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अनिवार्य सेवानिवृत्ति का कर्मचारी कर रहे हैं विरोध, सीएम ने कहा- लेने पड़ते हैं कड़े फैसले

गुरुवार को कार्मिक विभाग ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति की प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब की थी. जिसके बाद कर्मचारियों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम उत्पीड़न का डर सताने लगा है.

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Published : Oct 18, 2019, 9:38 PM IST

देहरादून

देहरादून: अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर जहां एक तरफ सरकार ने कवायत तेज की है तो वहीं कर्मचारियों में भी असन्तोष बढ़ने लगा है. कर्मचारियों का कहना है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर किसी कर्मचारी का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए.

गुरुवार को कार्मिक विभाग ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति की प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब की थी. जिसके बाद कर्मचारियों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम उत्पीड़न का डर सताने लगा है. शुक्रवार को कर्मचारी संगठन से जुड़े लोगों ने इस मामले पर बयान जारी करते हुए कहा कि सरकारी तंत्र की क्षमता बढ़ाने के लिए अगर कोई फैसला लिया वो सरकार के इस फैसले का जरुर स्वागत करते, लेकिन अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर यदि कर्मचारियों का उत्पीड़न किया जाएगा और जबरन सेवानिवृत्ति दी जाती है तो कर्मचारी संगठन इसका विरोध करेगा.

अनिवार्य सेवानिवृत्ति का कर्मचारी कर रहे हैं विरोध

पढ़ें- खुशखबरी: कोटद्वार में जल्द खुलेगा जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का रिसेप्शन द्वार

सचिवालय संघ के उपाध्यक्ष संदीप चमोला का कहना है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति की जगह बेहतर होता कि सरकार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की दिशा में काम करती. उनका कहना है कि कुछ ही कर्मचारी ऐसे है जो अपनी सेवा का गलत फायदा उठा रहे है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर सरकार सभी कर्मचारियों को परेशान करे.

पढ़ें- आयुर्वेदिक छात्रों के आंदोलन के समर्थन में आई कांग्रेस, फीस वृद्धि का कर रहे हैं विरोध

वहीं, दूसरी ओर कर्मचारी संघ के इस विरोध के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी बयान आया. मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकार का काम फैसला लेना है और सरकार ने फैसला ले लिया है. सीएम ने कहा कि जरूरी नहीं कि सरकार के हर फैसले से सभी खुश हो, लेकिन सरकार को प्रदेश की बेहतरी के लिए फैसले लेने होते हैं. अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी विभागों से लिस्ट मांगी गई है. लिस्ट आने के बाद उस पर ज्यादा चर्चा की जाएगी.

देहरादून: अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर जहां एक तरफ सरकार ने कवायत तेज की है तो वहीं कर्मचारियों में भी असन्तोष बढ़ने लगा है. कर्मचारियों का कहना है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर किसी कर्मचारी का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए.

गुरुवार को कार्मिक विभाग ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति की प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब की थी. जिसके बाद कर्मचारियों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम उत्पीड़न का डर सताने लगा है. शुक्रवार को कर्मचारी संगठन से जुड़े लोगों ने इस मामले पर बयान जारी करते हुए कहा कि सरकारी तंत्र की क्षमता बढ़ाने के लिए अगर कोई फैसला लिया वो सरकार के इस फैसले का जरुर स्वागत करते, लेकिन अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर यदि कर्मचारियों का उत्पीड़न किया जाएगा और जबरन सेवानिवृत्ति दी जाती है तो कर्मचारी संगठन इसका विरोध करेगा.

अनिवार्य सेवानिवृत्ति का कर्मचारी कर रहे हैं विरोध

पढ़ें- खुशखबरी: कोटद्वार में जल्द खुलेगा जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का रिसेप्शन द्वार

सचिवालय संघ के उपाध्यक्ष संदीप चमोला का कहना है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति की जगह बेहतर होता कि सरकार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की दिशा में काम करती. उनका कहना है कि कुछ ही कर्मचारी ऐसे है जो अपनी सेवा का गलत फायदा उठा रहे है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर सरकार सभी कर्मचारियों को परेशान करे.

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वहीं, दूसरी ओर कर्मचारी संघ के इस विरोध के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी बयान आया. मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकार का काम फैसला लेना है और सरकार ने फैसला ले लिया है. सीएम ने कहा कि जरूरी नहीं कि सरकार के हर फैसले से सभी खुश हो, लेकिन सरकार को प्रदेश की बेहतरी के लिए फैसले लेने होते हैं. अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी विभागों से लिस्ट मांगी गई है. लिस्ट आने के बाद उस पर ज्यादा चर्चा की जाएगी.

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Note- ख़बर mojo से edit कर के भेजी गई है और सीएम त्रिवेन्द्र रावत की बाइट FTP पर (uk_deh_04_protest_against_compulsory_retirement_vis_byte_7205800) नाम से भेजी गई है। कृपया खबर के साथ सीएम की बाइट जरूर जोड़ें।


एंकर- अनिवार्य सेवानिवृत्ति को लेकर जहां एक तरफ सरकार ने कवायत तेज की है तो वहीं कर्मचारियों में भी असन्तोष बढ़ने लगा है। कर्मचारियों का कहना है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर किसी कर्मचारी का उत्पीड़न नही होना चाहिए।


Body:वीओ- बीते रोज कार्मिक विभाग द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति की प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब किए जाने के बाद अब कर्मचारियों में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर कर्मचारियों के उत्पीड़न की चिंता गहराने लगी है। शुक्रवार को कर्मचारी संगठन के लोगों ने इस मामले पर अब बयान जारी करते हुए कहा कि सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने के लिए अगर कोई फैसला सरकार द्वारा लिया जाता है तो इस फैसले का स्वागत करते हैं लेकिन अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर यदि कर्मचारियों का उत्पीड़न किया जाएगा और जबरन सेवानिवृत्ति की जाती है तो कर्मचारी संगठन इसका विरोध करेगा।

सचिवालय संघ के उपाध्यक्ष संदीप चमोला का कहना है कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के जगह पर बेहतर होता कि सरकार स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की दिशा में काम करती। उनका कहना है कि काम कर रहे 100 फ़ीसदी कर्मचारियों में से कुछ फीसदी ऐसे कर्मचारी है जो कि का अपनी सेवा का गलत उपयोग गलत फायदा उठा रहे हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर अन्य लोगों को भी परेशान किया जाए।

बाइट- संदीप मोहन चमोला, उपाध्यक्ष सचिवालय संघ

वही दूसरी ओर कर्मचारी संघ के इस विरोध के बीच मुख्यमंत्री का भी बयान आया। मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकार का काम फैसला लेना है और सरकार ने फैसला ले लिया है। सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि जरूरी नहीं कि सरकार के हर फैसले से सभी खुश हों लेकिन सरकार को प्रदेश की बेहतरी के लिए फैसले लेने होते हैं। साथ ही अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी विभागों से लिस्ट मांगी गई है और जब लिस्ट आएगी तो इस पर अधिक चर्चा की जाएगी।

बाइट-त्रिवेंद्र रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखंड


Conclusion:
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