देहरादून: यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट और कॉलेजों के हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों की जेब पर अब पहले से ज्यादा भार पड़ने वाला है. सरकार हॉस्टलों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाने जा रही है. राज्य कर विभाग ने उत्तराखंड में यूनिवर्सिटी-कॉलेज और निजी निजी इंस्टीट्यूटों का सर्वे शुरू कर दिया है. ताकी हॉस्टलों की सही संख्या का पता चल सके. सरकार के इस कदम से पढ़ाई का खर्च बढ़ जाएगा.
दरअसल, अभीतक प्रदेश में एक हजार रुपए प्रतिदिन किराए वाली किसी भी एकोमोडेशन सर्विस जिसमें होटल-मोटल, हॉस्टल जैसी सुविधाएं शामिल हैं, वे जीएसटी के दायरे में नहीं आती थी. इसीलिए ज्यादातर हॉस्टल और होमस्टे जीएसटी के दायरे में नहीं आते थे, लेकिन 18 जुलाई को जीएसटी दरों में बदलाव किया गया है. नए बदलाव के हिसाब से एक हजार रुपए प्रतिदिन किराए से कम के कमरों पर भी 12 जीएसटी देना होगा. इस तरह, हॉस्टलों में सभी तरह के कमरों पर जीएसटी लागू होगा.
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छात्रों की जेब पर पड़ेगा भार: राज्य में तमाम शिक्षण संस्थान लग्जरी सुविधाओं के साथ हॉस्टल भी चला रहे हैं. इसके बदले छात्रों से मोटी फीस वसूली जाती है, लेकिन सरकार को टैक्स के तौर पर कुछ भी नहीं मिलता था. हालांकि अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि एक हजार रुपए प्रतिदिन किराए वाली सभी एकोमोडेशन सर्विस को 12 प्रतिशत जीएसटी के दायरे में लिया है. अब ये संस्थान जीएसटी की चोरी नहीं कर पाएंगे.
होम स्टे और आवासीय कोचिंग भी दायरे में: उत्तराखंड के कई गांवों में होम स्टे में भी चल रहे है. उनकी बुकिंग भी ऑनलाइन वेबसाइड या ऐप के जरिए होती है, जिसके लिए उन्होंने जीएसटी में पंजीकरण कराया है. जीएसटी की नई दरों के चलते अब इन्हें भी टैक्स देना होगा क्योंकि, सभी तरह के कमरों पर टैक्स लग गया है. एक हजार से कम किराया दिखाकर मिल रही छूट का लाभ अब इन्हें नहीं मिलेगा. इसके अलावा कोचिंग इंस्टीट्यूट या प्राइवेट डिफेंस एकेडमी (ट्रेनिंग सेंटर), जहां आवासीय सुविधा है, वे भी इसके दायरे में आएंगे. उन्हें भी आवासीय सेवा पर 12 फीसदी जीएसटी देना होगा.