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सचिवालय से कुछ दूर स्थित प्राइमरी स्कूल बदहाल, बारिश में क्लास रूम बन जाता है 'तालाब'

राजधानी के परेड ग्राउंड स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय बदहाल स्थिति में है. आलम ये है कि स्कूल के चार कमरों में से तीन कमरे जीर्ण-शीर्ण बने हुए हैं. यहां एक कमरे में सभी कक्षा के बच्चे पढ़ाई करते हैं. वहीं, बरसात के दिनों में यह एकलौता कमरा भी छत से पानी टपकने के कारण तालाब बन जाता है.

Dehradun news
स्कूल बदहाल.
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Published : Jul 21, 2022, 7:19 PM IST

देहरादून: राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है. वहीं, शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बात कह रहा है लेकिन दावों की हकीकत खोखली नजर आ रही है. राजधानी देहरादून के परेड ग्राउंड स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय की हालत देखकर तो यही लगता है. बारिश के दिनों में यहां पठन-पाठन मुश्किल हो जाता है. बारिश में स्कूल की टिनशेड से लगातार पानी टपकता रहता है और क्लास रूम पानी से भर जाता है. जिसकी वजह से टीचर्स को स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है.

देहरादून शहर का दिल कहे जाने वाले परेड ग्राउंड में राजकीय प्राथमिक विद्यालय स्थिति ये है तो प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. उत्तराखंड सचिवालय से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित यह स्कूल करीब 80 से 90 साल पुराना है. वहीं, आज शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते बरसात के दौरान कब स्कूल में पढ़ने वाले 40 बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ हो जाए, यह कोई नहीं जानता.

सचिवालय से 100 मीटर की दूरी पर स्थित प्राइमरी स्कूल बदहाल.

पढ़ें- उत्तरकाशी: स्कूल जाने के लिए नाला पार करना बच्चों की मजबूरी

बता दें कि स्कूल में कुल चार कमरे हैं, जिसमें से तीन कमरे तो जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं. यही कारण है कि सालों से एक ही कमरे में सभी कक्षाओं के बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. वहीं, स्थिति यह है कि अगर बारिश हो जाए, तो इस एक कमरे में बच्चे नहीं पढ़ पाते हैं. स्कूल के छात्रों और शिक्षिका का कहना है कि स्कूल की छत पर छेद होने के कारण कमरे में पानी भर जाता है और इस कारण तेज बारिश के दिन स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है. जबकि, इस बारे में कई बार विभाग के उच्च अधिकारियो को इस संबंध में अवगत करवाया गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

वहीं, सवाल यह उठता है कि अभी मॉनसून जारी है और अगर ऐसी स्थिति में कोई अनहोनी होती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? बता दें कि इसी परेड ग्राउंड में धामी सरकार 2.0 ने भव्य कार्यक्रम आयोजित कर शपथ ग्रहण किया था, लेकिन अफसोस की इस स्कूल की बदहाली किसी को नजर नहीं आ रही है. ऐसे में जब राजधानी के स्कूल की यह स्थिति है तो दूरस्थ इलाकों के स्कूलों से कोई उम्मीद करना बेईमानी होगी.

देहरादून: राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है. वहीं, शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में अच्छी शिक्षा और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बात कह रहा है लेकिन दावों की हकीकत खोखली नजर आ रही है. राजधानी देहरादून के परेड ग्राउंड स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय की हालत देखकर तो यही लगता है. बारिश के दिनों में यहां पठन-पाठन मुश्किल हो जाता है. बारिश में स्कूल की टिनशेड से लगातार पानी टपकता रहता है और क्लास रूम पानी से भर जाता है. जिसकी वजह से टीचर्स को स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है.

देहरादून शहर का दिल कहे जाने वाले परेड ग्राउंड में राजकीय प्राथमिक विद्यालय स्थिति ये है तो प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. उत्तराखंड सचिवालय से महज 100 मीटर की दूरी पर स्थित यह स्कूल करीब 80 से 90 साल पुराना है. वहीं, आज शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते बरसात के दौरान कब स्कूल में पढ़ने वाले 40 बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ हो जाए, यह कोई नहीं जानता.

सचिवालय से 100 मीटर की दूरी पर स्थित प्राइमरी स्कूल बदहाल.

पढ़ें- उत्तरकाशी: स्कूल जाने के लिए नाला पार करना बच्चों की मजबूरी

बता दें कि स्कूल में कुल चार कमरे हैं, जिसमें से तीन कमरे तो जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं. यही कारण है कि सालों से एक ही कमरे में सभी कक्षाओं के बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं. वहीं, स्थिति यह है कि अगर बारिश हो जाए, तो इस एक कमरे में बच्चे नहीं पढ़ पाते हैं. स्कूल के छात्रों और शिक्षिका का कहना है कि स्कूल की छत पर छेद होने के कारण कमरे में पानी भर जाता है और इस कारण तेज बारिश के दिन स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है. जबकि, इस बारे में कई बार विभाग के उच्च अधिकारियो को इस संबंध में अवगत करवाया गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

वहीं, सवाल यह उठता है कि अभी मॉनसून जारी है और अगर ऐसी स्थिति में कोई अनहोनी होती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? बता दें कि इसी परेड ग्राउंड में धामी सरकार 2.0 ने भव्य कार्यक्रम आयोजित कर शपथ ग्रहण किया था, लेकिन अफसोस की इस स्कूल की बदहाली किसी को नजर नहीं आ रही है. ऐसे में जब राजधानी के स्कूल की यह स्थिति है तो दूरस्थ इलाकों के स्कूलों से कोई उम्मीद करना बेईमानी होगी.

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