक की बात कह चुके हैं.

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दसवीं में पढ़ने वाली मनीषा परीक्षा छोड़ने की बात करते ही फोन पर रोने लगी. उसने कहा अगर वह एग्जाम नहीं दे पाई तो उसका पूरा का पूरा साल बर्बाद हो जाएगा.

Last Updated : Jun 12, 2020, 11:25 AM IST
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