ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया. इस मौके पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और पतंजलि योगपीठ के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण यहां पहुंचे. उन्होंने विश्व विख्यात गंगा आरती और विश्व शांति यज्ञ में सहभाग किया. इस अवसर पर लद्दाख से आये बौद्ध धर्मगुरू भिखू संगसेना, साध्वी भगवती सरस्वती, गुरमीत कौर, पुत्र अमन, बेटी रूपी, ब्रह्मकुमारी बिन्नी सरीन और मानव सेवा सदन की टीम ने सहभाग किया.
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा अपनी क्षमताओं को पहचानना और संकल्पों के साथ जीना ही जीवन है. दिव्यांग बेटियों को शिवस्त्रोत पर नृत्य करते देख मुझे लगा कि अपनी सोच और विचारों को कभी कम नहीं आंकना चाहिये. अपनी सकारात्मकता के साथ जीवनयापन करें, यही जीवन का उद्देश्य है. स्वामी चिदानंद द्वारा शुरू की गंगा आरती परिर्वतन का उदाहरण है. वैदिक संस्कृति हमें तनाव से मुक्त रहने का संदेश देती है.
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स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा भारत भूमि वसुधैव कुटुंबकम की भूमि है. इस भूमि ने विश्व एक परिवार है का सूत्र दिया है. उत्तराखंड की भूमि स्विट्जरलैंड भी है और स्पिरिचुअललैंड भी है. इस भूमि ने दरारों को भरने और दिलों को जोड़ने का कार्य किया है और यही इस धरती की महिमा भी है.
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मानसिक स्वास्थ्य विकार विश्व भर में होने वाली सामान्य बीमारियों में से एक है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्तियों की अनुमानित संख्या 450 मिलियन है. भारत में लगभग 1.5 मिलियन व्यक्ति, जिनमें बच्चे एवं किशोर भी शामिल है, गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से प्रभावित हैं.